BIHAR POLITICS: सीएम नीतीश कुमार की पार्टी में पंचायत चुनाव के बाद दिख सकता है बदलाव का विस्तृत स्वरूप
इस माह के मध्य तक बिहार पंचायत चुनाव 2021 संपन्न हो जाएगा। माना जा रहा है कि जदयू इसके बाद खुद को बूथ स्तर तक मजबूत करने की कवायद शुरू करेगा। प्रकोष्ठों को भंग किए जाने के बाद उठाए जाने वाले कदम का सब इंतजार कर रहे हैं।
मुजफ्फरपुर, आनलाइन डेस्क। यूं तो पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं होते, लेकिन दलों के कार्यकर्ताओं की भागीदारी इसमें अवश्य होती है। यही वजह है कि बिहार पंचायत चुनाव 2021 के दौरान सूबे में राजनीतिक गतिविधियां लगभग ठप सी हो गई हैं। विधानसभा की दो सीटों के लिए हुए उपचुनाव के दौरान थोड़ी हलचल देखने को मिली थी। फिलहाल वह भी नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में पंचायत चुनाव संपन्न होेने के बाद बदलाव का नया रूप देखने को मिल सकता है। जिसकी शुरुआत बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के ठीक बाद कर दी गई थी। राजनीति में रुचि रखने वालों को इस बात का इंतजार है कि प्रकोष्ठों को भंग किए जाने के बाद उसका क्या होगा? मसलन, इसकी संख्या कम की जाएगी? नए लोगों को इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी? या प्रकोष्ठों की जगह कोई अौर व्यवस्था लागू की जाएगी। उसी तरह से लोकसभा व विधानसभा प्रभारियों काे हटाए जाने के बाद उस पद का क्या होगा? महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में क्या कदम उठाए जाएंगे?
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आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया
दिसंंबर के मध्य तक राज्य में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। उम्मीद की जा रही है इसके बाद जदयू में बदलाव की जो प्रक्रिया अभी थम गई है, उसको गति मिलेगी। कुछ चौंकाने वाली व नई घोषणाएं भी की जा सकती हैं। हालांकि इसके बारे में अभी आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है। हां, शीर्ष नेतृत्व की ओर से लगातार पार्टी को बूथ स्तर तक मजबूत किए जाने की बात की जाती रही है। देखने वाली बात यह होगी कि समता पार्टी काल के नेताओं की अपेक्षाओं को कैसे पूरा किया जाता है? खासकर मुजफ्फरपुर में। जिस तरह से विचार मंच के माध्यम से विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के लचर प्रदर्शन के कारणों की पहचाना की गई और उसे शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया गया। उसका परिणाम बाद के दिनों में देखने को मिला। विशेषकर संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की बिहार यात्रा के दौरान कई स्तर से पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव के बारे में सुझाव दिए गए। अब उन्होंने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को सौंप दी है। जिसके बाद संगठन को और सशक्त बनाए जाने की दिशा में कदम उठाने की अपेक्षा की जा रही है।
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