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मासूमों की जिंदगी से ‘सौदेबाजी’ करने में भी नहीं कर रहे परहेज

एईएस पीडि़त बच्चों को एसकेएमसीएच लाने में एंबुलेंस वाले वसूल रहे पांच सौ से हजार रुपये। एसकेएमसीएच में भर्ती कई लोगों ने कहा संतान की जिंदगी के लिए देनी पड़ रही राशि।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 12 Jun 2019 12:34 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jun 2019 03:33 PM (IST)
मासूमों की जिंदगी से ‘सौदेबाजी’ करने में भी नहीं कर रहे परहेज
मासूमों की जिंदगी से ‘सौदेबाजी’ करने में भी नहीं कर रहे परहेज

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। पिछले कई वर्षों से उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों में सैकड़ों मासूमों की मौत से किसकी आंखें नहीं रोई होंगी। मगर, कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें मासूमों की जिंदगी से सौदेबाजी करने में भी शर्म नहीं आती। उनका कलेजा नहीं पिघलता। एक तरफ पूरा विभाग, सरकार, चिकित्सक अधिक से अधिक बच्चों की जिंदगी बचाने में लगे हैं। वहीं एंबुलेंस वाले इस जिंदगी की कीमत वसूल रहे। एईएस पीडि़त बच्चों को एसकेएमसीएच लाने के लिए पांच सौ से एक हजार रुपये तक लिए जा रहे। जबकि यह सेवा निशुल्क है।

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 एसकेएमसीएच में भर्ती एईएस पीडि़त कई बच्चों के परिजनों ने कहा कि सरकारी एंबुलेंस से आने पर भी रुपये लिए गए। मगर, इसकी रसीद नहीं दी। जबकि निजी वाहन वाले मनमाना रकम मांगते। बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए यह राशि देनी पड़ती है।

 पिपराहां के मंटू राम अपने बच्चे को केजरीवाल अस्पताल से एसकेएमसीएच लाए। इसके लिए उन्हें एंबुलेंस वाले को पांच सौ रुपये देना पड़ा। जबकि दोनों अस्पतालों के बीच महज सात से आठ किमी की दूरी है। नीतीश (नौ) की तबीयत बिगडऩे पर परिजन उसे मधुबन से एसकेएमसीएच लाए। इसके लिए उनसे 15 सौ रुपये लिए गए। बड़ा दाउद के राजकिशोर महतो पारू पीएचसी से बेटी जूली कुमारी को एसकेएमसीएच लाए। इसके लिए पीएचसी से ही सरकारी एंबुलेंस की सेवा मिली।

 मगर, रास्ते में कहा गया कि दस रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से किराया देना होगा। नहीं तो यहीं उतार देने की बात कही गई। मजबूरी में सात सौ रुपये देना पड़ा। इसी तरह मुशहरी पीएचसी से बेटी रवीना को यहां लाने के लिए चुनचुन देवी को चार सौ रुपये देने पड़े। मगर, इसकी रसीद भी नहीं मिली। पूर्वी चंपारण के चकिया की रूना देवी ने कहा कि आठ सौ रुपये मांग रहा था। पांच सौ रुपये देकर किसी तरह बच्ची को यहां लाए।

 इस बारे में मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन डॉ. शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि पैसे लिए जाने की शिकायत गंभीर है। इसकी जांच होगी। दोषियों पर कार्रवाई के साथ राशि की भी वसूली की जाएगी।

केजरीवाल में एईएस पीडि़त बच्चों के परिजन से लिए जा रहे पैसे

केजरीवाल अस्पताल में एईएस बीमारी के शिकार बच्चों के परिजन से पैसे लिए जा रहे हैं। मंगलवार की शाम जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष की औचक निरीक्षण से इस बात की जानकारी मिली। उनके साथ सिविल सर्जन एसके सिंह सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। दोपहर में स्वास्थ्य निदेशक प्रमुख आरडी रंजन भी केजरीवाल अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने अस्पताल प्रबंधक से काफी देर बात की और एईएस बच्चों को दवा उपलब्ध कराने को कहा।

 उन्होंने खर्च हो रही दवाओं की पेमेंट सरकारी स्तर से करने की बात कही। वे एईएस वार्ड में भी वहां भर्ती बच्चों के अभिभावकों से जब बात की तो पता चला कि उन लोगों से पैसे लिए जा रहे हैं। उसके बाद देर रात को जिलाधिकारी ने औचक जांच की। भर्ती बच्चों के अभिभावकों ने इलाज के एवज में पैसे लेने की शिकायत की। इस पर डीएम ने कार्रवाई करने की बात कही। डीएम ने कहा कि एईएस पीडि़ता बच्चों का इलाज मुफ्त में करना है। उनसे किसी तरह के पैसे नहीं लिए जाएंगे। इलाज का खर्च सरकार देगी।

 इधर, केजरीवाल अस्पताल प्रबंधक बीबी गिरी का दावा है कि उनके यहां भर्ती होने वाले एईएस के बच्चों से पैसे नहीं लिए जाते। अलग से वार्ड बनाया गया है। वार्ड के बगल में ही दवा दुकान खोली गईहै। आदेश है मुफ्त दवा देने का। अनजाने में अगर कोई व्यक्ति पैसे से दवा खरीद लेते हैं, तो वाउचर लेकर आने पर पैसा वापस कर दिया जाता है। जिनको जानकारी है, उनका वाउचर आने पर फ्री कर दिया जाता है।

चिकित्सा पदाधिकारियों को डीएम का अल्टीमेटम, इलाज में कोताही पर नपेंगे

जिले में एईएस के कहर को देखते हुए प्रशासन अलर्ट हो गया है। मंगलवार को डीएम आलोक रंजन घोष ने स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के वरीय पदाधिकारियों व प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारियों को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि बच्चों के इलाज में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इलाज को लेकर सभी को तत्पर रहने को कहा। वहीं बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने को कहा की। निर्देश दिया कि सभी आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, आशा और एएनएम की जागरूकता कार्यक्रमों में वार्ड स्तर तक सहभागिता सुनिश्चित कराएं।

 सिविल सर्जन डॉ. शैलेश सिंह ने अपील की कि यदि बच्चों में ऐसा कोई भी लक्षण दिखाई दे तो उसे तत्काल नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल में ले जाएं। डीएम ने भी बच्चों के तत्काल इलाज की व्यवस्था करने का निर्देश दिया। कहा, किसी भी सूरत में देरी नहीं हो। सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि घर-घर में ओआरएस उपलब्ध कराएं। किसी भी स्तर पर लापरवाही हुई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

 प्रशासन ने बीमारी को लेकर रिपोर्ट भी जारी की। कहा गया कि मुजफ्फरपुर में इस बीमारी के अब तक 124 मामले सामने आए हैं। इसमें 30 बच्चो की मौत हुई है। इसमें सात की मौत केजरीवाल अस्पताल व 23 की एसकेएमसीएच में हुई है। मुशहरी में 24 मामले सामने आए हैं। इसमें आठ की मौत हुई है। बैठक डीडीसी उज्ज्वल कुमार सिंह, डीपीओ आइसीडीएस ललिता सिंह, ओएसडी, सभी प्रखंडों के चिकित्सा प्रभारी, सीडीपीओ व महिला पर्यवेक्षिका मौजूद थे। 

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