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खोदैदा के आंगन में इबादत के साथ छठ पूजा, विधि-विधान के साथ पूजा होने का रहता ध्यान

पूर्वी चंपारण के अरेराज प्रखंड के मिश्रौलिया निवासी साहबजान मियां की पत्नी खोदैदा खातून पांचवें साल कर रहीं छठ

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 10:21 AM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 10:21 AM (IST)
खोदैदा के आंगन में इबादत के साथ छठ पूजा, विधि-विधान के साथ पूजा होने का रहता ध्यान
खोदैदा के आंगन में इबादत के साथ छठ पूजा, विधि-विधान के साथ पूजा होने का रहता ध्यान

मोतिहारी [प्रवीण कुमार पांडेय] । पूर्वी चंपारण के अरेराज प्रखंड अंतर्गत मलाही मिश्रौलिया गांव स्थित खुदा की इबादत करनेवाले साहबजान मियां के घर में छठ पूजा भी होती है। इनकी पत्नी खोदैदा खातून दीपावली के बाद ही छठ के गीत गुनगुनाने लगती हैं। बात चार साल पुरानी है, जब खोदैदा ने छठ व्रत पहली बार 2014 में रखा। इस बार वह पांचवें साल व्रत रख रही हैं। सवाल पुत्र की सलामती का था और परिवार की तरक्की का भी। सो, इबादत के साथ सूर्य की उपासना का निर्णय भी लिया। 

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   आत्मविश्वास से लबरेज इस व्रती के शब्दों में-'पुत्र बीमार था। व्यवसाय में घाटा हो रहा था। तभी बेटे के जेहन में यह बात आई कि छठ करने से सब ठीक हो जाएगा। फिर क्या, उन्होंने आस्था के साथ छठ व्रत रखा। कहती हैं-गांव के पास से होकर गुजरी नारायणी नदी के किनारे स्थित छरपति मइया के स्थान के पास छठ घाट जाऊंगी और परिवार के साथ सबकी सलामती के लिए पूजा करूंगी। 

बाबूजान की जान थी आफत में

खोदैदा के दो पुत्र व दो पुत्रियों में बड़े बाबूजान बीमार थे। बीमारी ने इस कदर तंग कर रखा था कि पुत्र को देख मां का कलेजा फटता था। आखिर में चल पड़ीं निर्जला सूर्योपासना के इस व्रत को करने। चार दिवसीय इस व्रत के दौरान वैदिक रीति के मुताबिक निर्धारित तमाम नियमों का पालन खोदैदा करती हैं। इस दौरान खुदा की इबादत भी होती है। लेकिन, ध्यान यह रहता है कि सबकुछ पूरे विधि-विधान के साथ हो।

पहली बार पैसों की तंगी ने किया था परेशान

साहबजान बताते हैं कि पहली छठ में परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। सो, पाई-पाई जोड़कर छठ का व्रत किया। पहला पर्व उठाते ही शुभ संकेत मिला। बेटे को नौकरी भी मिल गई। ज्योतिषाचार्य पंडित सत्यदेव मिश्र ने कहा कि सूर्य की उपासना से ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होती है। भगवान सूर्य की पूजा करने से साधक न सिर्फ तेजस्वी होता है, बल्कि अनेक व्याधियों से मुक्त भी हो जाता है।


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