140 से 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं दिल्ली जाने वाली बसें, थोड़ी सी भी चूक होने पर हो जाता सब तबाह
अनियंत्रित रफ्तार को रोकने के लिए लगे स्पीड गवर्नर बेकार साबित हो रहे। 60 किमी प्रति घंटा ही होनी चाहिए अधिकतम रफ्तार।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। दिल्ली से शिवहर आ रही बस की बीते बुधवार की रात लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर फीरोजाबाद के नगला खंगर के पास बीते बुधवार को हुई भीषण दुर्घटना ने एक बार फिर इन बसों के बेलगाम संचालन पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। बिहार की विभिन्न जगहों से दिल्ली का फेरा लगाने वाली बसें सड़क हादसे का शिकार हो रही हैं। इन हादसों में कई की मौत हो रही तो कई अपंग बन कर जिंदगी काटने को विवश हैं।
अनियंत्रित रफ्तार
पिछले कुछ महीनों में इन बसों में हादसों की संख्या बढ़ रही है। इन हादसों के पीछे एक सबसे बड़ी वजह तेज व अनियंत्रित रफ्तार होती है। इन हादसों में भले ही कई परिवार की खुशियां खत्म हो रही हो मगर, बस संचालक दोनों हाथों से रुपये बटोरते हैं। इन हादसों में कठघरे में परिवहन विभाग भी है।
रफ्तार तय
सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह तेज रफ्तार को मानते हुए परिवहन विभाग ने बसों की रफ्तार तय करते हुए इसे नियंत्रित करने के लिए बस समेत सभी कमर्शियल एवं निजी वाहनों में 'स्पीड गवर्नर' लगाने की व्यवस्था की थी। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने बस समेत सभी व्यावसायिक वाहनों की अधिकतम रफ्तार 60 किलोमीटर प्रति घंटा तय की थी।
मगर स्थिति यह है कि दिल्ली जाने वाली बसें 140-150 के स्पीड से चलती है। ऐसे में हादसों का होना स्वाभाविक है। परिवहन विभाग की माने तो बस समेत अधिकतर कमर्शियल वाहनों में स्पीड गवर्नर लग चुके हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल कि जब दिल्ली की बसों में भी स्पीड गवर्नर लगे हैं तो इनकी रफ्तार बेलगाम क्यों है?किसे है जांच का जिम्मा?हादसे में होने वाले इन मौतों का जिम्मेदार कौन-कौन है?
अलग अलग स्पीड है तय
सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए वाहनों पर यह स्पीड गवर्नर लगाने की व्यवस्था की गई। इसमें छेड़छाड़ न हो हो इसके लिए इसे सील भी करने की व्यवस्था की गई। हर वाहन के लिए अलग-अलग स्पीड तय की गई है।
स्कूल बसों के लिए 40 किमी प्रति घंटा तय की गई। बस समेत सभी व्यावसायिक वाहनों के लिए 60 किमी प्रति घंटा तय एवं सवारी वाहनों के लिए की 80 किमी प्रति घंटा तय की गई।
यह है स्पीड गवर्नर
स्पीड गर्वनर एक ऐसी डिवाइस है, जो वाहन की रफ्तार को रेगुलेटर की तरह सेट कर देता है। डिवाइस में सेट की गई स्पीड से वाहन तेज नहीं चल सकता है। स्पीड गर्वनर में ऑटोमेटिक सेंसर लगे होते हैं, जो गाड़ी की स्पीड को रीड करते रहते हैं। स्पीड गर्वनर इंजन के पास लगा होता है। जो एक्सीलेटर ज्यादा लेने पर स्पीड को निर्धारित सीमा में नियंत्रित करता है।
टूरिस्ट परमिट पर चल रही दिल्ली बस सेवा
परिवहन नियमों की धज्जियां उड़ा कर दिल्ली बस सेवा का संचालन हो रहा है। संचालकों के रसूख के आगे परिवहन अधिकारी बेबस है। ये बसें परमिट का उल्लंघन कर संचालित किए जा रहे हैं। टूरिस्ट परमिट पर बसों का संचालन हो रहा है। बैरिया बस पड़ाव से हर दिन करीब तीन से चार दर्जन बसों का परिचालन होता है। बताया जाता है कि इनमें अधिकतर यूपी से रजिस्टर्ड हैं। अधिकतर परमिट का उल्लंघन करते हैं। गोपालगंज के रास्ते सभी बसें बिहार में प्रवेश करती हैं। बताया जाता है कि बस संचालक एक महीने के लिए 12 हजार रुपये शुल्क जमा करते हैं।
बसों की संख्या भी बढ़ी
दिल्ली जाने वाली ट्रेनों में जगह नहीं मिलने से पिछले दो-तीन वर्षों में दिल्ली जाने वाले बसों में यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है। यात्रियों की संख्या बढ़ी तो बसों की संख्या भी बढ़ती चली गई। नतीजा दो वर्ष पूर्व तक जहां करीब आधा दर्जन बसों का परिचालन हो रहा था अब यह संख्या तीन से चार दर्जन तक पहुंच गई है।
इक्के-दुक्के को ही होता जुर्माना
परिवहन विभाग इन पर कार्रवाई करने में हिचकिचाता है। इक्के-दुक्के को ही परमिट उल्लंघन का जुर्माना कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहा है। एमवीआइ दिव्य प्रकाश ने कहा कि बसों को परमिट उल्लंघन का जुर्माना किया जाता है। जिला परिवहन पदाधिकारी रजनीश लाल ने कहा कि स्पीड गवर्नर एवं परमिट को लेकर सघन जांच चलाया जाएगा। कानून उल्लंघन पर नियमानुसार कार्रवाई होगी।