केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति समावेशी व सबके लिए हितकर, मोतिहारी में बोले-मंत्री प्रमाेद कुमार
East Champaran News पूर्वी चंपारण के मुंशी सिंह कॉलेज में बुस्टा के महाधिवेशन का गन्ना उद्योग मंत्री प्रमोद कुमार ने किया उद्घाटन। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 चुनौतियां व इसमें शिक्षक संगठनों की भूमिका विषय पर हुई परिचर्चा।
मोतिहारी, जासं। राज्य के गन्ना उद्योग एवं विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि शिक्षा को लेकर कई चुनौतियां सामने हैं। उन चुनौतियों एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर नई शिक्षा नीति बनाई गई है। यह समावेशी होने के साथ ही सबके लिए हितकारी भी है। वे मुंशी सिंंह महाविद्यालय के सभागार में आयोजित बुस्टा (बिहार यूनिवर्सिटी सर्विस टीचर्स एसोसिएशन) के एक दिवसीय महाधिवेशन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने कल और आज की शिक्षा व्यवस्था की तुलना करते हुए कहा कि पहले अपेक्षाकृत कम संसाधन में भी शिक्षा की गुणवत्ता उच्चस्तरीय होती थी। अब तो संसाधनयुक्त व्यवस्था में नई तकनीक का भी सहारा लिया जा रहा है। उम्मीद है कि बेहतर परिणाम सामने आएंगे।
शिक्षा में वर्ण, नस्ल, जाति अथवा धर्म के आधार पर विभेद नहीं होना चाहिए। सबको समान रूप से शिक्षा पाने का अधिकार है। इससे पहले उन्होंने विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय, विधान पार्षद डा. वीरेंद्र नारायण यादव, विधान पार्षद संजय कुमार ङ्क्षसह, एलएस कालेज के प्राचार्य डा. ओमप्रकाश राय, प्रो. सतीश कुमार राय, एलएनडी कालेज के प्राचार्य डा. अरुण कुमार, पूर्व कुलपति डा. रवींद्र कुमार रवि आदि के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर महाधिवेशन के उद्घाटन की औपचारिकता पूरी की।
इसके बाद महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. (डा.) अरुण कुमार ने मंत्री सहित सभी अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र, पुष्पगु'छ एवं स्मृति चिन्ह देकर किया। इसी क्रम में अतिथियों ने महाधिवेशन से संबंधित स्मारिका का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में Óराष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : चुनौतियां और इसमें शिक्षक संगठनों की भूमिकाÓ विमर्श का विषय रहा। अपने संबोधन में विधान पार्षद सह शिक्षक नेता डा. संजय कुमार सिंंह ने कहा कि उ'च शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण एक दुखद अध्याय है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
विधान पार्षद डा. वीरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि उ'च शिक्षा के क्षेत्र में नया प्राण फूंके जाने की जरूरत है। इसके लिए सकारात्मक सोच के साथ सार्थक कोशिश की जानी चाहिए। विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय ने कहा कि नई शिक्षा नीति में बहुत कुछ ग्रहण करने योग्य है और बहुत कुछ सर्वथा त्याज्य। उन्होंने शिक्षकों से संगठित होने का आह्वान करते हुए कहा कि कलयुग में संगठन ही शक्ति है। निर्धारित विषय पर विमर्श के दौरान सबने अपने अनुभवों के आधार पर विचार साझा किया। आधार व्याख्यान डा. प्रमोद कुमार (महाविद्यालय निरीक्षक कला एवं वाणिज्य) ने दिया।
मंचीय कार्यक्रम से पूर्व परिसर में स्थापित महाविद्यालय के संस्थापक मुंशी सिंंह सहित अन्य विभूतियों की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर डा. सतीश कुमार राय, जयकांत सिंंह जय, डा. विपिन कुमार राय, डा. चंचल रानी, डा. एसके झा, डा. नीलिमा झा, डा. शिखा राय समेत सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाएं मौजूद रहीं। प्रारंभ में स्वागत भाषण महाविद्यालय के प्राचार्य डा. अरुण कुमार ने दिया। जबकि मंच संचालन की जिम्मेदारी अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डा. (मो.) एकबाल हुसैन ने प्रभावशाली तरीके से किया। धन्यवाद ज्ञापन डा. रेवती रमण झा के द्वारा किया गया।