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बोले मुख्यमंत्री- सूबे में सुधरेगी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति, स्थापित होंगे पांच नए मेडिकल कॉलेज

पूर्वी चंपारण के हरसिद्धि स्थित महावीर रामेश्वर इंटर कॉलेज में महावीर व रामेश्वर की प्रतिमा का किया अनावरण, बैंकों के रवैए से दिखे असंतुष्ट।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 04:06 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 04:06 PM (IST)
बोले मुख्यमंत्री- सूबे में सुधरेगी स्वास्थ्य  सेवाओं की स्थिति, स्थापित होंगे पांच नए मेडिकल कॉलेज
बोले मुख्यमंत्री- सूबे में सुधरेगी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति, स्थापित होंगे पांच नए मेडिकल कॉलेज

मोतिहारी(पूचं), जेएनएन। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि सूबे में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को सुधारने के लिए पांच नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की जाएगी। साथ में नर्सिंग कॉलेज भी संचालित होंगे। जिससे नर्सिंग स्टाफ की कमी को पूरा किया जा सकेगा। वे रविवार को पूर्वी चंपारण के हरसिद्धि स्थित महावीर रामेश्वर इंटर कॉलेज में स्थापित महावीर व रामेश्वर की प्रतिमा के अनावरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सूबे की शिक्षण व्यवस्था को लेकर किए जा रहे प्रयासों और पूर्व में किए गए कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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सीएम ने कहा कि 2005 में जब हमें सरकार बनाने का अवसर मिला तो शिक्षा के विकास के लिए मैंने कई कदम उठाए। उस समय आकलन कराया तो पता चला कि स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों का प्रतिशत 12.5 है। फिर हमने 22 हजार नए विद्यालयों की स्थापना की। तीन लाख से ज्यादा शिक्षकों का नियोजन किया। अब स्कूलों से बाहर बच्चों की संख्या घटने लगी है। इस बीच हमें स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों के वर्ग के बारे में जानकारी मिली। यह बात सामने आई कि सर्वाधिक बच्चे महादलित और अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। फिर हमने महादलित बस्तियों में टोला सेवकों की नियुक्ति की। अल्पसंख्यक बस्तियों में शिक्षा स्वयंसेवक बहाल किए। इसका असर यह हुआ कि बच्चे स्कूल से जुड़ने लगे।

   बालिका शिक्षा के क्षेत्र में किए गए अपने कार्य के बारे में सीएम नीतीश ने कहा कि एक वक्त था जब लड़कियां प्राथमिक विद्यालय से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाती थीं। वजह थी गरीबी। फिर हमने मध्य विद्यालय में बालिका पोशाक योजना की शुरुआत की। इसके बाद हमने बालिका साइकिल योजना की शुरुआत की। 2008 में 9वीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या मात्र 1.70 लाख थी। अब यह संख्या बढ़कर 9 लाख हो गई है।

मुख्यमंत्री ने साफ किया कि दो टर्म सरकार चलाने के बाद उच्च शिक्षा के स्तर को देखा। इंटर के बाद उच्च शिक्षा में जाने वाले छात्र-छात्राओं का प्रतिशत 13.9 फीसद था। जबकि देश में यह स्तर 24 फीसद है। इसलिए हमने यह लक्ष्य निर्धारित किया कि हम इसे राष्ट्रीय औसत से भी आगे ले जाएंगे। इसके लिए जब समीक्षा की तो पता चला कि इस समस्या के जड़ में भी गरीबी है।

  फिर हमने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की, लेकिन बैंकों के रवैए के कारण छात्रों को इसका लाभ समय से नहीं मिला। डेढ़ साल में मात्र 9000 विद्यार्थी ही इससे लाभान्वित हुए। फिर हमने सरकार के स्तर पर यह निर्णय लिया कि छात्रों की सुविधाओं के लिए शिक्षा वित्त निगम की स्थापना की जाए। हमने शिक्षा वित्त निगम की स्थापना की और महज 4 महीने में 25000 छात्र-छात्राओं को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड का लाभ मिला है। इसके तहत हम छात्र-छात्राओं को इंटर के बाद उच्च शिक्षा के लिए चार लाख का ऋण मुहैया कराएंगे। यदि किन्हीं कारणों से संबंधित छात्र को रोजगार नहीं मिलता है तो हम उस ऋण को माफ भी करेंगे। रोजगार करने वाले छात्र इसे आसान अंश में अदा कर सकेंगे। इसलिए जरूरी है कि सभी लोग अपने बच्चों को शिक्षित बनाएं, पढ़ाएं।


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