Move to Jagran APP

पुनर्वास के जमीन मिल गेल रहइत, त घर बनाकर बस गेल रहती Muzaffarpur News

बाराखुर्द में एक चापाकल के सहारे दो सौै परिवार पांच वर्षों से बांध किनारे रहते परिवार पानी बढऩे पर आ जाते बांध पर।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 27 Jul 2019 09:56 AM (IST)Updated: Sat, 27 Jul 2019 09:56 AM (IST)
पुनर्वास के जमीन मिल गेल रहइत, त घर बनाकर बस गेल रहती Muzaffarpur News
पुनर्वास के जमीन मिल गेल रहइत, त घर बनाकर बस गेल रहती Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, [शीतेश कुमार]। बागमती नदी की धारा व उपधारा के बीच बसे बाराखुर्द गांव के चारों तरफ पानी ही पानी नजर आता है। यहां 200 घर बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। धान की फसल, सब्जी की खेती बर्बाद हो गई है। पीडि़त गांव छोड़कर किसी तरह नाव के सहारे बांध पर आकर शरण लिए हुए हैं।

loksabha election banner

पशुचारा व जलावन के लिए नाव से इस पार से उस पार जाते हैं। यहां पशुचारा लाने जा रही रामपरी देवी ने कहा कि सरकार बागमती बांध बांधलक, वो से सुख थोड़े, खाली दुखे- दुख हई। बांध बने से पहिले पानी चारों तरफ फैल जाए त एतना दिक्कत ना होए। बांध के कारण एतना पानी आ जाइए कि हर साल बांध पर आवे के मजबूरी हई।

सरकार हमरा सबके पुनर्वास की जमीन भी न देलक। अगर हमरा सबके जमीन मिल गेल रहइत, त घर बनाकर बस गेल रहती। यहां पर दो सौ घर है जिसमें एक चापाकल है जहां से पानी लेने में भी परेशानी होती है। माल-मवेशी के सुखल भूसा खियाबे के परइत हइ। अभी तक हमारा सब के प्लास्टिक भी न मिलल हअ। सुनीता देवी ने कहा कि पांच साल से बांध के बगल में घर बना के रहइ छी।

बाढ़ अबईय तब भैंस- बकरी सबके लेके बांध पर चल अबइ ले। रामदुलारी देवी ने कहा किसी तरह से नदी पार करके जाके कोनो उपाय से हरा घास लबइ छी, तब माल के खियाबइ छी। सुधा देवी ने बताया कि छओ ठो बकरी और एक भैंस हए। बाढ़ के कारण सब गांव में में फसल हए। दिन में एक बार जाके कहीं-कहीं से घास काट के मवेशी के खिला के बांध पर चल अबई छी।बता दें कि अतरार पंचायत का बारा खुर्द गांव बागमती नदी की मुख्य धारा व उपधारा के बीच स्थित है।

नहीं मिली राहत सामग्री

वार्ड 7 अंतर्गत 239 परिवार पूर्णरूपेण प्रभावित हैं। इस गांव से 40 परिवार बागमती परियोजना उत्तरी बांध पर बभनगामा के पास रहता है।ं इस बार आई बाढ़ में 40 परिवार को सरकारी स्तर पर पॉलिथीन शीट दिया गया है। कुछ लोग गांव में हैं तो अधिकतर लोग बागमती परियोजना दक्षिणी बांध पर अतरार के पास बसे हुए हैं। इनलोगों को अभी तक सरकारी स्तर पर प्लास्टिक का भी वितरण नहीं किया गया है। पानी के नाम पर सिर्फ एक सरकारी चापाकल है जहां सभी लोग बारी-बारी से पानी ले जाते हैं। एक चापाकल पहले से खराब है। घर के लोग मजदूरी कर लाते हैं तो अपने परिवार और बाल बच्चों का भरण पोषण होता है।

पशुचारा व जलावन की किल्लत

मवेशी के लिए पशु चारा व जलावन के लिए लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां के योगेंद्र मांझी, पलधर मांझी, दिनेश मांझी आदि ने कहा कि बांध पर कोई सुविधा नहीं है। एक चापाकल खराब है। मवेशी के बांध पर रखले छी। हरियर घास के कोई उपाय ना है तब खाली भूसा के उपाय क के मवेशी के खिबैछी।

मवेशियों का हो रहा टीकाकरण

पशु चिकित्सक डॉ. नरेंद्र तिवारी ने कहा कि बागमती परियोजना दक्षिणी बांध पर बसे विस्थापितों के मवेशियों को टीकाकरण किया जा रहा है। यहां के विस्थापितों को दवा के लिए एक किलोमीटर की दूरी पर अमनौर बाजार जाना होता है। लोग साग- सब्जी भी यहीं से लाते हैं। 

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.