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BRA Bihar University: कहीं सीटें खाली तो छात्र नहीं, कई विषयों में छात्रों की भीड़ तो सीटों का रोना

BRA Bihar University बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में पीजी संकाय के लिए मेधा सूची जारी करने में इस कारण से हो रही देरी। भोजपुरी बांग्ला उर्दू एनसिएंट हिस्ट्री संस्कृत समेत कई ऐसे विषय हैं जिनमें 90 फीसद सीटें तीन बार मेधा सूची जारी होने के बाद भी खाली हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 07:25 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 07:25 AM (IST)
BRA Bihar University: कहीं सीटें खाली तो छात्र नहीं, कई विषयों में छात्रों की भीड़ तो सीटों का रोना
इसबार कई विषयों में सीट से दस गुणा तक अधिक आवेदन आ गए थे। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। BRA Bihar University: बीआरए बिहार विवि में पीजी में नामांकन के लिए अब भी सीटें बची हुई हैं। हालांकि, कुछ विषयों में सीटें भर गईं हैं। वहीं अबतक जिन विषयों में पीजी विभागों और कॉलेजों की ओर से रिक्ति भेजी गई है उस अनुसार पीजी में कई ऐसे विषय हैं जिनमें काफी सीटें खाली हैं पर उसके एक भी आवेदक नहीं हैं। जबकि, कई विषयों में कई आवेदक हैं पर उसमें सीटें खाली नहीं है। इसको लेकर चौथी मेधा सूची जारी करने में विलंब हो रहा है। डीएसडब्ल्यू प्रो.अभय कुमार सिंह ने बताया कि भोजपुरी, बांग्ला, उर्दू, एनसिएंट हिस्ट्री, संस्कृत समेत कई ऐसे विषय हैं जिनमें 90 फीसद सीटें तीन बार मेधा सूची जारी होने के बाद भी खाली हैं। वहीं दूसरी ओर इतिहास, कॉमर्स, मनोविज्ञान, भौतिकी, जुलॉजी, गणित, हिंदी समेत अन्य मुख्य विषयों में नामांकन के लिए सीट नहीं बचे हैं। कुछ कॉलेजों में इक्का-दुक्का सीट हैं भी तो उसपर पांच-छह गुणा आवेदक हैं। ऐसे में मेधा सूची जारी को पूरी तरह विचार करने के बाद ही जारी किया जाएगा। ताकि, नामांकन के लिए ऊहापोह की स्थिति नहीं हो।

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53 साै हैं पीजी में सीट, इसबार कई विषयों में हुई वृद्धि

पीजी में पहले से 5300 सीटें निर्धारित थीं। इसबार कई विषयों में सीट से दस गुणा तक अधिक आवेदन आ गए थे। ऐसे में विवि की ओर से सीट बढ़ाने के लिए राजभवन से अनुमति मांगी गई। वहां से निर्देश मिलने के बाद कई विषयों में 10 फीसद तक सीटें बढ़ाई भी गई। लेकिन, इसके बाद भी कॉर्मस, जुलॉजी, मनोविज्ञान, इतिहास समेत कई विषयों में आवेदक इतने अधिक हैं कि मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद सैकड़ों विद्यार्थी नामांकन से वंचित हो जाएंगे। ऐसे में हर किसी को इस बात का इंतजार है कि विवि प्रशासन की आेर से इस संबंध में क्या फैसला लिया जा रहा है। विवि के लिए भी किसी भी प्रकार का निर्णय करना सहज नहीं होगा। जो छात्र नामांकन लेने से वंचित हो जाएगा उनका कम से कम एक साल बर्बाद हो जाएगा।


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