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बिहार चुनाव 2020: मुजफ्फरपुर की औराई व‍िधानसभा सीट के मतदाता मौन, प्रत्याशियों का छिना चैन

Bihar Aurai Election 2020 निर्दल प्रत्याशी की ताकत पर जीत-हार का दारोमदार। माना जा रहा है क‍ि अंतिम समय में मतदाता क‍िसी खास चीज को आधार मानकर अपना न‍िर्णय लेंगे। इसके आधार पर ही भव‍िष्य का न‍िर्धारण होगा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 11:03 AM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 11:03 AM (IST)
बिहार चुनाव 2020: मुजफ्फरपुर की औराई व‍िधानसभा सीट के मतदाता मौन, प्रत्याशियों का छिना चैन
पिछले चुनाव की तरह एक बार फिर विकास जीत हार में सहायक बनेगा।

मुजफ्फरपुर,  [अमरेंद्र तिवारी]। कलम की जादूगर बेनीपुरी की धरती के रूप में देश में अपनी पहचान रखने वाली औराई विधानसभा का देश की हर लड़ाई में योगदान रहा है। बाढ़ का पानी अब उतर गया है। यहां लोगों में वोट देने का जुनून है। बेनीबाद से आगे बढऩे के बाद सड़क किनारे टहलते वरीय नागरिक अलीहसन से मुलाकात हुई। कहा कि यह हरखौली टोला है। इसके आगे वाले टोला से औराई विधानसभा शुरू होगी।

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चंदौली चौक पर बिलट राय ने बताया कि यहां पर आरपार है। एक तरफ कमल फूल तो दूसरी तरफ लालझंडा तीन तारा यानी भाजपा व भाकपा माले वाला है। गंगिया के भोला ठाकुर, ङ्क्षबदा सहनी ने कहा कि यहां पर दर्जनभर से ज्यादा लोग खड़े हैं, बाकी जीत-हार दो के बीच है। जनता ने मन बना लिया है। बेकार बहस से का फायदा है। गंगैया गांव के पास सड़क किनारे बैठीं शोभा कुमारी व जोखन राम ने कहा, लड़ाई सीधा है।

बाकी पूर्व विधायक सुरेंद्र राय व पूर्व मंत्री गणेश यादव के पुत्र ई.अखिलेश कुमार भी मैदान में हैं। उनका भी बहुमत कहीं-कहीं हैं। यहां पर चुनावी मुद्दों की बात करें तो चचरी पुल के सहारे नदी पार करने से मुक्ति, बबनगांवा घाट पर पुल निर्माण, गुरहन घास और बनैया सुअर व नीलगाय से मुक्ति दिलाने की मांग उठती रही है। फिलहाल, यहां राजद ने विधायक सुरेंद्र राय का टिकट काटकर भाकपा माले कोटा से अफताब आलम को उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा ने पूर्व विधायक रामसूरत राय को टिकट दी है। बहरहाल, यहां निर्दलीय प्रत्याशी की ताकत पर परिणाम का दारोमदार होगा।

पार्टी के हिसाब से हो रही गोलबंदी

बाढ़ प्रभावित इलाके की पहचान रखने वाला गायघाट विधानसभा क्षेत्र अब पिलखी पुल से जुड़ जाने के बाद स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा दे रहा है। पिलखी पुल पार करने के साथ हरपुर चौक पर चाय की दुकान पर कुछ लोग बैठे थे। चाय दुकानदार रंजीत साह ने कहा कि सर पहले यहां पर जंगल था। लेकिन, नीतीश राज में पुल बना अब देख रहे कि कितने लोगों को रोजगार मिल रहा है। शंकर सहनी ने कहा कि इस इलाके की सब्जी बाहर जाना आसान है। चुनाव बहुत लोग लड़ रहे बाकी जीत-हार एक का ही होगा।

तीन तरफा लड़ाई है। तीर-झोपड़ी व लालटेन छाप यानी जदयू, लोजपा व राजद के बीच। रोज समीकरण बदल रहे हैं। बखरी चौक पर बहादुरपुर के बीरेंद्र चौधरी व कृष्ण मोहन मिले। उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों के बीच खिचड़ी पक रही है। हर जाति-समाज के लोग पार्टी के हिसाब से गोलबंद हो रहे हैं। प्रत्याशी अब पीछे पार्टी आगे चल रहा है। इसलिए अब जो भी जीत-हार होगी वह जातीय समीकरण के हिसाब से ही। यहां के मुख्य मुद्दे बागमती की उपधारा पर रजुआ घाट पर पुल, सतघटा पुल का पुनर्निर्माण, बाढ़ से ध्वस्त सड़कों का निर्माण है। पिछले चुनाव की बात करें तो यहां से भाजपा की टिकट पर वीणा देवी चुनाव लड़ी थीं, लेकिन वह राजद प्रत्याशी महेश्वर यादव से चुनाव हारने के बाद लोजपा के टिकट पर वैशाली लोकसभा सीट से सांसद का चुनाव जीतीं। इस बार विधायक महेश्वर यादव राजद को छोड़कर जदयू के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। सांसद वीणा देवी ने बेटी कोमल ङ्क्षसह को लोजपा की टिकट पर मैदान में उतारा है। इधर राजद ने अपने पुराने कार्यकर्ता निरंजन राय को चुनाव मैदान में उतारा है। जदयू व राजद के प्रत्याशी एक ही समाज के हैं। इस समाज का बड़ा समर्थन किसे मिलता इस पर चुनाव परिणाम का समीकरण निर्भर होगा।

बेहतर बूथ प्रबंधन वाला बाजी मारने में हो सकता सफल

जिले का नगर विधानसभा क्षेत्र अमर शहीद खुदीराम बोस के शहादत स्थल व लंगट ङ्क्षसह कॉलेज में स्थित गांधी कूप की पहचान को मजबूत करता है। बूढ़ी गंडक नदी किनारे सिकंदरपुर सीढ़ी घाट पुल पर कुछ युवक चाय की चुस्की ले रहे थे। चुनाव की बात पूछने पर पहले तो सबने चुप्पी साध ली। उसके बाद ब्रह्मïपुरा के किशन सहनी ने कहा कि जनता विकास देख रही है। उमेश साह ने कहा कि अब कोई रंगदारी तो आकर किसी दुकानदार से नहीं मांगता है। सब कमा-खा रहे हैं। वोट अपना है, जहां मन होगा पड़ जाएगा। चंदवारा के वसीम हक ने कहा कि दो पार्टी कांग्रेस व भाजपा आमने-सामने हैं। भगवानपुर चौक पर सब्जी लेकर लौट रहीं मुनिया देवी ने कहा कि चुनाव में ऐसे-ऐसे लोग आ गए हैं जिनका नाम कभी सुना नहीं है। जो सरकार चला रहा उसको सब जान रहे हैं। दो आदमी का हवा है। जीतना तो एक को ही है। यहां पर कांग्रेस के टिकट के लिए जिलाध्यक्ष अरङ्क्षवद मुकुल व पार्टी नेता जीतेंद्र मंडल सक्रिय थे, लेकिन पार्टी ने पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी पर भरोसा कर मैदान में उतारा है।

चुनावी मुद्दे की बात करें तो यहां शहर में जलजमाव से निदान, सिकंदरपुर मन व सरकारी बस पड़ाव का सौंदर्यीकरण, सदर अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था को पटरी पर लाना, एसकेएसीएच में बन रहे छह सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को चालू कराना। फिलहाल, प्रचार का शोर थम गया है। बूथ का जिसके पास बेहतर प्रबंध होगा वह बाजी को अपने पाले में करने में सक्षम होगा। पिछले चुनाव की तरह एक बार फिर विकास जीत हार में सहायक बनेगा।  


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