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बिहार विधान परिषद चुनाव 2022 में शिवहर-सीतामढ़ी सीट पर नजदीकी मुकाबले की संभावना

Bihar Vidhan parishan chunav 2022 गठबंधन और महागठबंधन का पेच। कांग्रेस की ओर से जिलाध्यक्ष मो. असद की दावेदारी। कांग्रेस जिलाध्यक्ष की पत्नी नूरी बेगम ने शुरू किया जनसंपर्क अभियान। राजद प्रत्याशी कब्बू खिरहर और जदयू की रेखा पूर्वे भी कर रहीं जनसंपर्क।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 11:41 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 11:41 AM (IST)
बिहार विधान परिषद चुनाव 2022 में शिवहर-सीतामढ़ी सीट पर नजदीकी मुकाबले की संभावना
Bihar Vidhan parishan chunav 2022: वर्ष 2003 के चुनाव में महज 17 वोटों से हारी थीं नूरी। फाइल फोटो

शिवहर, जासं। Bihar Vidhan parishan chunav 2022: शिवहर-सीतामढ़ी से स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशियों की दावेदारी गठबंधन और महागठबंधन के पेंच में फंसती दिख रही है। विधान परिषद सीट से जदयू की ओर से रेखा पूर्वे और राजद की ओर से शैलेंद्र कुमार उर्फ कब्बू खिरहर पंचायत प्रतिनिधियों के बीच समर्थन के लिए जनसंपर्क अभियान में जुटे है। इसी बीच अब शिवहर जिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष मो. असद ने इस सीट पर न केवल दावेदारी ठोक दी है बल्कि अपनी पत्नी नूरी बेगम को चुनावी समर में उतार दिया है। नूरी बेगम लगातार जनसंपर्क भी कर रही है।

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मो. असद ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर महागठबंधन कोटे से शिवहर-सीतामढ़ी सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मो. नूरी बेगम के चुनाव लड़ने का एलान कर स्थानीय महागठबंधन नेता और प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ा दी है। मो. असद ने कहा हैं कि वर्ष 2003 में नूरी बेगम ने चुनाव लड़ा था और महज 17 वोटों के करीबी मुकाबले में वह हार गई थी। कहा कि नूरी बेगम का शिवहर-सीतामढ़ी में व्यापक जनाधार है। उनके पिता इजहारूल हक लंबे समय तक मुखिया रहे है। चाचा मो. अनवारूल हक सांसद और विधायक रहे है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन द्वारा कांग्रेस को सात सीटें दी गई है। जिसमें शिवहर-सीतामढ़ी पहले नंबर पर है। इस आधार पर उन्होंने नूरी बेगम को चुनावी समर में उतारने का निर्णय लिया है। 

उधर, कांग्रेस की दावेदारी ने राजद प्रत्याशी कब्बू खिरहर की परेशानी बढ़ा दी है। इसी बीच जदयू प्रत्याशी रेखा पूर्वे भी जनसंपर्क अभियान में है। हालांकि, अंदरखाने से स्थानीय भाजपा नेता भी इस सीट पर दावेदारी कर रहे है। यहां तक की जदयू के कुछ नेता भी रेखा का विरोध कर रहे है। जदयू के वरिष्ठ नेताओं का कहना हैं कि वह जदयू की सदस्य भी नहीं है। जिला परिषद चुनाव में उपाध्यक्ष पद पर हारने को लेकर भी कुछ नेता सवाल उठा रहे है। बहरहाल, अबतक किसी भी पार्टी द्वारा आधिकारिक रूप से प्रत्याशियों के नाम का एलान नहीं किया गया है। वजह अब तक गठबंधन-महागठबंधन में सीटों का ही बंटवारा नहीं हो सका है। बावजूद इसके संभावित प्रत्याशी आश्वासनों के सहारे जनसंपर्क अभियान को गति दे रहे है।

अब देखना यह हैं कि यह सीट गठबंधन और महागठबंधन के किस दल को मिलती है और प्रत्याशी कौन बनता है। बताते चलें कि पिछले चुनाव में राजद प्रत्याशी के तौर पर दिलीप राय विधान पार्षद चुने गए थे। इस लिहाज से इस सीट पर राजद की दावेदारी है। हालांकि, दिलीप राय वर्तमान में सुरसंड से जदयू के विधायक है। पिछले चुनाव में राजद ने जदयू और कांग्रेस मिलकर तथा भाजपा ने लोजपा और रालोसपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इस बार तस्वीर बदली हुई है। 


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