विज्ञान प्रदर्शनी के सर्वश्रेष्ठ मॉडल को कॉलेज में लगवाया जाएगा : कुलपति
तिरहुत कृषि महाविद्यालय के सभागार में विज्ञान दिवस पर मॉडल प्रदर्शनी लगाई गई। कुलपति डॉ.आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ मॉडल को महाविद्यालय के परिसर में लगवाएंगे।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। तिरहुत कृषि महाविद्यालय के सभागार में विज्ञान दिवस पर मॉडल प्रदर्शनी लगाई गई। मुख्य अतिथि कुलपति डॉ.आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि विज्ञान प्रदर्शनी के सर्वश्रेष्ठ मॉडल को महाविद्यालय के परिसर में लगवाएंगे। इसे आस-पास के किसान भी देख सकेंगे। उन्होंने कहा कि 50 फीसद आबादी कृषि पर ही अधारित है। हम सभी मिलकर उनके जीवन यापन के स्तर को ऊंचा कर सकें तो ये बड़ी बात होगी।
उन्होंने कहा कि गाव की जरूरतों व समस्याओं का समाधान कर सकने वाली सोच रखने की जरूरत है। इसी आधार पर कृषि तकनीकी विकसित की जाए। प्रदर्शनी में तिरहुत कृषि महाविद्यालय, मात्सि्यकी महाविद्यालय, पं.दी.उ.उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय, बुनियादी विद्यालय बखरी, केंद्रीय विद्यालय पूसा, कैंपस स्कूल पूसा, शंभूनाथपुर ढोली के छात्र-छात्राओं ने विज्ञान के मॉडल लगाए।
मौके पर अधिष्ठाता तिरहुत कृषि महाविद्यालय डॉ.एके सिह, अधिष्ठाता मात्सि्यकी महाविद्यालय डॉ.एससी राय, निदेशक अनुसंधान डॉ.एम.कुमार, डॉ.एलएम यादव, डॉ.संजय सिंह, डॉ.एसएस प्रसाद, डॉ.असिम कुमार मिश्रा, डॉ.नौशाद अंसारी, डॉ.रविकात आदि थे।
केंद्रीय विद्यालय द्वारा बनाया गया वर्मी सॉफ्ट नामक एप ढोली
केंद्रीय विद्यालय पूसा के छात्रो ने वर्मी सॉफ्ट नामक एप बनाया। इसे विज्ञान प्रदर्शनी में सभी ने सराहा। एप के निर्माता कनिष्ठ कुमार सिंह ने बताया कि सभी लोग वर्मी कम्पोस्ट एवं ऑंरगैनिक फॉर्मिंग को लाभदायक बता रहे हैं, लेकिन कोई नहीं सोचता है कि यह मुमकिन कैसे होगा। इसे प्रचलित करने के लिए साथ ही किसानों की मदद के लिए वर्मी-सॉफ्ट एप बनाया है। इससे किसान कम समय में अपनी समस्याओं का हल निकाल सकते हैं। उनके टीम सहायक 11वीं की छात्रा आयशा झा,आद्य वस्त हैं।
किसानों के बीज की विवि के ब्राड पर होगा बिक्त्री ढोली
मुरौल कुषि विज्ञान केंद्र के प्रागण में मसाला फसल उत्पादन प्रक्षेत्र दिवस पर किसानों की गोष्ठी में डॉ.रा.प्र.के.कृ.वि.पूसा के कुलपति डॉ.आरसी.श्रीवास्तव ने कहा कि किसानों के बीज उत्पादन को विश्वविद्यालय अपने ब्राड पर ब्रिक्त्री करेगा। इसके लिए किसानों को भी वैज्ञानिक तकनीकी के साथ वैज्ञानिकों के दिशा निर्देशन में उत्पादन करना होगा। उन्होंने कहा कि कृषि का विकास तभी संभव है जब किसानों एवं वैज्ञानिकों के बीच सामंजस्य स्थापित हो। किसान अपनी समस्या व सुझाव दें और वैज्ञानिक उनकी जरूरतों के अनुसार अनुसंधान करे। उन्होंने कहा कि जैविक खेती करने से उनके उत्पादों की माग बढ़ी है। हल्दी के पत्तियों से तेल सहित अन्य उत्पाद बनाने की कोशिश होगी।
मौके पर अधिष्ठाता उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय डॉ.के.कुमार, अधिष्ठाता डॉ.एके सिंह, निदेशक अनुसंधान डॉ.मिथिलेश कुमार, निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डॉ.पीपी.सिह, डॉ.एलएम यादव, डॉ.एके मिश्रा, डॉ.संजय सिंह, सुरक्षा सुपरवाइजर सुनिल कुमार आदि थे।