बिहार विवि का दूरस्थ शिक्षा निदेशालय अघोषित रूप से बंद, क्या होगा 40 हजार स्टूडेंट्स का
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय से पढ़ाई करने वाले करीब 40 हजार विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटका है।
By Edited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 05:04 PM (IST)
मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय से पढ़ाई करने वाले करीब 40 हजार विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटका है। वहीं, वीसी-रजिस्ट्रार सब बेपरवाही में हैं। दूरस्थ शिक्षा की लुटिया डूबते देख शीर्ष पदों पर बैठे दो अधिकारी निदेशक व उप निदेशक अपने पद से इस्तीफा देकर बोरिया-बिस्तर समेटने की तैयारी में हैं। जुलाई-अगस्त में इस्तीफा मंजूर या नामंजूर करने पर फैसला नहीं होना भी अपनी तरह का अनूठा मामला है।
2016 के बाद से नहीं मिली कोई डिग्री
विवि के अधिकारियों ने इस तरफ से मुंह ही फेर लिया है। ऐसे में अब इस संस्थान को बचाने के लिए डूबते को तिनके का सहारा वाली स्थिति हो गई है। निदेशक डॉ.अशोक कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि निदेशालय में 46 विभिन्न कोर्स चला करते थे, लेकिन कोई कोर्स का ऑर्डिनेंस व रेग्युलेशन प्राप्त नहीं था। 2016 के बाद से यहां कोई डिग्री विद्यार्थियों को नहीं मिल सकी है। पठन-पाठन तो बंद ही है। यूजीसी ने भी मुंह फेर लिया है। इस प्रकार अघोषित रूप से यह संस्थान अब बंद हो चुका है।
संस्थान के अकाउंट में 18 करोड़
जानकार बताते हैं कि इस संस्थान के अकाउंट में 18 करोड़ रुपये जमा हैं। छात्र हम के विवि अध्यक्ष संकेत मिश्रा ने कहा कि कभी अपनी कमाई की बदौलत यूनिवर्सिटी को आर्थिक मदद देने वाली यह संस्था अब लावारिस बनी है। निदेशक व उपनिदेशक दे चुके हैं इस्तीफा दूरस्थ शिक्षा के निदेशक डॉ.अशोक कुमार श्रीवास्तव आठ महीने से इस पद पर बने थे। 31 जुलाई को इस्तीफा सौंपा। वहीं उप निदेशक आरएन ओझा ने 6 अगस्त को इस्तीफे की कॉपी कुलपति को भेजी। वे डेढ़ साल से इस पद पर थे। विवि के लॉ इंचार्ज भी रहे हैं। बिना पद डिप्टी डायरेक्टर कर लिया बहाल
यूजीसी की गाइडलाइन पर निदेशालय चलता है। अब तो यहां गजट भी हो गया है। 2017 रेग्युलेशन के अनुसार निदेशक, शिक्षक व डिप्टी रजिस्ट्रार रैंक के अफसर का पद सृजित है। उस रैंक के प्रशासनिक पदाधिकारी सह कार्यक्रम पदाधिकारी के पद पर बहाल ललन कुमार झा के जनवरी 2017 में निलंबन के बाद विवि ने मनमाने तरीके से डिप्टी डायरेक्टर के पद पर अधिकारी बहाल कर लिया। अब इस पद पर बहाल आरएन झा ने विभिन्न कारणों का हवाला देकर पद से इस्तीफा दे रखा है। डिस्टेंस में अब पढ़ाई बंद ही कर देना होगा, क्योंकि रेग्युलेशन मंजूर नहीं है। एमफिल की परीक्षा तो कोर्ट के आदेश पर होनी है। उसका रेग्युलेशन भी राजभवन से पास हो चुका है। लेकिन, बीएड के बारे में रेग्युलेशन के बिना मुश्किल है। डॉ. आरके मंडल प्रोवीसी, बीआरएबीयू
2016 के बाद से नहीं मिली कोई डिग्री
विवि के अधिकारियों ने इस तरफ से मुंह ही फेर लिया है। ऐसे में अब इस संस्थान को बचाने के लिए डूबते को तिनके का सहारा वाली स्थिति हो गई है। निदेशक डॉ.अशोक कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि निदेशालय में 46 विभिन्न कोर्स चला करते थे, लेकिन कोई कोर्स का ऑर्डिनेंस व रेग्युलेशन प्राप्त नहीं था। 2016 के बाद से यहां कोई डिग्री विद्यार्थियों को नहीं मिल सकी है। पठन-पाठन तो बंद ही है। यूजीसी ने भी मुंह फेर लिया है। इस प्रकार अघोषित रूप से यह संस्थान अब बंद हो चुका है।
संस्थान के अकाउंट में 18 करोड़
जानकार बताते हैं कि इस संस्थान के अकाउंट में 18 करोड़ रुपये जमा हैं। छात्र हम के विवि अध्यक्ष संकेत मिश्रा ने कहा कि कभी अपनी कमाई की बदौलत यूनिवर्सिटी को आर्थिक मदद देने वाली यह संस्था अब लावारिस बनी है। निदेशक व उपनिदेशक दे चुके हैं इस्तीफा दूरस्थ शिक्षा के निदेशक डॉ.अशोक कुमार श्रीवास्तव आठ महीने से इस पद पर बने थे। 31 जुलाई को इस्तीफा सौंपा। वहीं उप निदेशक आरएन ओझा ने 6 अगस्त को इस्तीफे की कॉपी कुलपति को भेजी। वे डेढ़ साल से इस पद पर थे। विवि के लॉ इंचार्ज भी रहे हैं। बिना पद डिप्टी डायरेक्टर कर लिया बहाल
यूजीसी की गाइडलाइन पर निदेशालय चलता है। अब तो यहां गजट भी हो गया है। 2017 रेग्युलेशन के अनुसार निदेशक, शिक्षक व डिप्टी रजिस्ट्रार रैंक के अफसर का पद सृजित है। उस रैंक के प्रशासनिक पदाधिकारी सह कार्यक्रम पदाधिकारी के पद पर बहाल ललन कुमार झा के जनवरी 2017 में निलंबन के बाद विवि ने मनमाने तरीके से डिप्टी डायरेक्टर के पद पर अधिकारी बहाल कर लिया। अब इस पद पर बहाल आरएन झा ने विभिन्न कारणों का हवाला देकर पद से इस्तीफा दे रखा है। डिस्टेंस में अब पढ़ाई बंद ही कर देना होगा, क्योंकि रेग्युलेशन मंजूर नहीं है। एमफिल की परीक्षा तो कोर्ट के आदेश पर होनी है। उसका रेग्युलेशन भी राजभवन से पास हो चुका है। लेकिन, बीएड के बारे में रेग्युलेशन के बिना मुश्किल है। डॉ. आरके मंडल प्रोवीसी, बीआरएबीयू
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