बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की प्रायोगिक परीक्षा में एवरेज मार्किंग को लेकर विद्यार्थियों में उहापोह की स्थिति
प्रथम व द्वितीय खंड में उपलब्ध प्राप्तांक के आधार पर करना हैं एवरेज मार्किंग। एवरेज मार्किंग से कॉलेजों को झेलना पड़ सकता हैं छात्रों का विरोध। छात्रों के बीच प्रायोगिक परीक्षा कराने को लेकर उठने लगी हैं मांग।
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय ने जिले के तमाम कॉलेजों से स्नातक पार्ट-थ्री के छात्रों का प्रायोगिक का अंक मांगा है। इस बार विवि स्तर पर प्रायोगिक परीक्षा नहीं होनी है। कोरोना वायरस के कारण कॉलेजों में आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर सभी छात्रों के प्रायोगिक परीक्षाओं का अंक उपलब्ध कराना है। जिसमें छात्रों के प्रथम व द्वितीय खंड में उपलब्ध प्राप्तांक के आधार पर अंक निर्धारित कर विश्वविद्यालय को भेजना है।
अब छात्र प्रायोगिक परीक्षा को लेकर मांग उठाने लगे है। लेकिन इधर विधानसभा चुनाव और पर्व त्योहारों की छुट्टियों के कारण अभी तक स्नातक पार्ट तीन की भी परीक्षा नहीं हो पाई है। हालांकि विश्वविद्यालय द्वारा फॉर्म भरवाने और अन्य औपचारिकता को पूरी करवाने की कवायद शुरू कर दी गई है। अब पर्व-त्योहारों की छुट्टियों के बाद जब कॉलेज खुलेंगे तो स्नातक पार्ट 3 के परीक्षा के शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। वहीं विश्वविद्यालय द्वारा सभी कॉलेजों को स्नातक पार्ट 3 के प्रायोगिक परीक्षा के परिणामों को एवरेज मार्किंग कर कर विश्वविद्यालय भेजने का निर्देश जारी करने केे बाद से नगर के विभिन्न कॉलेजों में इसको लेकर पशोपेश की स्थिति देखी जा रही है। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि स्नातक पार्ट वन और पार्ट 2 के नंबर के आधार पर पार्ट 3 में एवरेज मार्किंग करने का निर्देश दिया गया है। ऐसी स्थिति में छात्रों का विरोध उन्हें झेलना पड़ सकता है।
कई अध्यापकों का कहना है कि अगर किसी छात्र का पार्ट 3 में नंबर अच्छा भी आने वाला होगा, तो उसे पार्ट वन और पार्ट टू के आधार पर ही नंबर देना पड़ जाएगा। वहीं इस बार इस नंबर को देने के प्रोसेस में एक्सटर्नल का भी सहारा नहीं लेने की बात कही जा रही है। जिसके बाद से कॉलेज प्रशासन इस निर्णय को लेकर स्पष्टता जाहिर नहीं कर पा रहा है। एमजेके कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुरेंद्र प्रसाद केसरी ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा ऐसा दिशा निर्देश प्राप्त हुआ है। इस पर अभी विचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रैक्टिकल परीक्षा में औसत मार्किंग को देने का कार्य विषयों के विभागाध्यक्ष को करना है। ऐसे में कई विभागाध्यक्ष अभी छुट्टी पर है उनके आने के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकता है।
वहीं इस निर्णय को लेकर महिला कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार प्रसाद ने भी कहा कि बिना एक्सटर्नल के नंबर देने का दिशा निर्देश प्राप्त हुआ है। ऐसे में विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
कोरोना को देखते हुए विश्वविद्यालय में लिया निर्णय
इसलिए विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोगिक परीक्षा में औसत मार्किंग का निर्देश जारी किया गया है। इन सबके साथ सवाल उठता है कि अगर प्रायोगिक परीक्षा में औसत मार्किंग की जाएगी। तब मुख्य परीक्षा का आयोजन कॉलेजों में कैसे होगा। इसे लेकर छात्रों में भी अभी स्पष्टता का अभाव दिख रहा है। छात्रों का कहना है कि मुख्य परीक्षा जरूर होनी चाहिए तभी सही मार्किंग हो पाएगी।