बांस के कूड़ेदान से एक साथ पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन, इस तरह आया ख्याल
सीतामढ़ी की सिंहवाहिनी पंचायत में प्लास्टिक की जगह बांस के पारंपरिक कूड़ेदान का होगा इस्तेमाल। रोजगार सृजन की दिशा में अनोखी पहल।
सीतामढ़ी, [मुकेश कुमार'अमन']। सिंहवाहिनी पंचायत में एक अनोखी पहल, प्लास्टिक की जगह बांस के कूड़ेदान का इस्तेमाल। इससे पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ ग्रामीणों को भी रोजगार। प्लास्टिक की जगह इसे विकल्प बनाया जा सकता है। बांस के 25 कूड़ेदान इस पंचायत के विभिन्न घरों में रखे जा चुके हैं। 50 महिलाएं कूड़ेदान बनाने के काम में जुड़ी हैं। प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की गई है।
एक कूड़ेदान की कीमत 250 रुपये
सीतामढ़ी जिले के सोनबरसा प्रखंड अंतर्गत सिंहवाहिनी पंचायत में मुखिया रितू जायसवाल की पहल पर अब तक 25 कूड़ेदान रखे जा चुके हैं। एक कूड़ेदान की कीमत 250 रुपये हैं। पंचायत में 2200 से 2500 घर हैं। फिलहाल, इसके अनुपात में कूड़ादान बनाने का काम हो रहा।
कूड़ेदान निर्माण से घर बैठे रोजगार
मुखिया ने सरकार को सुझाया है कि टाइड फंड से कूड़ा प्रबंधन के लिए डस्टबिन खरीदकर घर-घर देने की योजना में बांस के कूड़ेदान को शामिल किया जाए। इसके लिए उन्होंने प्रस्ताव भी भेजा है। बिहार में 8466 पंचायतें हैं। एक पंचायत में 2200 से 2500 घर हैं। इस प्रकार एक डस्टबिन अगर ढाई सौ रुपये में खरीदकर देते हैं तो पूरी राशि गांव के लोगों को ही मिलेगी। गांवों में रोजगार का सृजन होगा। बांस की टोकरी, झाड़ू, सूप-दउरा बनानेवाले लोगों को भी घर बैठे काम मिल जाएगा।
50 महिलाएं ले रहीं प्रशिक्षण
कूड़ादान बनाने का प्रशिक्षण ले रहीं बनारसी देवी, इसरी देवी, इंदू देवी व एतवरिया देवी का कहना है कि बांस के कलात्मक कूड़ेदान भी बन सकते हैं, ऐसी उम्मीद नहीं थी। मगर, मुखिया की पहल पर काम आसान हो गया है। अभी 50 महिलाएं कूड़ेदान बनाने के काम से जुड़ी हैं। प्रशिक्षण के लिए दरभंगा व मधुबनी से प्रशिक्षक बुलाए गए हैं। ग्रामोद्धार योजना के तहत पिछले महीने से इस पर कार्य हो रहा। इसके अंतर्गत बांस की कई और उपयोगी वस्तुएं बनाने का भी काम हो रहा है।
रोजगार का बेहतर माध्यम
सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया रितू जायसवाल ने कहा कि बांस के कूड़ेदान की मंजूरी मिलने पर बिहार में एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार खड़ा हो सकता है। यहां बांस का अच्छा उत्पादन होता है। इससे कई और उपयोगी वस्तुएं बनाने के कार्य को बढ़ावा मिलेगा। डीएम, सीतामढ़ी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने कहा कि यह अच्छी पहल है। इससे न सिर्फ गांवों में रोजगार का सृजन होगा, बल्कि तेजी से विकास होगा। पर्यावरण के लिए यह वरदान होगा। स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और पलायन रोकने में भी यह पहल मददगार होगी।