सेवा विस्तार निरस्त होने के बाद भी फरमान जारी कर रहे जिला कार्यक्रम प्रबंधक...यह केवल बिहार में ही हो सकता है
Bihar News अब भी अपने चैंबर में डटे हुए हैं। कर्मचारियों को लगातार निर्देश जारी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जिला स्वास्थ्य प्रबंधक के दैनिक काम का निपटारा अब जिला मूल्यांकन पदाधिकारी के पास स्थानांतरित कर दिया गया है। सिविल सर्जन तक पहुंची शिकायत।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। Bihar News: सेवा विस्तार का आदेश निरस्त होने बाद भी स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम प्रबंधक अपने चैंबर पर कब्जा जमाए हुए हैं। कार्यक्रम प्रबंधक की सेवा समाप्त होने के बाद सिविल सर्जन ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत जिला मूल्यांकन एवं अनुश्रवण पदाधिकारी को दैनिक कार्य निपटाने का आदेश दिया है। वित्तीय अधिकार के लिए राज्य मुख्यालय को लिखा है। इस बीच जिला कार्यक्रम प्रबंधक बीपी वर्मा अपने चैंबर में बैठकर चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को आदेश-निर्देश देते रहे। इसकी शिकायत सिविल सर्जन तक पहुंची। सिविल सर्जन डा.यूसी शर्मा ने कहा कि सेवा विस्तार का आदेश निरस्त होने के बाद जब तक विभाग की ओर से उनके लिए नए तरीके से आदेश नहीं आता स्वत: कार्यालय का मोह त्याग देना चाहिए। बताया कि उनको मना कर दिया गया है कि वह किसी भी फाइल पर कोई टिप्पणी लिखते हैं तो उन पर कानूनी कार्रवाई होगी।
सेवा विस्तार नियमसंगत नहीं
मालूम हो कि जिला कार्यक्रम प्रबंधक ने निलंबित सिविल सर्जन से सेटिंग कर अपना सेवा विस्तार ले लिया था। वह 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हो गए हैं। उसके बाद जब इसकी जानकारी मिली तो सिविल सर्जन ने उनका वेतन बंद करते हुए राज्य स्वास्थ्य समिति से मार्गदर्शन मांगा। राज्य स्वास्थ्य समिति ने भी सेवा विस्तार को नियमसंगत नहीं मानते हुए उसे निरस्त कर दिया। नियम के विरुद्ध सेवा विस्तार लेने पर उन पर क्या कार्रवाई होगी इसपर राज्य मुख्यालय का आदेश नहीं आया है।
संविदाकर्मियों के वेतन भुगतान को भेजे गए तीन करोड़
मुजफ्फरपुर : जिला कार्यक्रम प्रबंधक के सेवाविसतार निरस्त होने के बाद पीएचसी के संविदाकर्मियों के वेतन भुगतान व आउटसोर्सिंग के भुगतान के लिए तीन करोड की राशि भेजी गई। सिविल सर्ज ने बताया कि राज्य मुख्यालय से गाइड लाइन मिलने के बाद सभी पीएचसी को राशि दी गई है। यह भुगतान जिला लेखा प्रबंधक और उनके संयुक्त हस्ताक्षर से किया गया है। सीएस डा यूसी शर्मा ने बताया कि जिला कार्यक्रम प्रबंधक के वित्तीय अधिकार पर रोक के कारण पीएचसी में योजनाओं और वेतन की राशि नहीं जा रही थी। इससे सारे काम ठप पड़ गए थे। पीएचसी से भी लगातार राशि की मांग की जा रही थी। अब वहां पर तत्काल काम सुचारू रूप से चलेगा।