सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में कहा Muzaffarpur shelter home में किसी बच्ची की नहीं हुई हत्या
Muzaffarpur shelter home कहा जिन बच्चियों की हत्या की आशंका जताई गई थी वे सभी जीवित पाई गईं। खोदाई में मिले दो कंकाल किसी और के एक कंकाल महिला और एक पुरुष का था।
मुजफ्फरपुर/दिल्ली, जेएनएन। मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में बुधवार को सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आश्रय गृह में किसी बच्ची की हत्या के सुबूत नहीं मिले हैं। जिन बच्चियों की हत्या की आशंका जताई गई थी, वे सभी बच्चियां जीवित हैं। सीबीआइ ने यह भी कहा कि वहां खोदाई में पाए गए दो कंकाल किसी और के हैं और फोरेंसिक जांच में पता चला है कि उनमें से एक कंकाल महिला का और एक पुरुष का है।
यह बात सीबीआइ की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह और बिहार के अन्य आश्रय गृहों में बच्चों के यौन शोषण के मामलों की जांच का मुद्दा उठाने वाली निवेदिता झा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआइएसएस) की रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर और अन्य आश्रय गृहों में बच्चों के यौन शोषण के आरोप सामने आने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ा था और सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर सहित सभी 17 आश्रय गृहों की जांच सीबीआइ को सौंपी थी। इस मामले में सीबीआइ ने गत सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में स्थिति रिपोर्ट और अर्जी दाखिल की थी, जिसमें जांच का ब्योरा दिया गया था।
बुधवार को प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ में हुई सुनवाई के दौरान केके वेणुगोपाल ने कहा कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में किसी भी बच्ची की हत्या के सुबूत नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि वहां दो कंकाल बरामद हुए थे, लेकिन वे किसी और के थे। फोरेंसिक जांच में पता चला कि कंकाल एक महिला और एक पुरुष का था।
उन्होंने कहा कि जिन बच्चियों की हत्या की आशंका जताई जा रही थी वे सभी 35 बच्चियां मिल गई हैं और जीवित हैं। सीबीआइ ने स्टेटस रिपोर्ट में बताया है कि सभी 17 आश्रय गृहों की जांच पूरी कर ली है। 17 में से 13 मामलों में जांच के बाद अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिए गए हैं जबकि चार मामलों में प्रारंभिक जांच के बाद अपराध का पता नहीं चला इसलिए उन मामलों को बंद कर दिया गया।
सीबीआइ ने बिहार सरकार से लापरवाही के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की है। साथ ही संबंधित गैरसरकारी संगठनों का पंजीकरण रद करने और उन्हें काली सूची में डालने की बात भी कही है। अटॉर्नी जनरल ने स्टेटस रिपोर्ट के साथ दाखिल अर्जी का जिक्र करते हुए कोर्ट से कहा कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है, ऐसे में जांच टीम में शामिल दो अधिकारियों को मुक्त कर दिया जाए।
दूसरी ओर याचिकाकर्ता के वकील शोएब आलम ने अधिकारियों को मुक्त करने का विरोध करते हुए कहा कि अभी जांच पूरी नहीं हुई है। उन्होंने गत वर्ष जून के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उसमें कोर्ट ने सीबीआइ से आश्रय गृह में बाहरी लोगों के आने-जाने, मानव तस्करी और आइटी एक्ट के पहलू से भी जांच करने के आदेश दिए थे। वो जांच पूरी नहीं हुई है इसलिए अभी अधिकारियों को मुक्त कर जांच टीम को भंग नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चियों ने 161 के बयान में हत्या किए जाने की बात कही है। इस पर पीठ ने उनसे कहा कि वह अर्जी का जवाब दाखिल करें।
कोर्ट ने सीबीआइ की स्टेटस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए दोनों अधिकारियों को अंतरिम तौर पर मुक्त कर दिया है। सोमवार को सीबीआइ की ओर से दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में 25 जिलाधिकारियों और 46 अन्य सहित कुल 71 अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही बरतने में विभागीय कार्रवाई की सिफारिश बिहार सरकार से की गई है।