अमेरिका के लोग मिथिलांचल के इस डिश के हुए दीवाने, अब वहीं उत्पादन करने की तैयारी
American Food Culture यूं तो अमेरिका के लोग कई भारतीय खानों के मुरीद हैं। वे अमेरिका में ही भारतीय रेस्टोरेंट या फिर भारत आने पर यहां के रेस्टोरेंट इसका आनंद लेते हैं। मिथिलांचल में तैयार हाेने वाले मखाना के उत्पाद उनमें से एक हैं।
मधुबनी, [कपिलेश्वर साह]। मखाना और इसके पैकेट बंद उत्पादों की मांग दुनिया भर में बढ़ी है। इससे लोगों को रोजगार मिलने के साथ किसानों को लाभ हो रहा है। जिले के बाद अब मखाना के उत्पाद अमेरिका में भी बनेंगे। इसके लिए इस वर्ष के अंत तक वहां एक यूनिट लगाई जाएगी। मखाना यहां से जाएगा और इससे संबंधित उत्पाद वहां बनाए जाएंगे। वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट में मधुबनी के लिए मखाना है। यहां बना पैकेट बंद मखाना, मखाना खीर, मखाना पाउडर, मखाना सकरौरी, रोस्टेड और मखाना आटा की आपूर्ति देश के 160 शहरों के अलावा इंग्लैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, दुबई, इराक, ईरान, सऊदी अरब, कुवैत व कतर सहित दुनिया के तीन दर्जन देशों में होती है।
- -मिथिला के बाद अब अमेरिका में भी स्थापित होगी मखाना के उत्पाद बनाने वाली यूनिट
- -मखाना खीर, पाउडर, मखाना सकरौरी, रोस्टेड व मखाना आटा का होगा उत्पादन
- -मधुबनी के मिथिला नेचुरल की ओर से इस वर्ष के अंत तक किया जाएगा स्थापित
मधुबनी से जाएगा मखाना
इसमें कई उद्यमी लगे हैं। मनीष आनंद झा उनमें से एक हैं। जिले के जरैल व अरेड़ गांव में मखाना प्रोसेसिंग यूनिट चला रहे हैं। अब इसकी एक यूनिट इस वर्ष के अंत तक अमेरिका में लगाई जाएगी। वहां मखाना के पैकेट बंद व्यंजनों का उत्पादन होगा। मधुबनी से मखाना भेजा जाएगा। मनीष ने बताया कि उन्होंने यूएसए कारपोरेशन से मिथिला नेचुरल का रजिस्ट्रेशन कराया है। यूनिट शुरू होने से वहां मांग के अनुसार उत्पाद बना सकेंगे। कच्चा माल ले जाकर बनाने खर्च में भी कमी होगी। फायदा अधिक होगा। अमेरिकी खाने-पीने के सामान को लेकर अधिक जागरूक हैं। अमेरिका में उत्पादन होने से वहां के लोगों का भरोसा बढ़ेगा। कोरोना के चलते स्वास्थ्य के प्रति लोग अधिक जागरूक हुए हैं। इस कारण इस तरह के प्रोडक्ट की मांग बढ़ी है।
मिल रहा लोगों को रोजगार
अरेड़ व जरैल स्थित यूनिट में करीब तीन दर्जन लोगों को रोजगार मिला है। सीजन में चार महीने तक सौ से डेढ़ सौ कर्मियों को रोजगार मिलता है। मखाना व उसके प्रोडक्ट का कारोबार वर्ष 2021 में देश में आठ करोड़ व विदेश में चार करोड़ का हुआ था। इस वर्ष देश में 10 व विदेश में पांच करोड़ के कारोबार की उम्मीद है।
बढिय़ा स्वाद, जैविक उत्पाद
जिले में करीब छह हजार तालाबों के 2100 हेक्टेयर में मखाना की खेती होती है। 12 हजार क्विंटल से अधिक मखाना होता है। जिले के तालाबों में होने वाले मखाना का स्वाद बढिय़ा होती है। आकार बड़ा होता है। अन्य जिलों में खेत में धान की फसल लेने के दौरान मखाना की खेती में रासायनिक खाद का भी प्रयोग होता है। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक का कहना है कि पैकेट बंद मखाना की मांग बढ़ी है। इसके उद्योग को बढ़ावा देने के लिए काम हो रहा है।