नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का महापर्व शुरू
सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ शनिवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। पर्व को लेकर व्रतियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। शनिवार को सुबह से ही व्रतियों ने साफ-सफाई के साथ स्नान कर कद्दू की सब्जी अरवा चावल का भात व चने की दाल सहित विविध व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाया।
मुजफ्फरपुर। सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ शनिवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। पर्व को लेकर व्रतियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। शनिवार को सुबह से ही व्रतियों ने साफ-सफाई के साथ स्नान कर कद्दू की सब्जी, अरवा चावल का भात व चने की दाल सहित विविध व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाया। इसके बाद सपरिवार प्रसाद ग्रहण किया। जगदंबा नगर, बैरिया के आचार्य अभिनय पाठक ने बताया कि नहाय-खाय के साथ ही व्रतियों का नियम शुरू हो जाता है। इसमें महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी यह व्रत रखते हैं। चार दिवसीय महापर्व के दूसरे दिन रविवार की शाम छठ व्रती भगवान भास्कर की पूजा के साथ लोहंडा (खरना) करेंगे। इसमें भगवान को गुड़ से बनी खीर व रोटी का प्रसाद अर्पित किया जाएगा। इसी के साथ व्रतियों का 36 घटे का उपवास शुरू होगा, जो मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूर्ण होगा। रविवार को खरना के बाद व्रती अगले दिन सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। ज्ञान व पद की होती प्राप्ति
रामदयालु स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पं.रमेश मिश्र बताते हैं कि सूर्य देव की पूजा से ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होती है। प्रतिदिन पूजा करने से व्यक्ति में आस्था और विश्वास पैदा होता है। सूर्यदेव की पूजा मनुष्य को निडर व बलवान बनाती है। इससे अहंकार, क्रोध, लोभ, इच्छा, कपट और बुरे विचारों का नाश होता है। मानव परोपकारी स्वभाव का बनता है और आचरण कोमल व पवित्र होता है।
पर्व में सभी जाति-धर्म की सहभागिता
उमेश नगर, जीरोमाइल के नीरज बाबू ने बताया कि सूर्य षष्ठी एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें सामाजिक समरसता खूब दिखती है। इसमें जाति व धर्म का बंधन खत्म हो जाता है। पर्व में सभी जाति-धर्म के लोगों की सहभागिता सुनिश्चित होती है। हर धर्म व जाति के लोग कंधे से कंधा मिलाकर घाटों की साफ-सफाई करने में जुटे रहते हैं। पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह है।