मुजफ्फरपुर की बबली ने परिवार की सुरक्षा संग की जरूरतमंदों की सेवा
आधा दर्जन सामाजिक संगठनों से जुड़कर निभा रहीं सेवा धर्म। सेवा के लिए कई संस्था उनको कर चुकी है सम्मानित। कोरोना काल ही नहीं वह पिछले छह साल से लोगों की सेवा को अपना धर्म मानती हैं ।
मुजफ्फरपुर, जासं। कोरोना काल में जब सभी अपनी जान बचाने में लगे थे तब बबली कुमारी परिवार की सुरक्षा के साथ-साथ जरूरतमंदों की सेवा लगी थीं। राशन-पानी के अभाव में जिन घरों का चूल्हा बुझ गया था उनका पेट भरने का काम किया। उनके घरों तक राशन पहुंचाया। यही नहीं आधा दर्जन गरीबों का अपने खर्च पर इलाज कराया। कोरोना काल ही नहीं वह पिछले छह साल से लोगों की सेवा को अपना धर्म मानती हैं। कोई भी जरूरतमंद उनको फोन कर मदद मांगता है तो वह उसकी सेवा में लग जाती हंै। किसी को अपने स्तर से तो किसी को सामाजिक संगठनों की मदद से सहयोग करती हैं।
बबली कुमारी छोटी सरैयागंज की रहने वाली हैं। उनके पति संजीव कुमार कपड़ा व्यवसायी हैं। उनकी मदद से अपना सेवा धर्म निभा रही हैं। वह इनरव्हील, ग्रीन फाउंडेशन, अंगना समेत आधा दर्जन संस्थाओं से जुड़ी हंै। इन दिनों वे युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई, बुनाई व पेंटिंग का प्रशिक्षण दे रही हैं। इसके लिए साधन उपलब्ध करा रही हैं। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि कोई भी फोन से या इंटरनेट मीडिया के माध्यम से उनसे संपर्क कर मदद मांगता है तो निकल पड़ती हैं। किसी को व्हील चेयर तो किसी को नेमोलाइजर मशीन उपलब्ध करा चुकी हैं।
शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाके में अपनी सेवा देना बबली ज्यादा पंसद करती हैं। हमेशा किसी न किसी गांव में जाकर वहां के लोगों की समस्याओं को सुनतीं और फिर उनकी मदद करती हैं। ग्रामीण युवतियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करतीं और इस काम में मदद करती हैं। अपनी सेवा के लिए कई बार वह सम्मानित हो चुकी हैं।
किसी के तंज कसने पर चुनी सेवा की राह
किसी अपने ने बबली पर तंज कसा था, जिससे वह मर्माहत हुईं। कुछ कर दिखाने का संकल्प लेकर समाज सेवा के क्षेत्र कदम रखा और अपनी पहचान स्थापित की। वह मूलरूप से कांटी की रहनी वाली हैं और वहीं से कांटी हाईस्कूल व कॉलेज से क्रमश: मैट्रिक व इंटर किया। उसके बाद शहर के आरबीबीएम कॉलेज से वनस्पति विज्ञान में स्नातक व कंप्यूटर में डिप्लोमा किया। उनके दो पुत्र हैं। बबली कहती हैं कि दूसरे की सेवा करना अपना धर्म मानती हैं, लेकिन परिवार की जिम्मेदारी को प्राथमिकता देती हंै। वह कहती हैं कि समाज सेवा की राह चुनने में पति ने मदद की। कभी किसी प्रकार की परेशानी हुई तो हमेशा साथ खड़े रहे।