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Air Pollution: बिहार के इस जिले में नहीं बची है सांस लेने लायक हवा, देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित

Air Pollution देश के बड़े औद्यौगिक नगरों से अधिक वायु प्रदूषण बिहार के मुजफ्फरपुर में रिकॉर्ड किया गया है। जानें- कितना दर्ज किया गया AQI

By Murari KumarEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 09:57 AM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 09:57 AM (IST)
Air Pollution: बिहार के इस जिले में नहीं बची है सांस लेने लायक हवा, देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित
Air Pollution: बिहार के इस जिले में नहीं बची है सांस लेने लायक हवा, देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित

मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। बिहार के दो शहर मुजफ्फरपुर और पटना की हवा सोमवार को देश में सबसे अधिक प्रदूषित रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक पीएम 2.5 का स्तर बिहार में उच्च स्तर पर रिकॉर्ड किया गया। दिल्ली, गाजियाबाद, कानपुर, लखनऊ, धनबाद और जमशेदपुर जैसे औद्यौगिक नगरों से अधिक वायु प्रदूषण पटना में रिकार्ड किया गया है।

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  सोमवार को पटना की हवा में पीएम 2.5 का स्तर 313 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया। मुजफ्फरपुर का पीएम 2.5 स्तर देश में सबसे अधिक 332 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा। देश के अन्य प्रमुख 96 शहरों का पीएम2.5 का स्तर 300 माइक्रोग्राम से नीचे रहा। इसमें दिल्ली का 217, गाजियाबाद का 272, ग्रेटर नोएडा का 234, हावड़ा का 290, कानपुर का 241, कोलकाता का 227, लखनऊ का 188, नोएडा का 237 और बागपत का 261 माइक्रोग्राम रिकॉर्ड किया गया।

प्रदूषण को रोकने में प्रशासन नाकाम

शहर के गली- मोहल्ले, चौक-चौराहों पर धूलकण उड़ रहे हैं। इससे भारी प्रदूषण फैल रहा है। मुजफ्फरपुर ने प्रदूषित शहरों की सूची में पटना को भी मात दे दी है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक मास्क लगाकर निकल रहे हैं। प्रशासन उड़ रही धूल को फैलने से रोकने में विफल साबित हो रहा है। चंद सड़कों पर ही प्रशासन पानी का छिड़काव करवाने में लगी है। अन्य पर पानी का छिड़काव नहीं हो रहा है। प्रदूषण नियंत्रण पार्षद के आकंड़ों के अनुसार सोमवार को मुजफ्फरपुर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 332 रिकॉर्ड किया गया। जबकि पटना का 313 रिकॉर्ड किया गया।

प्रशासन को आगे बढ़कर करना होगा काम

प्रदूषण का कारण सूक्ष्म धूलकण (पीएम 2.5) एवं धुआं है। विशेषज्ञों का मानना है कि घनत्व बढ़ने के साथ प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। वहीं, लोगों का कहना है कि इससे बचने के लिए सड़कों पर उड़ रहे धूलकण को रोकने के लिए प्रशासन को आगे बढ़कर काम करना होगा। लेकिन प्रशासन सीमित सड़कों पर पानी का छिड़काव करवाने में लगा हुआ है। नगर निगम को नाले की सफाई करने के बाद नाले के किनारे कचरा नहीं छोड़ना होगा। इसके सूखने से वाहनों के गुजरने पर धूल उड़ती है।

सांस की तकलीफ ने किया बेदम

मौसम के बदले मिजाज व प्रदूषण के कारण सांस की बीमारी का प्रकोप तेजी से बढ़ने लगा है। सोमवार को इससे परेशान पांच बच्चों समेत दर्जनभर मरीजों को एसकेएमसीएच में भर्ती किया गया। वहीं सांस की बीमारी से पीड़ित सीतामढ़ी नानपुर की एक वृद्धा को देखते ही चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। बीते दो सप्ताह में सांस की तकलीफ से पीड़ित 46 मरीजों को भर्ती किया गया है। इनमें तीन की मौत हो चुकी है। जबकि अन्य भर्ती मरीजों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

बोले चिकित्‍सक

औषधि विभाग के वरीय चिकित्सक डॉ. अकील अहमद मुमताज एवं डॉ. सतीश कुमार सिंह ने बताया कि बदलते मौसम में सांस की बीमारी का प्रकोप अक्सर बढ़ जाता है। सांस फूलना , संक्रमण, सांस नली में सूजन एवं एलर्जी आदि की तकलीफ हो जाती है।

 इस बारे में एसकेएमसीएच के प्रभारी अधीक्षक डॉ. आइडी सिंह ने कहा कि सांस की तकलीफ के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए औषधि विभाग एवं शिशु विभाग के चिकित्सकों को अलर्ट किया गया है। इन मरीजों के इलाज की समुचित व्यवस्था की गई है।

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