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Muzaffarpur Flood News: मनुषमारा नदी ने किसानों को किया कंगाल, कटौझा में बागमती लाल निशान से नीचे

Muzaffarpur Flood News धरहरवा पंचायत की 11 सौ एकड़ खेत में फैला नदी का पानी। कमर भर पानी पार कर जाना पड़ता एक जगह से दूसरी जगह।

By Murari KumarEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 10:02 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 10:02 PM (IST)
Muzaffarpur Flood News: मनुषमारा नदी ने किसानों को किया कंगाल, कटौझा में बागमती लाल निशान से नीचे
Muzaffarpur Flood News: मनुषमारा नदी ने किसानों को किया कंगाल, कटौझा में बागमती लाल निशान से नीचे

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। मनुषमारा नदी की त्रासदी से धरहरवा पंचायत के किसान दिनोंदिन कंगाल होते जा रहे हैं। पंचायत की1100 एकड़ खेत में मनुषमारा नदी का पानी फैला हुआ है जिससे प्रतिवर्ष धान की फसल नष्ट हो जाती है। वहीं, रबी फसल के समय भी किसान इस नदी के पानी का शिकार हो जाते हैं। इस पानी से हनुमान नगर, धरहरवा, रामबाग, अंबेदकर नगर, लक्षमीनिया टोला, चैनपुर, चंदवारा, पडऱी, बैधनथा के लोग प्रभावित हैं। धरहरवा के,संजय गुप्ता, देवेन्द्र मिश्र, प्रमोद पूर्वे, रामबाग के रघुनाथ मुखिया, रामबालक मुखिया, पुरवारी टोला के गुड्डू मिश्रा, पडऱी के रविन्द्र मंडल ने बताया कि मनुषमारा नदी से हर वर्ष किसान परेशान होते हैं। प्रत्येक वर्ष जहां धान की फसल बर्बाद हो जाती है, वहीं रबी फसल पर भी इस नदी के पानी का असर पड़ता है।

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 इस नदी में पानी आने से कई गांव के लोगों को आवागमन में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हनुमाननगर फकीर टोला के लोगों को घर से निकलने के लिए कमर भर पानी तैरकर जाना पड़ता है। मो. रफीक, शाकिर शाह, मो. सलीम ,मो. जहांगीर के घरों तक जाने में कमर भर पानी तैरना पड़ता है। अमरजीत पासवान को रोपनी करके आगे घर चलाने की जिम्मेदारी थी, वह आस टूट गई। इस टोले के जामुन महतो, परमेश्वर महतो, विश्वनाथ चौधरी घर से बेघर हो गए हुए हैं। ये लोग घर छोड़कर सड़क पर आश्रय लिए हुए हैं।

पानी पार करते हो जाती खुजली

मनुषमारा नदी का पानी तैरकर जाने आने के बाद हाथ- पैर खुजलाने लगता है। अधिकतर लोगों को पानी होकर जाने-आने के कारण बाढ़ बरसात के समय पैर में घाव हो जाता है। इस पानी से बचाव के लिए यहां के लोग सुबह शाम- हाथ पैर में सरसों का तेल लगाकर आवागमन करते हैं। ताकि खुजली से बचाव हो सके।

कटौझा में बागमती लाल निशान से नीचे

बागमती नदी के जलस्तर में गुरुवार दोपहर के बाद कमी दर्ज की गई। कटौझा में बागमती का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे है, जबकि लखनदेई का जलस्तर स्थिर है। दूसरी ओर मनुषमारा नदी का प्रदूषित पानी कई नए इलाकों में फैल चुका है। मनुषमारा के प्रदूषित काले पानी से किसानों को व्यापक नुकसान उठाना पड़ा है। किसान कपिल देव साह, राज नारायण,  राजदेव साह, उमेश राय, राम कैलाश राय ,नथनी साह, रविंद्र मंडल आदि किसानों ने बताया कि इस बार भी खरीफ की फसल से हाथ धो चुके हैं।

 धरहरवा पंचायत की मुखिया सुनीता देवी ने कहा कि लॉकडाउन में किसानों एवं मजदूरों पर दोहरी मार पड़ी है। अगर खरीफ की फसल नहीं हुई तो भूखमरी की नौबत आ जाएगी। कहा कि इसका स्थाई निदान अबतक नहीं किए जाने से  किसान खरीफ की फसल अगले वर्ष से नहीं लगाएंगे। प्रदूषित पानी के बदबू से जीना मुहाल हो चुका है। दूसरी ओर पंसस कल्पना कुमारी ने कहा कि धरहरवा पंचायत के महावीर स्थान टोला, रामबाग टोला, में नाव की अभी सख्त जरूरत है। रामबाग में एक छोटी निजी नाव है जो आबादी के हिसाब से अपर्याप्त है। लखनदेई का पानी औराई के कई इलाकों के चौर में फैलने से फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचा है।


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