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BRA Bihar University: चार पेपर की परीक्षा लेकर सो गया विश्वविद्यालय, पांचवें का सालभर से इंतजार

B. R. Ambedkar Bihar University पीजी प्रथम सेमेस्टर के सभी विषयों के छात्रों का एक वर्ष बर्बाद। पांचवें पेपर की परीक्षा नहीं होने पर अब दिए जाएंगे औसत अंक। छात्रों ने कहा पैट परीक्षा से हुए वंचित जाएंगे मानवाधिकार आयोग।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 08:59 AM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 08:59 AM (IST)
BRA Bihar University: चार पेपर की परीक्षा लेकर सो गया विश्वविद्यालय, पांचवें का सालभर से इंतजार
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की फाइल फोटो (जागरण आर्काइव)

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय पीजी प्रथम सेमेस्टर के चार पेपर की परीक्षा लेने के बाद चैन की नींद सो गया। पांचवें पेपर की परीक्षा एक साल के बाद भी नहीं ले सका है। इस कारण इसका परिणाम परीक्षा के एक साल बाद भी जारी नहीं हो सका है। मालूम हो कि विवि की ओर से 20 दिसंबर 2019 से पीजी प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा शुरू होकर जनवरी तक चली थी। च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू होने के बाद से प्रथम सेमेस्टर में छात्रों को पांच पेपर की परीक्षा देने का प्रावधान किया गया। इसमें पांचवां पेपर इंवायरोमेंटल साइंस था। यह अनिवार्य था। इसमें पासिंग माक्र्स नहीं आने पर छात्र फेल माना जाएगा। जबकि, इस पेपर की पढ़ाई कराई गई और ना परीक्षा ली गई।

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 मामला यहीं तक नहीं रुका। पीजी के दूसरे सेमेस्टर में छठे पेपर और तीसरे सेमेस्टर में पांचवें पेपर की भी पढ़ाई नहीं कराई गई। अब इसके परीक्षा में भी यह मामला फंसेगा। ऐसे में ससमय परीक्षा का संचालन और रिजल्ट प्रकाशन संभव नहीं लग रहा। दूसरे और तीसरे सेमेस्टर के परीक्षा फॉर्म में इसका जिक्र नहीं करने पर इसे परीक्षा विभाग से लौटा दिया गया। इससे  छात्रों को दोबारा फॉर्म भरना पड़ा। ये पेपर अनिवार्य हैं और इसकी परीक्षा देना जरूरी है। महत्वपूर्ण पेपर होने के बाद भी विवि के अधिकारियों की नींद नहीं खुली। अब एकेडमिक काउंसिल की बैठक में पास होने पर इस पेपर में औसत अंक देकर परिणाम जारी करने पर विचार हो रहा है। 

बोले छात्र- विवि की गलती से एक वर्ष से परिणाम का इंतजार  

कॉमर्स के छात्र पुष्कर सिंह ने कहा कि दिसंबर 2019 से शुरू होकर जनवरी में पीजी की परीक्षा समाप्त हुई। इसके बाद करीब 11 माह का समय मिलने पर भी परिणाम जारी नहीं हो सका। गलती विवि की ओर से हुई है। इसके खिलाफ छात्र मानवाधिकार का दरवाजा खटखटाएंगे। 

जूलॉजी की छात्रा वैशाली ने कहा कि पांच पेपर की परीक्षा होनी थी, लेकिन चार पेपर की परीक्षा ही ली गई। पांचवें पेपर पर परीक्षा के एक महीने बाद विचार करने को कहा गया। अबतक परीक्षा का परिणाम नहीं आया। 

राजनीति विज्ञान की छात्रा ब्यूटी का कहना है कि पहले सेमेस्टर की परीक्षा का परिणाम भी नहीं आया। इधर, द्वितीय और तृतीय सेमेस्टर का परीक्षा फॉर्म एक साथ भरवा लिया गया। साथ ही तीसरे सेमेस्टर के फॉर्म के साथ शपथ पत्र लिया गया कि यदि दूसरे सत्र में वे फेल होते हैं तो तीसरे सेमेस्टर का परिणाम स्वत: अमान्य हो जाएगा। यह गलत है। 

जूलॉजी की छात्रा प्रीति रानी ने कहा कि विवि को अगर औसत मूल्यांकन ही करना था तो परीक्षा के बाद शीघ्र इसे कर परिणाम जारी कर दिया जाता। विवि के अधिकारी की गलती के कारण साल भर से परिणाम के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। 

कॉमर्स के छात्र दीपांकर प्रकाश ने कहा कि यदि दूसरे सेमेस्टर में बैक लग जाता है तो तीसरे सेमेस्टर का परिणाम अमान्य हो जाएगा। विवि का यह फरमान आया है, लेकिन एक साल विलंब हुआ इसपर भी अधिकारियों को सोचना चाहिए। 

इतिहास के छात्र अभिषेक कुमार ने कहा कि पांचवें पेपर की पढ़ाई नहीं हुई और परीक्षा भी नहीं। यह गलती विवि की है। छात्र इसके लिए क्यों भुगतें। अधिकारी भी नहीं सुन रहे। अगर औसत अंक ही देना था तो फिर साल भर में परिणाम क्यों नहीं जारी किया गया। 

बोले अधिकारी 

पीजी के पांचवें पेपर का सिलेबस बना हुआ है। इसे वेबसाइट पर भी डाला गया है। किसी कारण इसकी पढ़ाई नहीं हो सकी। इससे परीक्षा भी नहीं हुई। मार्च में परीक्षा होनी थी, लेकिन कोरोना के कारण इसमें विलंब हुआ। अब औसत अंक देकर इसके छात्रों का परिणाम जारी किया जाएगा। 

डॉ.सीके पी शाही, डीन, सोशल साइंस, बीआरए बिहार विवि

सीबीसीएस पैटर्न लागू होने के कारण इस विषय में पास होना अनिवार्य है, लेकिन इसकी पढ़ाई नहीं कराई गई। इस कारण परीक्षा भी नहीं हुई। इस विषय में औसत अंक देकर परिणाम जारी करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसे एकेडमिक काउंसिल की बैठक में रखा जाएगा। परिणाम बनकर तैयार है। बैठक में निर्णय होते ही शीघ्र परिणाम जारी होगा। 

डॉ.मनोज कुमार, परीक्षा नियंत्रक, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय


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