Bihar Election 2020 : चौपाल में अाए लोगों ने कहा, अतिक्रमण पर हो प्रहार, इसके बाद ही संभव है जाम की समस्या से निजात
Bihar Election 2020 शहरवासियों को चाहिए अतिक्रमण मुक्त शहर जनप्रतिनिधि लें जिम्मेदारी। दैनिक जागरण के चुनावी चौपाल में लोगों ने रखी अपनी राय। सड़क पर अवैध दुकानों को सजाने से लोगों को पैदल चलने तक की जगह नहीं मिलती। इसे दूर किया जाना चाहिए।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। रात में शहर की जो सड़के चौड़ी दिखाई पड़ती हैं और दिन में वही सड़कें अतिक्रमण के कारण सिमट जाती हैं। चौड़ी ड़क संकीर्ण हो जाती है जिससे जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है। लोगों को सड़क पर चलने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में लोग अतिक्रमण मुक्त सड़क चाहते हैं। वे शासन-प्रशासन विशेषकर अपने जनप्रतिनिधि से ठोस कदम की उम्मीद करते है। बुधवार को रामदयालु नगर मुक्ति मंदिर के पास दैनिक जागरण द्वारा चुनावी चौपाल का आयोजन किया गया। चौपाल में स्थानीय लोगों ने भाग लिया और अपने विचार रखे।
चौपाल में जो बाते उभरकर सामने आई उसके अनुसार अतिक्रमण शहरवासियों के लिए सबसे बड़ी समस्या है। अतिक्रमण के पांव पसारने के कारण सड़के सिमटती जा रही है। शासन प्रशासन पर इस समस्या से निजात को कठोर कदम उठाने होगे। चंदन कुमार सिंह ने कहा कि अतिक्रमण के कारण शहरवासियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। लेकिन उनको हटाया नहीं जा रहा है। कभी हटाया भी जाता है तो बस कुछ घंटों के लिए। प्रशासन-प्रशासन का उनको संरक्षण प्राप्त है। जनप्रतिनिधि अतिक्रमण मुक्त शहर का वादा करें।
ज्योति कुमारी ने कहा कि पहले सड़क के किनारे अतिक्रमणकारी कब्जा बनाते थे और अब बीच सड़क पर बैठते है। भले ही सड़क जाम क्यों न हो जाए। जनप्रतिनिधि एवं सदन को इस पर ध्यान देना चाहिए। विशाल कुमार ने कहा कि अतिक्रमण के कारण शहर की गति रुक जाती है। सड़क पर अवैध दुकानों को सजाने से लोगों को पैदल चलने तक की जगह नहीं मिलती। इसे दूर किया जाना चाहिए। सुमित कुमार ने कहा कि अतिक्रमण करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। अतिक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए कानून है पर इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता । सड़क का अतिक्रमण करने वालों पर कानून का डंडा चलना चाहिए।
चौपाल में सामने आईं समस्याएं
- अतिक्रमण के कारण शहर के अधिकांश रोड संकीर्ण हो चले हैं।
- सड़कें संकीर्ण होने के कारण यातायात प्रभावित होता है।
- आए दिन शहरवासियों की जाम की समस्या से जूझना पड़ता है।
- सड़क किनारे पैदल चलने तक को जगह नहीं मिलती जिससे लोग दुर्घटना के शिकार होते है।
- नालियों पर अतिक्रमण के कारण उनकी उड़ाही नहीं हो पाती एवं जलजमाव की समस्या उत्पन्न होती है।
- सरकारी जमीनों पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर बस्ती बसा ली है।
- अतिक्रमण के खिलाफ अभियान के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है।