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Bihar Chunav Results 2020: मुजफ्फरपुर के ये सात विधायक नहीं बचा सके सीट, यह रही इसकी वजह

Bihar Chunav Results 2020 पारू व मीनापुर के विधायक को फिर मिली विजयी श्री कांटी विधायक ने सकरा जाकर हासिल की जीत । कहीं वोटों का बिखराव बना कारण तो कहीं ध्रुवीकरण ने रोक दी जीत की राह।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 12 Nov 2020 08:29 AM (IST)Updated: Thu, 12 Nov 2020 08:29 AM (IST)
Bihar Chunav Results 2020: मुजफ्फरपुर के ये सात विधायक नहीं बचा सके सीट, यह रही इसकी वजह
मुजफ्फरपुर से नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा अपनी सीट नहीं बचा सके।

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कोरोना काल में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में मतदाताओं के मिजाज को परखने में उम्मीदवारों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। यही कारण रहा कि जिले के 11 विधायकों में से सात अपनी सीट नहीं बचा सके। पारू व मीनापुर के विधायक इसी सीट पर लड़कर जीत हासिल की। वहीं कांटी विधायक सकरा सीट पर लड़कर विधानसभा पहुंचे। बोचहां विधायक बेबी कुमारी का टिकट पहले ही कट गया था। जिन आठ सीटों पर विधायकों की हार हुई उनमें कहीं वोटों का बिखराव तो कहीं वोटरों की उदासीनता कारण बनी।

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पारू में वोटों के बिखराव का लाभ

पारू विधायक व भाजपा उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह ने करीब 77 हजार वोट लाकर चौथी बार जीत दर्ज की। यहां उन्हें वोटों की बिखराव का फायदा मिला। उनके मुकाबले में महागठबंधन से उतरे कांग्रेस के उम्मीदवार अनुनय सिन्हा तीसरे नंबर पर रहे। मगर, उन्हें 13 हजार से अधिक वोट मिले। जबकि मुख्य प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय प्रत्याशी शंकर प्रसाद को 62 हजार वोट आए। वहीं रालोसपा व आरजेबीपी उम्मीदवार ने मिलकर 13 हजार से अधिक वोट हासिल किए। ये वोट जीत-हार के अंतर से काफी अधिक रहे। वहीं मीनापुर में राजद विधायक राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव के लिए त्रिकोणीय मुकाबला वरदान साबित हुआ। उन्हें करीब 60 हजार वोट मिले तो निकटतम प्रतिद्वंद्वी जदयू के मनोज कुमार को करीब 44 हजार। तीसरे नंबर पर रहे लोजपा के अजय कुमार को भी करीब 43 हजार वोट आए। यह बिखराव मुन्ना यादव की जीत का मुख्य कारण रहा। कांटी की जगह सकरा से इसबार जदयू उम्मीदवार के रूप में उतरे अशोक कुमार चौधरी करीबी मुकाबले में कांग्रेस उम्मीदवार उमेश राम से जीते। यहां करीब डेढ़ हजार वोट के अंतर से जीत मिली। लोजपा के संजय पासवान को मिले 13 हजार वोट के कारण मुकाबला नजदीकी रहा।

मतदाताओं की उदासीनता ने नहीं लगाने दी हैट्रिक

जिले की सबसे महत्वपूर्ण सीट मुजफ्फरपुर से नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा अपनी सीट नहीं बचा सके। भाजपा उम्मीदवार को सीधे मुकाबले में कांग्रेस के विजेंद्र चौधरी के हाथों छह हजार वोटों से शिकस्त मिली। यहां वोटरों की उदासीनता भारी पड़ी। इस सीट पर लगभग 52 फीसद ही वोट पड़े थे। माना जा रहा कि यहां तीन से चार फीसद अधिक वोङ्क्षटग होती तो परिणाम अलग हो सकता था। भाजपा ने अपनी कुढऩी की सीट भी गंवाई। यहां पार्टी उम्मीदवार केदार गुप्ता महज छह सौ वोटों के अंतर से राजद के डॉ. अनिल सहनी से हारे। इस सीट पर रालोसपा उम्मीदवार राम बाबू को मिले दस हजार वोट इस तरह के परिणाम के कारण बने।

कोमल ने बिगाड़ा महेश्वर का खेल

गायघाट में भी जदयू उम्मीदवार महेश्वर यादव त्रिकोणीय मुकाबले के कारण सीट नहीं बचा सके। सबसे अधिक उम्मीदवार वाली इस सीट पर तीसरे नंबर पर रही लोजपा उम्मीदवार कोमल सिंह को 36 हजार से अधिक वोट आए। जबकि यहां जीत का अंतर सात हजार ही था। औराई में वोटों के ध्रुवीकरण का लाभ भाजपा उम्मीदवार रामसूरत राय को मिला। इस कारण जीत का अंतर भी काफी अधिक रहा। निर्दलीय उतरे डॉ. सुरेंद्र कुमार सीट नहीं बचा सके। वे पिछली बार राजद के टिकट पर जीते थे। साहेबगंज से राजद विधायक व पूर्व मंत्री रामविचार राय भी सीट नहीं बचा सके। कुछ वोटों का यहां भी बिखराव हुआ। मगर, वीआइपी के राजू कुमार ङ्क्षसह से सीधी लड़ाई रही। बोचहां में भी कमोबेश यही स्थिति रही। वोटों का बिखराव हुआ। मगर, यहां भी वीआइपी के मुसाफिर पासवान की राजद के रमई राम से सीधी लड़ाई रही। बरुराज विधायक व राजद उम्मीदवार नंद कुमार राय भी सीधी लड़ाई में बड़े अंतर से पराजित हुए। यहां भाजपा के अरुण कुमार सिंह 44 हजार के अंतर से जीते। कांटी में वोटों के बिखराव ने परिणाम पर असर डाला। राजद के इसमाइल मंसूरी करीब दस हजार वोटों से जीते। मगर, चतुष्कोणीय मुकाबले में जदयू के मो. जमाल को भी 25 हजार व लोजपा के विजय प्रसाद को 18 हजार वोट मिले। इसने परिणाम पर असर डाला।  


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