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स्वतंत्रता के सारथी: हाशिये पर बैठीं बच्चियों-महिलाओं को मिल रहे अधिकार और पहचान, रेड लाइट एरिया की बदल रही तस्वीर

Bihar News बिहार के मुजफ्फरपुर सिटी पुलिस के आला अफसर की पहल ने रेड लाइट एरिया की महिलाओं की जिंदगी में बदलाव लाने का काम किया है। ये महिलाएं जहां एक ओर सिलाई-कढ़ाई का काम कर रही हैं। वहीं इस इलाके के बच्चे भी पाठशाल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। पुलिस की इस पहल में एक स्थानीय महिला ने भी बढ़-चढ़कर अपना सहयोग दिया है।

By Amrendra Tiwari Edited By: Yogesh Sahu Updated: Fri, 09 Aug 2024 08:26 PM (IST)
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Bihar News: पुलिस पाठशाला में सिलाई करती महिलाएं। जागरण

अमरेंद्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। Bihar News: रेड लाइट एरिया को लोग हेय दृष्टि से देखते हैं। इस नजरिये को बदलने का काम करने के साथ यहां के लोगों को समाज में उचित स्थान दिलाने का काम बीते नौ माह से कर रहे हैं बिहार के मुजफ्फरपुर के सिटी एसपी अवधेश सरोज दीक्षित।

वे रेड लाइट एरिया चतुर्भुज स्थान की बेटियों और महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिए उन्हें शिक्षित करने के साथ रोजगार से जोड़ रहे हैं। उन्हें अधिकारों की जानकारी देने के साथ सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करते हैं।

एक नाम नसीमा का भी

हाशिये पर बैठी बच्चियों-महिलाओं को अधिकार और पहचान दिलाने के इस काम में सहयोग कर रहीं रेड लाइट एरिया की बच्चियों के लिए काम करने वाली नसीमा।

नसीमा अपने घर पर कोचिंग व सिलाई-कढ़ाई सेंटर चलाती थीं। इसकी जानकारी आईपीएस सिटी एसपी अवधेश सरोज दीक्षित (IPS Avdhesh Saroj Dixit) को हुई तो नसीमा के आवास पर गए।

वहां संसाधनों के अभाव के साथ जगह की कमी थी। इस पर उन्होंने नसीमा से बात कर जरूरी मदद के साथ इस इलाके के पुलिस टीओपी (टाउन आउट पोस्ट) कन्हौली परिसर में इसके संचालन की व्यवस्था करने का प्रस्ताव रखा।

पुलिस पाठशाला की केयर टेकर नसीमा। जागरण

सहमति के बाद टीओपी में नवंबर, 2023 में इसकी शुरुआत हुई। नाम रखा गया 'पुलिस पाठशाला'। यहां नसीमा की संस्था परचम से जुड़े बीए फाइनल के छात्र आरिफ को समन्वयक तथा नसीमा व टीओपी प्रभारी नागेंद्र कुमार को केयर टेकर का दायित्व दिया गया।

शाम में दो घंटे चार से छह बजे तक यहां पाठशाला चलती है। पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। आरिफ व नसीमा बच्चों को पढ़ाते हैं। 10 बच्चों से शुरू हुई पाठशाला में यह संख्या बढ़कर 90 हो गई है।

सप्ताह में दो से तीन दिन खुद सिटी एसपी पहुंचते हैं। वहां की व्यवस्था देखने के साथ बच्चों को पढ़ाते हैं। उनके बीच बैठकर उनकी समस्या जानते हैं।

स्वयं सहायता समूह से जोड़ा

इसके बाद सिटी एसपी ने यहां की महिलाओं व लड़कियों को रोजगार से जोड़कर जीवन में बदलाव लाने का निर्णय लिया। टीओपी परिसर में ही निशुल्क सिलाई व कढ़ाई ट्रेनिंग सेंटर की शुरुआत कराई।

चार से शुरू इस सेंटर में अभी 25 महिलाएं व लड़कियां ट्रेनिंग ले रही हैं। कई प्रशिक्षण लेकर अपना काम शुरू कर चुकी हैं। यहां की 10 महिलाओं का स्वयं सहायता समूह भी बनाया गया है।

इसकी समन्वयक सिलाई सिखाने वाली समीमा खातून हैं। उनका कहना है कि पहले काम व जगह का संकट था। अब नहीं रहा। सिटी एसपी का संरक्षण मिलने के बाद अब काम की भी कमी नहीं रहती।

पुलिस पाठशाला के बच्चों अपने कार्यालय में बैठाकर प्रेरित करते सिटी एसपी अवधेश सरोज दीक्षित।

प्रशिक्षण ले चुकी एक महिला प्रतिदिन दो से तीन सौ रुपये की आमदनी कर रही है। सिलाई के अलावा 35 महिलाओं की साफ्ट ट्वाय बनाने का प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई है।

सिटी एसपी को इस एरिया में काम करने के दौरान पता चला कि अधिकतर सरकारी योजनाओं के बारे में यहां के लोगों को नहीं पता।

बातचीत में महिलाओं ने बताया कि उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ कागजात के अभाव में नहीं मिल पाता। इस पर उन्होंने सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के साथ आधार कार्ड व दिव्यांग कार्ड बनवाने के लिए समय-समय पर शिविर लगवाने तथा बैंक में खाता खुलवाने में मदद देना शुरू किया।

इलाज की व्यवस्था के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन भी किया जाता है। शिविर में आयुष्मान कार्ड बनवाकर इलाज की भी व्यवस्था की जाती है।

40 बच्चों के आधार कार्ड बनवाने के साथ 25 दिव्यांग को सरकार संचालित बुनियाद केंद्र से जोड़ा गया है। वहां से ट्राई साइकिल सहित अन्य सरकारी मदद मिलती है। 50 का बैंक एकाउंट खुलवाया गया है।

अधिकारों की जानकारी के लिए सप्ताह में एक दिन स्पेशल क्लास चलाई जाती है, जिसमें सिटी एसपी, अन्य कोई अधिकारी या फिर एक्सपर्ट आते हैं। दिन पहले से ही तय कर दिया जाता है।

पुलिस पाठशाला को लेकर जागरूकता बैठक करते सिटी एसपी अवधेश सरोज दीक्षित।

अब बाहर से आकर पढ़ाते हैं लोग

नसीमा कहती हैं कि बचपन से ही देखा कि यहां के लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है। बाहर के लोग बातचीत करने से भी परहेज करते थे। अब यहां पर बाहर वाले भी आकर पढ़ा रहे।

अप्पन पाठशाला के संचालक सुमित कुमार, नाका प्रभारी नागेंद्र कुमार, पुलिसकर्मी कृष्णा, जीतलेश, राकेश और धीरज की पाठशाला के संयोजक धीरज श्रीवास्तव भी समय-समय पर बच्चों को पढ़ाने आते हैं।

अब तो इस इलाके के बाहर के गरीब बच्चे भी यहां पढ़ने आ रहे हैं। सुबह में सिलाई-कढ़ाई व शाम में पाठशाला चलती है।

सिटी एसपी खुद अपने पत्नी आइपीएस काम्या मिश्रा और माता-पिता के साथ आकर यहां के बच्चों का जन्मदिन मनाते हैं।

टाउन एएसपी भानु प्रताप परिवार के साथ आकर यहां के बच्चों से मिलते रहते हैं। इससे यहां की महिलाओं, लड़कियों व बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा है।

जो बच्चे, लड़कियां व महिलाएं पुलिस की लाल टोपी से देखकर डरती थीं, आज उनको एक मददगार मान रही हैं। इस इलाके के लोगों को समानता का अधिकार दिलाने की यह एक बेहतर पहल है।

पुलिस पाठशाला शिक्षा से वंचित बच्चों को पढ़ाने के साथ इस परिसर का उपयोग लड़कियों व महिलाओं को रोजगार से जोड़ने, उनको सरकार की योजनाओं की जानकारी व लाभ दिलाने की एक पहल है। इसमें स्थानीय नागरिकों के साथ वरीय प्रशासनिक अधिकारियों का भी सहयोग मिल रहा है। -अवधेश सरोज दीक्षित, सिटी एसपी, मुजफ्फरपुर

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