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राजस्थान से पैदल दिल्ली, फिर मुजफ्फरपुर के लिए 1.40 लाख में की बस की बुकिग

बैरिया के पास तपती दोपहरी में एक बस पर सवार 70 युवक पहुंचे। थकान के मारे उनका बुरा हाल था लेकिन वे इसके बाद भी रुकना नहीं चाहते थे। उसमें एक कई कह रहे थे कि जल्दी घर पहुंच जाएं फिर आराम करेंगे। इसी दौरान कुछ युवक बीच सड़क पर बने डिवाइडर पर ही बैठ गए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 02:02 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 06:04 AM (IST)
राजस्थान से पैदल दिल्ली, फिर मुजफ्फरपुर के लिए 1.40 लाख में की बस की बुकिग
राजस्थान से पैदल दिल्ली, फिर मुजफ्फरपुर के लिए 1.40 लाख में की बस की बुकिग

मुजफ्फरपुर। बैरिया के पास तपती दोपहरी में एक बस पर सवार 70 युवक पहुंचे। थकान के मारे उनका बुरा हाल था, लेकिन वे इसके बाद भी रुकना नहीं चाहते थे। उसमें एक कई कह रहे थे कि जल्दी घर पहुंच जाएं फिर आराम करेंगे। इसी दौरान कुछ युवक बीच सड़क पर बने डिवाइडर पर ही बैठ गए। उनके साहस के आगे धूप भी कमजोर पड़ने लगी। दरअसल, जिले के कुढ़नी, तुर्की, बोचहां और मुशहरी प्रखंड के रहने वाले करीब सौ युवक राजस्थान के बांसवाड़ा में एक कंपनी में कार्य कर रहे थे। जब लॉकडाउन के कारण कंपनी ने उन्हें आने से मना कर दिया तो वे भूखे मरने की कगार पर पहुंच गए। कुछ दिनों तक बचे पैसे से भेट भरा। कुढ़नी के रामदयाल राय ने कहा कि आठ से 10 दिनों तक पैदल चलकर दिल्ली तक पहुंचे पर वहां से आगे आने की हिम्मत नहीं हो रही थी। ऐसे में जिले के 70 साथियों ने एकत्रित होकर एक बस संचालक से बात की तो वह एक लाख 40 हजार में मुजफ्फरपुर तक छोड़ने को राजी हुआ। सभी युवकों ने दो-दो हजार रुपये दिए और सभी 70 साथी एक ही बस में बैठ गए। भीड़ इतनी हो गई कि पैर रखने की जगह नहीं। ऐसे में शारीरिक दूरी का कैसे पालन हो।

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सुरेश पासवान ने कहा कि कैसे भी घर पहुंचना जरूरी था नहीं तो वहां भूखे ही मर जाते। गणेश दास ने कहा कि यहां मजदूरी कर पेट भरेंगे पर कभी परदेस नहीं जाएंगे।

काफी देर तक वहां रुकने के बाद युवकों का जत्था कोई पैदल तो कोई ऑटो भाड़ा कर वहां से गांव की ओर चले गए।


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