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बिहार में अमेरिकी नागरिक को पांच साल की कैद, नंगे पैर कोर्ट से जेल ले गई पुलिस

डेढ़ साल पहले विदेशी करेंसी के साथ बगैर वीजा गिरफ्तार अमेरिकी नागरिक को बिहार के मधुबनी में कोर्ट ने कारावास व जुर्माना की सजा दी है। पूरा मामला जानिए इस खबर में।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 11:08 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 07:13 PM (IST)
बिहार में अमेरिकी नागरिक को पांच साल की कैद, नंगे पैर कोर्ट से जेल ले गई पुलिस
बिहार में अमेरिकी नागरिक को पांच साल की कैद, नंगे पैर कोर्ट से जेल ले गई पुलिस
मधुबनी [जेएनएन]। डेढ़ साल पूर्व बासोपट्टी थाना क्षेत्र स्थित भारतीय सीमा में खौना बीओपी के पास बिना वीजा के गिरफ्तार अमेरिकी नागरिक क्यूंग डेविड दूहयन को कोर्ट ने पांच साल के कारावास की सजा दी। साथ ही दो हजार रुपये जुर्माना देने का भी आदेश दिया। जेल में क्यूंग डेविड दूहयन को चप्‍पल तक की मूलभूत सुविधा नहीं मिल सकी है। यही कारण रहा कि वह सोमवार को कोर्ट लगे पैर आया और सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस उसे नंगे पैर ही जेल ले गई।
करीब डेढ़ साल पहले 19 मार्च 2018 की रात एसएसबी ने डेविड को गिरफ्तार किया था। 20 मार्च 2018 से वह मधुबनी मंडल कारा में बंद है। गिरफ्तारी के बाद तलाशी के दौरान डेविड के पास से 1919 अमेरिकन डॉलर, 56, 070 कोरियन मुद्रा और 2,665 नेपाली रुपये मिले थे। इसके अलावा दिशा सूचक यंत्र और अन्य सामान मिले थे। इस बाबत एसएसबी अधिकारी श्यामाचरण वर्मण ने बासोपट्टी थाने में विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उसके पास भारत में प्रवेश करने का वीजा नहीं था।
सरकार ने मुफ्त दी थी कानूनी सहायता
डेविड ने मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के लिए जेल से ही जिला विधिक सेवा प्राधिकार को आवेदन भेजा था। मंडल कारा में संचालित लीगल एड क्लीनिक के  विधिक स्वयंसेवक रामचरित्र यादव और वेद प्रकाश सिंह ने प्राधिकार के सचिव को पत्र भेजकर मामले से अवगत कराया था। इसके बाद जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने डेविड को मुफ्त में कानूनी सहायता देने के लिए अधिवक्ता रामशरण साह को नियुक्त किया था।
बीते अगस्त माह में डेविड को कोर्ट से जमानत मिल गई थी। मगर भारत में उसका कोई नहीं रहने के कारण तें जमानतदार नहीं मिलने के कारण वह जेल से बाहर नहीं निकल सका।
सोमवार को डेविड कोर्ट में पेशी के दौरान हमेशा नंगे पैर ही आया था। अब तक वह विचाराधीन कैदी था। इसलिए जूता या कपड़ा जेल से  उपलब्ध नहीं कराया गया था। किसी परिजन या मित्र ने भी ये चीजें उपलब्ध नहीं कराईं। अब सजायाफ्ता हो जाने के बाद जेल मैन्यूअल के हिसाब से ये चीजें उपलब्ध कराई जाएंगी।

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