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वीसी का निर्देश नहीं मान रहे बीएड कॉलेज, रोका रिजल्ट

बीएड 2015-17 के विद्यार्थी परीक्षा और रिजल्ट के बाद अब मा‌र्क्सशीट के लिए टकटकी लगाए बैठे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 01:03 PM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 01:03 PM (IST)
वीसी का निर्देश नहीं मान रहे बीएड कॉलेज, रोका रिजल्ट
वीसी का निर्देश नहीं मान रहे बीएड कॉलेज, रोका रिजल्ट

मुजफ्फरपुर। बीएड 2015-17 के विद्यार्थी परीक्षा और रिजल्ट के बाद अब मा‌र्क्सशीट के लिए टकटकी लगाए बैठे हैं। कॉलेज 30 हजार रुपये डिमांड कर रहे हैं और इसलिए उनका सीएलसी नहीं दे रहे। कुलपति डॉ. अमरेंद्र नारायण यादव के फॉरवार्डिग लेटर का भी कॉलेज संज्ञान नहीं ले रहे। इससे नाराज विद्यार्थियों ने एक बार फिर कुलपति आवास का घेराव कर हंगामा किया। भारी हंगामे के बाद पुलिस बुलानी पड़ी, तब जाकर उग्र विद्यार्थी शांत पडे़। कुलपति डॉ. अमरेंद्र नारायण यादव ने उनके प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए बुलाया। विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बसंत कुमार उर्फ सिद्धू उनको लेकर कुलपति आवास गए। कुलपति ने कहा कि अब सिर्फ फॉरवार्डिग लेटर से काम नहीं चलेगा। सीसीडीसी डॉ. विजय कुमार को उन्होंने ऐसे कॉलेजों के नाम रजिस्ट्रार के माध्यक से सीधे आदेश पत्र जारी करने को कहा। कुलपति ने माना कि 2015-17 के विद्यार्थियों का रिजल्ट उस पैसे के लिए बीएड कॉलेज नहीं रोक सकते जिनकी देनदारी इन विद्यार्थियों की बनती ही नहीं। उन्होंने माना कि यह उन कॉलेजों की मनमानी है और इसपर अंकुश लगाना आवश्यक है। चालू सत्र से यह व्यवस्था लागू, पुराने से नहीं

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बीएड सेकेंड ईयर (2015-17) पासआउट विद्यार्थियों में आरएसएस टीचर्स ट्रेनिंग विंग, चोचहां के आशुतोष कुमार, पल्लवी कुमारी, पिंकी कुमारी, मुन्ना कुमार, नेहा कुमारी, ऋषिकेष कुमार, पप्पू कुमार, दीपक कुमार, रंजीत कुमार, हेमंत कुमार का कहना है कि पुराने सत्र के विद्यार्थियों से भी बीएड कॉलेज वाले जबरन 30 हजार रुपये डिमांड कर रहे हैं। देने से इन्कार करने पर मा‌र्क्सशीट व सीएलसी रोक रखा है। कुलपति से मिलने आए विद्यार्थियों में आरएसएस कॉलेज, चोचहां व एलएन मिश्रा कॉलेज के बहुतायत विद्यार्थी शामिल थे। उनकी शिकायत थी कि उन कॉलेजों के लोग 30-30 हजार रुपये डिमांड कर रहे हैं। बीएड कॉलेजों के अनुसार, हाईकोर्ट के आदेश पर उनकी फीस बढ़कर डेढ़ लाख हो गई है। जिसमें से वे शेष पैसे डिमांड कर रहे हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि हाईकोर्ट ने चालू सत्र से यह व्यवस्था लागू की है न कि पुराने सत्र से।


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