सौतेला व्यवहार कर रही सरकार, आंदोलन का शंखनाद Muzaffarpur News
निगमकर्मियों की आम सभा में जुटे राज्य के सभी निकायों के कर्मचारी नेता। पहले धरना-प्रदर्शन फिर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे राज्य के सभी शहरी निकायकर्मी।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। सरकार एवं सरकार के मुलाजिम नगर निकायकर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं। उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। निकायकर्मियों से उनका हक छीन निजी एजेंसियों को सौंपा जा रहा है। कर्मचारी अपने शोषण एवं अधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे। पहले धरना-प्रदर्शन फिर अनिश्चित कालीन हड़ताल होगी। उक्त बातें निगम कार्यालय परिसर में आयोजित कर्मचारियों की आम सभा में कही गई। आम सभा में बिहार लोकल बॉडीज इंपलाइज फेडरेशन एवं स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ तथा विभिन्न निकायों के नेता शामिल हुए। नेताओं ने संयुक्त रूप से सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन का एलान किया।
चरणबद्ध आंदोलन के तहत पहले धरना-प्रदर्शन फिर निकायों का चक्का जाम करने की घोषणा की गई है। लोकल बॉडीज इंपलाइज फेडरेशन के महासचिव अशोक कुमार सिंह एवं स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के महासचिव श्यामलाल प्रसाद ने संयुक्त रूप से कहा है कि आंदोलन के तहत निकायकर्मी 26 जून को अपने-अपने निकाय के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के समक्ष प्रदर्शन करेंगे और उनके माध्यम से सरकार को मांगों का ज्ञापन भेजेंगे। उसके बाद 16 जुलाई को अपने-अपने जिले के जिलाधिकारी एवं 30 जुलाई को मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन कर ज्ञापन सौपेंगे।
मांगें पूरी नहीं होने पर 19 अगस्त को मशाल जुलूस निकाला जाएगा और 20 अगस्त को राज्य के सभी निकायों को जाम कर दिया जाएगा। लोकल बॉडीज के अध्यक्ष शिववचन शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित आम सभा में महासचिव अशोक कुमार सिंह, महासंघ के महासचिव श्याम लाल प्रसाद, गया निगम के अमृत प्रसाद, पटना निगम के जितेंद्र कुमार, दरभंगा निगम के मोख्तार अहमद, एवं एसके मिश्रा, रक्सौल नगर परिषद के चंद्रशेखर सिंह, भागलपुर निगम के सुशील कुमार यादव, मुजफ्फरपुर निगम के अशोक राय, सतेंद्र कुमार सिंह, सुशील कुमार, नवल किशोर वर्मा आदि मौजूद थे।
बैठक में सरकार पर लगाया गया आरोप
- नगर निकाय कर्मचारियों को सरकारी कर्मियों के समान वेतन एवं सुविधा नहीं दी जा रही।
- सरकार एवं निकाय के अधिकारियों द्वारा कर्मियों का मानसिक एवं आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
- राज्य के सभी निकायों में एक समान वेतनमान लागू नहीं किया जा रहा है।
- किसी को सातवां तो किसी को पांचवां वेतनमान मिल रहा है, एकरूपता नहीं है।
- कर्मचारियों को मिलने वाले एसीपी के लाभ को बंद कर दिया गया।
- सरकार के निर्णय के बाद भी अब तक नगर निकायों में पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है।
- पूर्व से स्वीकृति पदों को समाप्त किया जा रहा है।
- सफाई का कार्य निजी एजेंसी को देने का सरकारी फैसला कर्मचारी हित में नहीं है।
- दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की सेवा स्थाई नहीं की जा रही है।
- संविदा एवं दैनिक मजदूरी पर कार्यरत कर्मचारियों को भी उचित पारिश्रमिक नहीं ।
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