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एक साल पहले गरजी थी एके-47, शिकार हुए थे पूर्व मेयर समीर कुमार Muzaffarpur News

घटना इतनी अप्रत्याशित थी की एक घंटे तक कोई नहीं लगा सका था अनुमान। कार के नंबर से हो सकी थी पहचान तब मच गया था हड़कंप।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 10:01 AM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 10:01 AM (IST)
एक साल पहले गरजी थी एके-47, शिकार हुए थे पूर्व मेयर समीर कुमार Muzaffarpur News
एक साल पहले गरजी थी एके-47, शिकार हुए थे पूर्व मेयर समीर कुमार Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। पिछले साल 23 सितंबर की शाम शहर में एके-47 गरजी थी। एके-47 से लैस बाइक सवार अपराधियों के निशाने पर पूर्व मेयर समीर कुमार व उनके कार चालक रोहित कुमार थे। नगर थाना के नवाब रोड चंदवारा में मुख्य सड़क पर उनकी कार को रोककर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। कार की अगली सीट पर बैठे समीर कुमार व चालक रोहित कुमार को गोलियों से भून दिया। दोनों की कार में ही मौत हो गई।

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एक घंटे तक नहीं हो सकी पहचान

करीब एक घंटे तक पुलिस व आसपास के लोग मरने वाले की पहचान नहीं कर सके। वारदात इतनी अप्रत्याशित थी कि किसी को यह अनुमान नहीं था कि पूर्व मेयर समीर कुमार और चालक बदमाशों के शिकार हुए हैं। जब पुलिस ने कार के नंबर के आधार पर खोज शुरू की तो पहचान स्पष्ट हुई। इसके बाद शहर में हड़कंप मच गया। घटना को लेकर अटकलों का बाजार गर्म रहा।

रात भर दौड़ लगाती रही तत्कालीन एसएसपी

घटना के बाद हत्यारों का सुराग व साक्ष्य एकत्र करने को लेकर तत्कालीन एसएसपी हरप्रीत कौर सड़कों पर दौड़ लगाती रही। आखाड़ाघाट रोड स्थित एक होटल से लेकर नबाव रोड चंदवारा के घटनास्थल तक की मॉनीटरिंग की। अखाड़ाघाट रोड स्थित होटल से ही मिठनपुरा स्थित आवास के लिए समीर कुमार कार से चले थे।

सुशील छापडिय़ा के बयान से पर्दा हटने का दावा

जमीन के सौदे में धोखाधड़ी के एक मामले में हिरासत में लिए गए सुशील छापडिय़ा ने पुलिस के समक्ष स्वीकारोक्ति बयान दिया। इस आधार पर पुलिस ने पूरी घटना से पर्दा हटने का दावा किया। सात आरोपितों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया। सातों आरोपितों को हाईकोर्ट से जमानत मिली हुई है। इससे पहले सभी के विरुद्ध पुलिस ने कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। फिलहाल सत्र-विचारण से पहले जिला जज के कोर्ट में आरोप तय किया जाना है। इसके लिए कोर्ट ने एक अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की है। हाल ही में चार अन्य आरोपितों की पुलिस ने इस घटना में संलिप्तता बताई है।

जांच से संतोष तब होता, सही से कार्रवाई होती

पूर्व मेयर समीर कुमार के परिजन पुलिस जांच से संतुष्ट नहीं हैं। उनकी पत्नी वर्षा रानी कहती है कि संतुष्ट तब होती जब कार्रवाई होती। सात आरोपितों के विरुद्ध आरोप पत्र में पुलिस कितना कमजोर साक्ष्य उपलब्ध कराया कि सेशन ट्रायल से पहले ही सभी को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। चार अन्य आरोपितों को जमानत लेने की मोहलत दी जा रही है।

शुरू में पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि इसमें बड़े लोग शामिल हैं, लेकिन यह अब तक कोई जान नहीं पाया। पुलिस के वरीय अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी से सिर्फ आश्वासन ही मिला। जांच को दिग्भ्रमित करने के लिए मामले को प्रोपर्टी डीलिंग की ओर मोड़ दिया गया। क्या अब जमीन नहीं बिक रही है। सवाल करती हुई कहती है कि यह कैसी पुलिस जांच जिसमें शहर में जो चर्चा पहले होती है वही इसमें आती है।  


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