दिखावा रहित होता महापर्व का अनुष्ठान, पुरोहित की भी जरूरत नहीं
परिवार की सुख-समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किए जानेवाले इस महापर्व की एक खासियत यह भी है कि इसे करने के लिए किसी पुरोहित या पंडित की जरूरत नहीं होती।
मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। छठ पूजा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी, पवित्रता और आडंबर व दिखावा से रहित होना है। इसमें न मंदिर की जरूरत होती, ना ही प्रतिमा की। ऋचाओं व वेद मंत्रों की भी दरकार नहीं। पं. धीरज झा 'धर्मेश' बताते हैं कि परिवार की सुख-समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किए जानेवाले इस महापर्व की एक खासियत यह भी है कि इसे करने के लिए किसी पुरोहित या पंडित की जरूरत नहीं होती। सदर अस्पताल स्थित मां सिद्धेश्वरी दुर्गा मंदिर के पुजारी पं. देवचंद्र झा बताते हैं कि सूर्य की शक्तियों का मुख्य स्त्रोत उनकी पत्नी उषा और प्रत्यूषा हैं। छठ पर्व में सायंकाल सूर्य की अंतिम किरण (प्रत्यूषा) तथा प्रात:काल सूर्य की पहली किरण (उषा) को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर के साथ-साथ इन दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना की जाती। कमर भर पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य का ध्यान करते समय व्रतियों के मन में प्रार्थना का यह भाव रहता है कि हे सूर्यदेव, हमारे तन-मन-जीवन का खारापन मिटाकर निर्मल-मधुर करें, जिससे गगन से बरसने वाले पवित्र जल की तरह हम स्वयं के साथ ही जन-गण-मन के लिए मंगलकारी हो सकें।
मां जानकी ने भी किया था छठ
छठ पर्व का इतिहास बहुत ही पुराना है। इसका वर्णन रामायण काल से लेकर महाभारत काल तक में होता है। किवदंती है कि मुंगेर के सीता चरण में मां जानकी ने छह दिनों तक रहकर छठ पूजा की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार 14 वर्ष के वनवास के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे थे तो रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों के निर्देश पर राजसूई यज्ञ करने का फैसला किया। इसके लिए मुग्दल ऋषि को आमंत्रण दिया गया था, लेकिन ऋषि ने भगवान राम एवं जानकी को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया। ऋषि की आज्ञा पर श्री राम-जानकी यहा आए। उन्हें पूजा-पाठ के बारे में बताया गया। मुग्दल ऋषि ने मा सीता को गंगा जल से पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया। यहीं रह कर मां जानकी ने भगवान भास्कर की पूजा की। कुछ लोग इस महापर्व का प्रारंभ महाभारत काल से मानते हैं। कुंती द्वारा सूर्य की आराधना पुत्र कर्ण के जन्म के समय से माना जाता है।