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द्वंद्व नहीं समाधान के कवि थे दिनकर : डा.प्रमोद

चाहे जो भी फसल उगा ले तू जलधार बहाता चल जिसका भी घर चमक उठे तू मुक्त प्रकाश लुटाता चल..।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 05:33 AM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 05:33 AM (IST)
द्वंद्व नहीं समाधान के कवि थे दिनकर : डा.प्रमोद
द्वंद्व नहीं समाधान के कवि थे दिनकर : डा.प्रमोद

-मुजफ्फरपुर : चाहे जो भी फसल उगा ले, तू जलधार बहाता चल, जिसका भी घर चमक उठे, तू मुक्त प्रकाश लुटाता चल..। जैसे ही इन पंक्तियों को हिदी के प्रख्यात आलोचक व साहित्यकार डा.प्रमोद कुमार सिंह ने सुनाई पूरा एलएस कालेज सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जयंती समारोह के मुख्य वक्ता के तौर पर डा.प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि दिनकर उन्हें जानते थे। दिनकर की द्वंद्व गीत का जिक्र करते हुए कहा कि दिनकर द्वंद्व नहीं समाधान व प्रगति के कवि थे। वह मानव मात्र के दुख दर्द से पीड़ित होने वाले कवि थे, राष्ट्रहित उनके लिए सर्वोपरि था। दिनकर की रचनाएं साहित्य की अमूल्य धरोहर है। संस्कृति के चार अध्याय का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य के पृष्ठाधार को समझने के लिए इतिहास अति आवश्यक होता है। लंगट सिंह कालेज में दिनकर संस्कृति के चार अध्याय लिखने के लिए सामग्री का संचयन यहा के पुस्तकालय में बैठकर किया था। दिनकर कालेज के आर्ट ब्लाक के कमरा नंबर 10 में कक्षा लेते थे। रश्मिरथी का लेखन उन्होंने लंगट सिंह कालेज में सेवाकाल के दौरान ही किया था। पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा कि दिनकर के जीवन से उन्होंने काफी कुछ सीखा है। एलएस कालेज परिसर में दिनकर पार्क की स्थापना इस शहर के लिए आकर्षण का केंद्र होगा। अध्यक्षता प्राचार्य डा.ओपी राय ने की। उन्होंने कहा कि दिनकर को याद करना ना सिर्फ समाज और राजनीति को नई दिशा देने के लिहाज से महत्वपूर्ण हो सकता है बल्कि लेखकों एवं शिक्षकों को भी उनके दायित्व बोध का एहसास कराने में अहम साबित हो सकता है। हमें उनके जीवन से सीख एवं उनकी रचनाओं को पढ़ने की जरूरत है। वक्ताओं में नंदू बाबू, डा.हरेंद्र कुमार सिंह, राम उचित पासवान, प्रो.सुधा कुमारी, प्रो.राजीव कुमार झा, डा.वीरेंद्र कुमार सिंह, डा.गजेंद्र प्रसाद, डा.गोपाल जी, डा.सुरेंद्र राय, डा.नवीन कुमार, डा.ललित किशोर आदि शामिल रहे। संचालन प्रो.राजेश्वर कुमार व धन्यवाद ज्ञापन प्रो.राजीव कुमार झा ने किया।

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इनसेट ::

भारतीय सास्कृतिक परंपरा के सच्चे वाहक हैं दिनकर

- विवि के पीजी हिदी विभाग में कार्यक्रम आयोजित मुजफ्फरपुर : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय के पीजी हिंदी विभाग में दो सत्रों में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एकल व्याख्यान में विवि के हिदी विभागाध्यक्ष प्रो.सतीश कुमार राय ने रामधारी सिंह दिनकर को कवि, चिंतक, निबंधकार, गीतकार, आलोचक एवं डायरी लेखक व छायावादोत्तर कवियों में पहली पीढ़ी का कवि बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चेतना, प्रेम एवं सौंदर्य के कवि दिनकर भारतीय सास्कृतिक परंपरा के सच्चे वाहक हैं इसलिए उनकी राष्ट्रीयता स्वाभाविक, संवेदनशील एवं सहज है। वे राष्ट्रीयता की आड़ में भारतीय नहीं, उनकी भारतीयता राष्ट्रीयता के रूप में अपनी पहचान बनाती है। द्वितीय सत्र में काव्यपाठ का आयोजन किया गया जिसमें डा.पूनम सिंह, श्यामल श्रीवास्तव, डा.पंकज कर्ण, डा.आरती कुमारी, डा.सतीश कुमार साथी, वीणा द्विवेदी, डा.उज्ज्वल आलोक ने काव्य-पाठ किया। संचालन डा.राकेश रंजन व धन्यवाद ज्ञापन डा.संध्या पांडेय ने किया। मौके पर डा. कल्याण कुमार झा, डा.वीरेंद्र नाथ मिश्र, डा.सुशात कुमार एवं डा.पुष्पेंद्र कुमार उपस्थित थे।


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