Move to Jagran APP

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस : CBI के हाथ लगा नरकंकाल, उठेंगे कई राज से पर्दे

मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन हिंसा कांड की सीबीआइ को जांच में करीब 15 साल की एक लड़की का नरकंकाल मिला है। सीबीआइ ने इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 05 Oct 2018 02:38 PM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 12:45 AM (IST)
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस : CBI के हाथ लगा नरकंकाल, उठेंगे कई राज से पर्दे
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस : CBI के हाथ लगा नरकंकाल, उठेंगे कई राज से पर्दे

दिल्ली/मुजफ्फरपुर (जेएनएन)।  मुजफ्फरपुर बालिका संरक्षण गृह यौन उत्पीडऩ मामले में सीबीआइ को एक बड़ी उपलब्धि हाथ लगी है। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान एजेंसी ने इस कांड की जांच का ब्योरा देते हुए कोर्ट को बताया कि उसे जांच में करीब 15 साल की एक लड़की का कंकाल मिला है।
पीडि़ताओं ने भी दी थी जानकारी 
जिसकी बात पीडि़ताओं ने पुलिस पूछताछ के दौरान भी बताई थी। इसके बाद बालिका ग्रह परिसर की खोदाई भी कराई गई थी, लेकिन उस समय इस तरह का कोई कंकाल हाथ नहीं लगा था। करीब 15 साल की किशोरी का कंकाल मिलने की सूचना के बाद ऐसा माना जा रहा है कि सीबीआइ इस कंकाल रूपी सूत्र को पकड़ कर मामले की तह तक जा सकती है। एजेंसी के वकील ने कहा कि पीडि़त लड़कियों से बातचीत के लिए निम्हांस की मदद अभी एक हफ्ते और चाहिए।  
तंत्र सक्षम नहीं 
 गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका संरक्षण गृह यौन उत्पीडऩ मामले की सुनवाई करते हुए गुरुवार को तल्ख टिप्पणी की। उसका कहना था कि मौजूदा तंत्र संरक्षण गृहों में यौन उत्पीडऩ की समस्या से निपटने में सक्षम नहीं है। अगर तंत्र सक्षम होता तो मुजफ्फरपुर की घटना नहीं होती। अदालत ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से बाल संरक्षण नीति का रोडमैप बताने को कहा है। कोर्ट ने मंत्रालय के संयुक्त सचिव को सोमवार को कोर्ट में बुलाया है ताकि वह सुनवाई मे मदद करे और कोर्ट को बताए कि बाल नीति, पीडि़तों के पुनर्वास और काउंसलिंग के बारे में सरकार की क्या योजना है?  
काउंसलिंग की जरूरत
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने उपरोक्त निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मुजफ्फरपुर की पीडि़ताओं का जिक्र करते हुए कहा कि 34 पीडि़त लड़कियां हैैं, उन्हें काउंसलिंग की जरूरत है। ऐसी ही और भी कई लड़कियां होंगी, जिन्हें काउंसलिंग की दरकार होगी। किसी को तो कुछ करना चाहिए। पीठ का कहना था कि उन्होंने पहले भी बाल संरक्षण नीति बनाने पर विचार करने को कहा था, लेकिन उस बारे में कुछ भी नहीं हुआ। केंद्र की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस बारे में राज्यों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है। जल्द ही सबकी बैठक बुलाई जाएगी और ऐसे मामलों में क्या कार्रवाई होनी चाहिए, उसे राज्यों को भेजा गया है। 
आंध्र प्रदेश में भी कार्रवाई हो
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि दस राज्यों ने अपने यहां के संरक्षण गृहों की रिपोर्ट केंद्र को सौंप दी है। आंध्र प्रदेश ने स्वीकार किया है कि उसके यहां एक संरक्षण गृह मे 26 बच्चों का यौन शोषण हुआ है, उस पर कार्रवाई की गई है। न्यायमित्र अपर्णा भïट्ट ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि संरक्षण गृहों के तीन सर्वे हुए हैैं। जांच चल रही और नए-नए मामले सामने आ रहे हैैं, उन मामलों पर तुरंत कार्रवाही और पीडि़तों के पुनर्वास का इंतजाम होना चाहिए।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.