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पितृ ऋण से मुक्ति पाने का उत्तम समय, करें पितरों को स्मरण Muzaffarpur News

पितरों की आत्मा की शांति और उनका आशीष प्राप्त करने को लोग करेंगे पिंडदान व श्राद्ध कर्म।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 08:51 AM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 08:51 AM (IST)
पितृ ऋण से मुक्ति पाने का उत्तम समय, करें पितरों को स्मरण Muzaffarpur News
पितृ ऋण से मुक्ति पाने का उत्तम समय, करें पितरों को स्मरण Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा, शनिवार से पितृ पक्ष शुरू हो गया। यह 28 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति और उनका आशीष प्राप्त करने के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म करेंगे। मान्यता है कि पितृ ऋण से मुक्ति पाने का यह उत्तम समय है। दूसरे दिन रविवार को उन लोगों का पिंडदान किया जाएगा, जिनका देहांत प्रतिपदा तिथि को हुआ हो। इस दिन नाना-नानी का श्राद्ध भी किया जा सकता है।

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शास्त्री नगर, कन्हौली के विमल कुमार लाभ बताते हैं कि सनातन धर्म में अपने बुजुर्गों को स्मरण करने के लिए हर महीने की अमावस्या तिथि निर्धारित की गई है। मगर, आश्विन मास का यह पखवारा खासतौर पर पितरों के लिए समर्पित किया गया है। इसे महालया पर्व के नाम से जाना गया है।

 भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक चलने वाला यह महालया पर्व सर्वपितृ अमावस्या के दिन समाप्त होता है। वैसे पितर जिनके निधन की तिथि पंचांग के अनुसार याद नहीं, उनका श्राद्ध कर्म सर्वपितृ अमावस्या 28 सितंबर को कर सकते हैं। कम से कम तिल और जल दान तो अवश्य करना चाहिए। ध्यान रहे कि धन होने पर श्राद्ध में कंजूसी नहीं करें और धन नहीं होने पर पितरों को श्रद्धा के साथ जल तो जरूर ही अर्पित करना चाहिए। जगदंबा नगर, बैरिया के आचार्य अभिनय पाठक बताते हैं कि यह श्राद्ध कर्म ऐसा विधान है, जिससे हमारी भावी पीढ़ी भी अपने बुजुर्गों का सम्मान करना सीखती है।

कब करें श्राद्ध

श्राद्ध हमेशा अपराह्न में ही करना चाहिए। इस समय सूर्य का ताप धीरे-धीरे मंद हो रहा होता है। इस मुहूर्त में गंगाजल, दूध, शहद, तिल, वस्त्र आदि का दान और दौहित्र को भोजन कराना शुभ माना जाता है। श्राद्ध में कुश का प्रयोग जरूरी है। चंपा, कमल, मालती व जूही के फूल, तुलसी आदि से पितर प्रसन्न होते हैं। सोना, चांदी, कांसा व तांबे के बर्तन में भोजन कराना उत्तम माना जाता है। 


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