एसकेएमसीएच परिसर में झुग्गी-झोपड़ियों पर चला बुलडोजर
मुजफ्फरपुर श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल परिसर की जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराने का अभियान तेज कर दिया गया है।
मुजफ्फरपुर : श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल परिसर की जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराने का अभियान गुरुवार को तेज कर दिया गया। इसके तहत परिसर में बनीं झुग्गी-झोपड़ियों व बीएससी नर्सिग कॉलेज के पीछे जमीन कब्जा को बनाई गई चहारदीवारी पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्त किया गया। उधर, मेडिकल की जमीन की पैमाइश का कार्य भी शुरू किया गया है। इसका नेतृत्व एसडीओ कुंदन कुमार के साथ डीसीएलआर, मुशहरी सीओ व अहियापुर पुलिस पदाधिकारी कर रहे थे। इनके सहयोग में दर्जनों पुलिस बल के साथ बुलडोजर, दो ट्रैक्टर लगाए गए थे। टीम के पहुंचने के साथ लोग स्वयं अपनी-अपनी झोपड़ी हटाने में जुट गए। हालांकि इन्हें कोई मौका नहीं दिए जाने से आक्रोश बढ़ गया। नोक-झोक भी हुई। आक्रोशित लोगों का आरोप था कि गरीबों की झुग्गी-झोपड़ी पर प्रशासनिक अधिकारियों को बुलडोजर चलाना आसान होता है। परिसर में कई वर्षो से बने व बन रहे पक्के मकान हटाना मुश्किल होता है। जब-तब गरीबों को बेघर कर दिया जाता है। उधर, अभियान चलता देख परिसर से चाय-नाश्ता व फुटपाथ पर सजी दुकानों को लोग स्वयं हटाने में जुट गए।
एसडीओ कुंदन कुमार ने बताया कि यह अभियान उच्च न्यायालय के निर्देश व जिलाधिकारी के आदेश पर चलाया जा रहा है। इसके लिए लाउडस्पीकर से उद्घोषणा कर सभी से जमीन खाली करने के लिए कहा गया था। स्वयं अतिक्रमण नहीं हटाने पर ये कार्रवाई करनी पड़ी। इसके तहत एसकेएमसीएच परिसर को पूर्णरूप से अतिक्रमणमुक्त करना है।
वर्ष 2010 से चल रहा अतिक्रमण का मामला : बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज समेत एसकेएमसीएच को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए उच्च न्यायालय में वर्ष 2010 में पीआइएल दायर किया गया था। इसका फैसला आने के बाद सूबे के मेडिकल कॉलेज को अतिक्रमणमुक्त कराया जा रहा है। इसके लिए पूर्व में भी कई बार अभियान चलाया जा चुका है।
ठंड की रात खुले आसमान के नीचे : एसकेएमसीएच परिसर में झुग्गी-झोपड़ी बना बसर करने वाले गरीब ठंड में रात खुले आसमान के नीचे ही बिताने को मजबूर हो गए। ये अपने बच्चों व परिवार के साथ अलाव का सहारा लेकर रात काटते हुए प्रशासन को कोसते थक नहीं रहे थे।
लोगों की बढ़ी परेशानी : अस्पताल परिसर में कैटीन नहीं होने व चाय-नाश्ता की दुकानें हटने से मरीज व स्वजनों की परेशानी बढ़ी रही। अस्पताल में भर्ती व बाह्यं विभागों में इलाज कराने के लिए आए मरीजों व उनके स्वजनों के साथ चिकित्सक, कर्मियों व मेडिकल विद्यार्थियों को भी चाय-नाश्ता के लिए भटकना पड़ा। वे सड़क पार कर दुकान पर पहुंचकर चाय-नाश्ता करने को मजबूर थे।