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पंडई नदी का बदल रहा भूगोल, ऐतिहासिक गांव पर मंडरा रहे संकट के बादल West Champaran News

चंपारण आंदोलन के सूत्रधार रहे पंडित राजकुमार शुक्ल का गांव मुरली भरहवा झेल रहा तबाही। कटाव से सैकड़ों एकड़ खेती और पेड़ नदी में समाहित एक दशक में दोगुनी हुई पंडई की चौड़ाई।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 09:19 AM (IST)Updated: Wed, 18 Sep 2019 09:19 AM (IST)
पंडई नदी का बदल रहा भूगोल, ऐतिहासिक गांव पर मंडरा रहे संकट के बादल West Champaran News
पंडई नदी का बदल रहा भूगोल, ऐतिहासिक गांव पर मंडरा रहे संकट के बादल West Champaran News

पश्चिम चंपारण [प्रभात मिश्र]। चंपारण सत्याग्रह आंदोलन के सूत्रधार पंडित राजकुमार शुक्ल का गांव मुरली भरहवा पंडई नदी की तबाही झेल रहा। नदी ने दोनों तरफ कटाव कर ऐसी तबाही मचाई है कि अनगिनत पेड़ बह गए हैं। सैकड़ों एकड़ खेत नदी में समाहित हो गए हैं। इस बदलते भूगोल के चलते ऐतिहासिक गांव पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ग्रामीणों ने गांव व खेत बचाने के लिए अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगाई। लेकिन, कोई आगे नहीं आया।

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पंडित राजकुमार शुक्ल का जन्म लौरिया प्रखंड के सतवरिया गांव में हुआ था। बाद में वे मुरली भरहवा आकर बसे और खेती करने लगे। उनके बुलावे पर ही महात्मा गांधी नील के किसानों की समस्या जानने चंपारण आए थे। ऐसे ऐतिहासिक गांव के वजूद पर पंडई के कटान से संकट है। पिछले एक दशक में इस नदी की चौड़ाई दोगुनी से अधिक हो गई है। कटाव व रास्ता बदलने से नदी के दोनों किनारों की सैकड़ों एकड़ भूमि रेत बन गई है। इसके अलावा नदी विश्वंभरापुर और बरगजवा गांव की खेती भी बर्बाद कर रही है। बरगजवा के युवा किसान विवेक कुमार ङ्क्षसह ने तकरीबन 15 एकड़ में पौधे लगाए थे। सैकड़ों पौधों व पेड़ के साथ गन्ने की फसल नदी में समाहित हो गई।

 मुरली भरहवा गांव निवासी अजय यादव, मेघा यादव, मनोज शुक्ला, अवधेश प्रसाद और जगत प्रसाद का कहना है कि प्रतिवर्ष नदी तबाही मचाती है। नदी अब तक तकरीबन चार सौ एकड़ भूमि का कटाव कर चुकी है। स्वाधीनता सेनानी पंडित राजकुमार शुक्ल के नाती मणिभूषण राय कहते हैं कि इस ऐतिहासिक गांव के प्रति सरकार गंभीर नहीं है। नदी से तबाही तो है ही, मुख्य सड़क का निर्माण तक नहीं हो सका। पुल भी नहीं है।

गांव को बचाने के लिए संघर्ष

एमबीए कर अच्छी-खासी नौकरी छोड़ खेती करने वाले विवेक अब गांव को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने अंचल के अधिकारियों से लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्राचार किया है। कई अधिकारियों से मिल चुके हैं। संबंधित विभाग व उसके मंत्रालयों से गुहार लगा चुके हैं। उनका कहना है कि कटाव रोधी निर्माण जरूरी है। उनके प्रयास के चलते पिछले दिनों गौनाहा अंचल प्रशासन ने मौके का मुआयना किया। बांध निर्माण के लिए जिला प्रशासन को रिपोर्ट भेजी है।

नेपाल से निकलती है नदी

पंडई नेपाल से निकलकर भारतीय सीमा के भिखनाठोरी में प्रवेश करती है। वीटीआर के मंगुराहा रेंज के बीचों-बीच बहते हुए गौनाहा प्रखंड में आती है। महात्मा गांधी आश्रम भितिहरवा से जुड़े श्रीरामपुर गांव से आगे बढ़ती हुई मुरली भरहवा में प्रवेश करती है।

रामनगर विधायक भागीरथी देवी कहती हैं कि पंडई नदी से मुरली भरहवा गांव और खेती को बचाने के लिए बांध का निर्माण होगा। संबंधित विभाग के पदाधिकारी और मंत्री से मिलूंगी।


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