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Bihar Assembly Election 2020: विकास के मुद्दे पर हावी जातीय समीकरण

Bihar Chunav 2020 मिथिलांचल के मतदाताओं की आंखों में सबने भरे सपने लेकिन परिणाम के केंद्र बिंदु पर सबका गणित उलझा हुआ ही दिख रहा है। अब देखना है कि मंगलवार को होने वाली मतगणना में मिथिलांचल में बाजी किसके हाथ लगती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 09:03 AM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 04:04 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: विकास के मुद्दे पर हावी जातीय समीकरण
मंगलवार को होने वाली मतगणना में मिथिलांचल में बाजी किसके हाथ लगती है।

रविकांत। इस बार बिहार विधानसभा चुनाव का रंग मिथिलांचल में कुछ अलग है। इसके पीछे की वजह भी मायने रखती है। वर्ष 2010 के समीकरण 2015 में पूरी तरह से बदल गए थे। सियासी चक्र एक बार फिर बदला, नतीजा जो संग-संग थे, आज आमने-सामने हैं। एकला चलो की राह पर लोक जनशक्ति पार्टी अकेले ही मैदान में है। वैसे तो विगत दो विधानसभा चुनाव में जनता ने विकास पर मोहर लगाई थी। लेकिन इस बार विकास के मुद्दों पर जातीय समीकरण हावी है। ऐसी स्थिति तब है, जब चुनावी सभाओं में सबने वादों का पिटारा खोल दिया। मतदाताओं की आंखों में सपने भर दिए। इसके बाद भी नतीजे के केंद्र बिंदु पर सबका गणित उलझा हुआ है।

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मिथिलांचल यानी दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर में कुल 30 सीटें हैं। दूसरे चरण में 14 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। अब आखिरी चरण में सात नवंबर को 16 सीटों पर मतदान होगा। ऐसा नहीं है कि किसी पार्टी ने अपनी ओर से कोई कसर छोड़ी है। समस्तीपुर और दरभंगा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभाओं के बाद एनडीए के पक्ष में माहौल थोड़ा बदला है। वोट बिखराव रुकने के आसार बने हैं। इसका लाभ निश्चय ही एनडीए को मिलेगा। महागठबंधन के पक्ष में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव सहित कई नेता अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की भी धुआंधार चुनावी सभाएं हुई हैं।

खेती ही आजीविका का मुख्य साधन : मिथिलांचल में आय का मुख्य स्नोत कृषि उत्पाद है। लेकिन खेती-किसानी और रोजगार के मुद्दे धरातल पर हैं। इस क्षेत्र का बड़ा इलाका बाढ़ग्रस्त होने के कारण स्थायी समाधान हवा में है। एनडीए ने दरभंगा में एम्स का निर्माण करने की घोषणा करते हुए बाजी अपने हाथ रखने का भरपूर प्रयास किया है। साथ ही दरभंगा एयरपोर्ट से आठ नवंबर से दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु के लिए विमान सेवा शुरू करने की लगभग सभी तैयारी पूरी करने के अलावा मत्स्य पालन, मखाना और कृषि के विकास पर जोर दिया है। वहीं विपक्ष ने विकास के सारे दावे को ही खारिज कर दिया है। उसने पूरे प्रदेश में जिलावार उद्योग लगाने और दस लाख नौकरी की घोषणा कर एनडीए के समक्ष कड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।

दरभंगा में आमने-सामने एनडीए और महागठबंधन : वर्ष 2015 के चुनाव में यहां की 10 सीटों में से चार-चार सीटों पर राजद और जदयू ने जीत दर्ज की थी। वहीं, दो पर भाजपा को जीत मिली थी। इस बार एनडीए में भाजपा चार, जदयू चार और दो सीटों पर वीआइपी के प्रत्याशी हैं। महागठबंधन की ओर से तीन सीटों पर कांग्रेस और सात पर राजद ने अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं। वहीं, लोजपा ने उन सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए हैं, जहां जदयू उम्मीदवार हैं। इनके अतिरिक्त जाप, रालोसपा, बसपा और द प्लूरल्स की भी जोर आजमाइश जारी है। जाले सीट पर चुनाव रोमांचकारी है। यहां से एनडीए ने भाजपा विधायक जीवेश कुमार मिश्र को चुनावी मैदान में उतारा तो उनके सामने महागठबंधन से अलीगढ़ यूनिवर्सटिी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष मश्कूर अहमद उस्मानी हैं। हालांकि, दो विधानसभा सीटों गौड़ाबौराम और बेनीपुर में लोजपा की वजह से त्रिकोणात्मक संघर्ष के आसार बने हैं।

हसनपुर और सरायरंजन में लड़ाई दिलचस्प : यूं तो समस्तीपुर में भी सभी सीटों पर आमने-सामने की जंग है। लेकिन यहां की जंग को दिलचस्प बना दिया है हसनपुर से जदयू के वर्तमान विधायक राजकुमार राय के सामने खड़े राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेजप्रताप ने। वहीं सरायरंजन से जदयू विधायक और विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी के सामने खड़े हैं राजद के अरविंद कुमार सहनी। रोसड़ा में भाजपा के वीरेंद्र पासवान के सामने उतरकर लोजपा प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के भतीजे कृष्ण राज ने चुनौती दी है। वर्ष 2015 के चुनावों की बात करें तो यहां की 10 में से छह सीटों पर जदयू, तीन पर राजद और एक पर कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। इस बार यहां से सात सीटों पर जदयू और तीन पर भाजपा चुनाव लड़ रही है। जातीय समीकरणों के बीच यहां के लोग भी विकास की चाह रखते हैं। एनडीए और महागठबंधन, दोनों के लिए बागियों से खुद को बचाए रखने की चुनौती है।

तीन मंत्रियों का क्षेत्र मधुबनी : पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा बेनीपट्टी और आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय लौकहा से एनडीए के प्रत्याशी हैं। वहीं, दिवंगत मंत्री कपिलदेव कामत की बहू मीना कामत बाबूबरही से किस्मत आजमा रही हैं। वर्ष 2015 के चुनाव में मधुबनी की 10 सीटों में से चार पर राजद और तीन पर जदयू जीती थी। कांग्रेस, भाजपा व रालोसपा को एक-एक सीट मिली थी। इस बार एनडीए में भाजपा पांच, जदयू चार और एक सीट पर वीआइपी के प्रत्याशी हैं। महागठबंधन की ओर से छह सीटों पर राजद, दो-दो सीटों पर कांग्रेस और भाकपा के प्रत्याशी हैं। जदयू और वीआइपी वाली सीटों पर लोजपा के प्रत्याशी एनडीए की जीत की राह को मुश्किल बना रहे हैं।

[वरिष्ठ उप समाचार संपादक, मुजफ्फरपुर]


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