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पश्चिम चंपारण में उद्योगों का बुरा हाल, दम तोड़ रही सेल की स्टील प्रोसेसि‍ंग यूनिट

पिछड़े क्षेत्र में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए पश्चिम चंपारण में 2009 में हुई थी स्थापना 100 करोड़ की लागत से दो चरणों में स्टील शीट व पाइप का होना था निर्माण चलाने के लिए फंड की कमी से प्रतिवर्ष 600 टन पाइप का ही हो रहा है निर्माण

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 14 Jul 2021 01:29 PM (IST)Updated: Wed, 14 Jul 2021 01:29 PM (IST)
पश्चिम चंपारण में उद्योगों का बुरा हाल, दम तोड़ रही सेल की स्टील प्रोसेसि‍ंग यूनिट
बेतिया के कुमारबाग स्थित स्टील प्रोसेस‍िंग यूनिट।

पश्चिम चंपारण, [शशि कुमार मिश्र] । तीन औद्योगिक क्षेत्रों (कुमारबाग, बेतिया और रामनगर) वाले पश्चिम चंपारण में उद्योगों का हाल बुरा है। सूबे में एकमात्र कुमारबाग में सेल (स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड) ने स्टील प्रोसेङ्क्षसग इकाई की स्थापना 12 साल पहले की थी। फंड की कमी और अधिकारियों की उदासीनता के चलते यह यूनिट दम तोड़ती नजर आ रही है।

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पिछड़े क्षेत्र मेंं औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की योजना से वर्ष 2007 में स्टील यूनिट लगाने का शिलान्यास हुआ था। तकरीबन 100 करोड़ खर्च कर वर्ष 2009 में यह बनकर तैयार हुआ। इस यूनिट से सालाना 20 हजार टन स्टील शीट और 50 हजार टन पाइप का निर्माण होना था। कुछ दिनों तक शीट का निर्माण होने के बाद बंद हो गया। पाइप निर्माण की शुुरुआत नौ वर्ष बाद 2018 में हुई। अभी सालाना महज 600 टन पाइप का ही निर्माण हो रहा है।

स्टील प्रोसेङ्क्षसग इकाई के लिए कुल 50 एकड़ जमीन आवंटित है। 20 एकड़ में यूनिट है। 30 एकड़ टीएमटी बार सरिया के निर्माण के लिए एक अन्य यूनिट लगनी थी, जो नहीं लग सकी है। क्षमता के अनुसार यूनिट के नहीं चलने का कारण कच्चे माल के लिए फंड का अभाव एवं तकनीकी कारण बताया जा रहा है। इससे यहां कार्यरत 137 कर्मियों के भविष्य पर भी प्रश्नचिह्न लगा हुआ है। अधिकतर कर्मियों की सेवा नियमित नहीं हो सकी है।

- स्टील प्रोसेङ्क्षसग इकाई के नियमित संचालन के लिए प्रबंधन लगा हुआ है। इस मार्ग में आने वाली समस्याओं को दूर किया जाएगा। -पीतांबर चौधरी मुख्य महाप्रबंधक स्टील प्रोसेसिंग इकाई, कुमारबाग

फल-फूल रहीं छोटी यूनिटें

बेतिया । 452 एकड़ में फैले औद्योगिक परिसर कुमारबाग में भले ही सेल की यूनिट ठीक से नहीं चल रही हो, लेकिन छोटे-बड़े 51 उद्योग आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा दे रहे। इससे 500 लोगों को रोजगार मिला है। यहां दो दर्जन से अधिक राइस मिल, फूड प्रोसेङ्क्षसग यूनिट सहित अन्य उद्योग लगे हैं। इसके अलावा कृषि यंत्र निर्माण कारखाना भी है। राइस के एक मेगा प्लांट में तकरीबन 300 लोग काम करते हैं। कंपनी के निदेशक वेदांत गोयनका व आशीष सिकारिया के अनुसार यहां निर्मित चावल विदेश तक भेजा जाता है। 100 एकड़ में बने बेतिया औद्योगिक क्षेत्र में 66 यूनिट लगी हैं। यहां टाइल्स, फ्लावर मिल, कोल ब्रिक्स सहित अन्य उद्योग चल रहे है। 15 यूनिटें बंद हैं। रामनगर 13 में से सात एकड़ में छोटी-छोटी यूनिटें लगी हैं।


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