BRA Bihar University : छह बार के प्रयास के बावजूद नहीं मिल सका त्रुटिरहित अंकपत्र, अब कर्मी मांग रहे सुविधा शुल्क
BRA Bihar University तीन वर्षों से स्नातक पार्ट टू का अंकपत्र सही कराने के लिए विवि का चक्कर काट रहे छात्र ने लगाया आरोप। चार बार नाम और दो बार अंक में कर दिया हेरफेर। सीतामढ़ी शिवहर बेतिया बगहा और वैशाली से विद्यार्थी ऐसी ही समस्याएं लेकर पहुंचते हैं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय लापरवाह कार्यशैली और लचर व्यवस्था का नमूना अक्सर प्रस्तुत करता है। इसबार सत्र 2015-18 के एक छात्र का छह बार अंकपत्र बनकर मिला, लेकिन हर बार गड़बड़ी होती रही। गोबरसही स्थित आरएलएसवाई कॉलेज के भौतिकी के छात्र सुमेरा निवासी सेराज आलम तीन वर्ष से विवि और कॉलेज का चक्कर काट रहे हैं। हजारों रुपये आने-जाने और छह बार अंकपत्र सुधरवाने में खर्च हो चुके। विवि कर्मियों की लापरवाही का आलम यह रहा कि अंकपत्र में सेराज आलम को सरोज आलम, सोराज आलम और अन्य नाम से अंकपत्र मिलता रहा। इसके बाद एक बार नाम सुधरा तो अंकों में हेरफेर हो गया। उसने कई बार परीक्षा नियंत्रक कार्यालय में आवेदन दिया, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। यही नहीं कई बार तो कर्मचारियों ने डांटकर भगा भी दिया।
दो हजार रुपये रिश्वत भी मांगी जा रही
फाइनल ईयर का परीक्षा फॉर्म भरने के लिए वह परेशान था। आखिरी दो बार मिले अंकपत्र में एक में 37 तो दूसरे में 42 अंक दर्शाए गए हैं। कहा कि इसके लिए जब उसने विवि में शिकायत की तो एक कर्मचारी ने कहा कि 2000 रुपये दो काम हो जाएगा। उसने बताया कि 2017 में द्वितीय वर्ष की परीक्षा और रिजल्ट आया था। अंकपत्र में गड़बड़ी सुधरवाने को तीन वर्ष से विवि के चक्कर काट रहे हैं और अब दो हजार रुपये रिश्वत भी मांगी जा रही है। यह मामला अकेले सेराज का ही नहीं है। सीतामढ़ी, शिवहर, बेतिया, बगहा और वैशाली समेत मुजफ्फरपुर के विभिन्न ग्रामीण इलाकों से विद्यार्थी ऐसी ही समस्याएं लेकर पहुंचते हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। इधर, परीक्षा नियंत्रक डॉ.मनोज कुमार ने कहा कि छात्र को उनसे आकर मिलना चाहिए। इसका समाधान कराया जाएगा।