करजा के हार्डवेयर व्यवसायी हत्याकांड में पत्नी, साला सहित अजय पांडेय गिरफ्तार
एक माह पहले हनीट्रैप में अपहृत करजा के हार्डवेयर व्यवसायी जयप्रकाश नारायण के अपहरण व हत्या की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है।
मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। एक माह पहले हनीट्रैप में अपहृत करजा के हार्डवेयर व्यवसायी जयप्रकाश नारायण के अपहरण व हत्या की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है। मामले में मिठनपुरा थाने के रामबाग चौड़ी के अजय पाडेय, उसकी पत्नी प्रियंका पाण्डेय व सदर थाना के पताही निवासी साला मनीष कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इसके पास से एक बाइक व दो मोबाइल बरामद हुआ है। हत्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाला उसका सहयोगी खगड़िया का राजू सहित चार आरोपित फिलहाल फरार है। इसकी जानकारी रविवार की शाम नगर थाने में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में एसएसपी मनोज कुमार ने दी। एसएसपी ने बताया कि डेढ़ करोड़ रुपये की फिरौती के लिए अपहरण व हत्याकांड में अजय पाडेय, प्रियंका व आदेशपाल राजू साहब, बीवी और गुलाम की तरह शामिल थे। प्रियंका ने अपना नाम बदल कर 30 सितंबर को हार्डवेयर व्यवसायी जयप्रकाश नारायण की पत्नी के मोबाइल पर फोन किया। उसने जयप्रकाश से बात करने की इच्छा जताई। पत्नी ने जब उससे बात की तो उसने जमीन का सौदे करने की बात कहकर बुलाया। कई दिनों तक लगातार बातचीत हुई। ट्रैप में फंसकर व्यवसायी यहां चला आया और उसे अजय ने टाउन थाना के निकट स्थित मोतीझील के फ्लैट में कैद कर लिया। बाद में यही उसकी हत्या कर दी गई । व्यवसायी के फोन से परिजन को कॉल करके चेक बुक मंगवाई। भगवानपुर भामा शाह द्वार के निकट से स्टाफ के हाथों चेक लाने व उस पर राशि चढ़ा कर व्यवसायी से हस्ताक्षर करा कर फिर लौटाने उसका साला मनीष वहां गया था। उसने ही उसके पिता व दुकान के स्टाफ संजय राय के नाम से 50-50 लाख व 25-25 लाख के जयप्रकाश के दस्तखत वाले दो-दो चेक स्टाफ को लौटाए थे। सीसीटीवी कैमरे में उसकी तस्वीर कैद हो गई थी। लेकिन, व्यवसायी ने झांसा देते हुए अपने उस एकाउंट का चेक मंगवाया, जिसमें राशि कम थी। इसी कारण बैंक में इस चेक के विरुद्ध राशि भुगतान नहीं हो सका। रुपये के लेनदेन में किसी को शक नहीं हो, इसके लिए व्यवसायी से एक बांड पेपर पर हस्ताक्षर कराया गया था। इसमें पूर्व के बकाया का चुकता करने की बात कही गई थी। फिरौती की राशि नहीं मिलने पर इस बांड पेपर को नष्ट कर दिया। पुलिस को भरमाने के लिए उसकी बाइक स्टेशन पर स्टैंड में लगवा दिया। अगले दिन यह बाइक यहीं से बरामद हुई।
शहर में सामाजिक कार्यो में बढ़-चढ़कर भाग लेने व बिजली की समस्या उठानेवाला अजय वास्तव में शातिर था। वर्ष 2010 में पटना में एक नेता के रिश्तेदार के अपहरण के मामले में उसके विरुद्ध बुद्धा कॉलोनी थाने में प्राथमिकी है। इसमें राजू का नाम भी है। उसने 35 लाख फिरौती वसूली थी। उसके विरुद्ध मिठनपुरा व बेला थाने में पांच मुकदमे हैं। इसमें डकैती की योजना बनाते, आर्म्स एक्ट व मद्य निषेध व सरकारी काम में बाधा डालने के मामले शामिल है। इस घटना में उसने प्री एक्टिवेट मोबाइल सिम का प्रयोग किया। यह सिम उसे मात्र दो सौ रुपये में बेचा गया। सिम बेचने वाले पंकज को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। जयप्रकाश के बारे में दो करोड़ रुपये बैंक में जमा करने की जानकारी मिली थी। इस घटना में प्रयुक्त प्री एक्टिवेटेड सिम से मोतिहारी के एक व्यवसायी को भी ट्रैप करने की कोशिश की थी, लेकिन इसमें वह सफल नहीं हो सका।
फिरौती की राशि नहीं मिलने पर अजय ने अपने आदेशपाल राजू को उसकी हत्या कर करजा इलाके में ही शव फेंक देने का आदेश दिया। इसका उद्देश्य विधि व्यवस्था बिगाड़ना व पुलिस को उलझा देना। आदेश का पालन करते हुए राजू ने दो अक्टूबर को गोली मार कर उसकी हत्या करने के बाद करजा थाना के पोखरैरा के निकट शव को फेंक दिया। घटना के एक माह बीतने के बाद वह वनस्थली में पढ़ रही अपनी बेटी से मिलने के बाद शहर में लौटा तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसने पुलिस के समक्ष अपना अपराध स्वीकार कर लिया।
39 वर्षीय अपहृत व्यवसायी जयप्रकाश नारायण के पिता करजा थाना के खलीलपुर निवासी रामपुकार भगत ने दो अक्टूबर को करजा थाना में अज्ञात अपराधियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उसी दिन शाम में पोखरैरा में उसका शव मिला था। इसमें उसने कहा था कि उसकी पत्नी के मोबाइल पर एक लड़की के कॉल पर अख्तियारपुर में जमीन देखने के घर से निकला था। कभी वह पटना तो कभी दूसरे स्थान पर होने की बात कह कर परिजनों को सांत्वना देता रहा।
एएसपी अभियान विमलेशचंद्र झा के नेतृत्व में मामले की जांच में लिए गठित पुलिस अधिकारियों की टीम को पुरस्कृत किया जाएगा। इसकी घोषणा करते हुए एसएसपी ने कहा कि इस टीम के सतत प्रयास से ही एक माह में घटना का उद्भेदन हो सका है। इस टीम को काफी मेहनत करनी पड़ी क्योंकि कोई सामने दिख रहा कोई साक्ष्य छोड़ा नहीं गया था।