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... तो उम्र ने राधामोहन सिंह को मंत्रालय से कर दिया दूर

17 वीं लोकसभा चुनाव में नामांकन से पहले निवर्तमान केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री ने कहा था- अंतिम बार लड़ रहे चुनाव।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 01 Jun 2019 05:14 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jun 2019 05:14 PM (IST)
... तो उम्र ने राधामोहन सिंह को मंत्रालय से कर दिया दूर
... तो उम्र ने राधामोहन सिंह को मंत्रालय से कर दिया दूर

मोतिहारी, जेएनएन। केंद्र सरकार में कृषि व किसान कल्याण मंत्री रहे 17 वीं लोकसभा में पूर्वी चंपारण के सांसद राधामोहन सिंह इस बार मंत्री की भूमिका में नजर नहीं आएंगे। उनके मंत्री नहीं बनने के पीछे स्वास्थ्य संबधी कारण बताया जा रहा है। बताया गया है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में नामांकन करने के पहले ही राधामोहन सिंह ने इस बात की घोषणा कर दी थी कि भारतीय जनता पार्टी की रीति-नीति के हिसाब से इस बार का चुनाव उनके लिए अंतिम है।

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  श्री सिंह का यह बयान काफी सुर्खियों में था। इस बीच गुरुवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम के मंत्री शपथ ले रहे थे तो वहां राधामोहन सिंह का नहीं होना लोगों के बीच चर्चा के केंद्र में आ गया। इस बीच राधामोहन के मंत्री नहीं बनने के पीछे जो कारण बताए जा रहे हैं वह यह कि उनकी उम्र करीब 69 साल हो गई है और वे हाल के दिनों में पूरे तौर पर स्वस्थ भी नहीं रह रहे हैं। इस कारण से उन्होंने मंंत्री बनने की दिशा में कोई पहल नहीं की।

  इस तरह से वे 17 वीं लोकसभा में सिर्फ पूर्वी चंपारण के सांसद के रूप में बैठेंगे। इस बारे में जब श्री सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अब उम्र के कारण स्वास्थ्य इस बात की इजाजत नहीं देता। मंत्रालय में काम करना होता है। प्रधानमंत्री जी दिन-रात काम करते हैं। हमें भी उसी हिसाब से काम करना चाहिए। लेकिन, मेरा स्वास्थ्य अब इस बात की इजाजत नहीं देता है, सो मैं इस बार मंत्री नहीं बना। मैं एक सांसद के रूम में अपने संसदीय क्षेत्र के अलावा देश के किसी भी कोने में जहां मेरी जरूरत होगी काम करूंगा। लक्ष्य एक ही है कि सबका साथ रहे और सबका विकास हो, इसके एक सांसद के रूप में भी पूरा किया जा सकता है। 

शून्य से शिखर तक के सफर का है इतिहास

नक्सल प्रभावित पूर्वी चंपारण जिले के तेतरिया प्रखंड नरहा पानापुर निवासी स्व. वैद्यनाथ सिंह और जय सुंदरी देवी के घर 1 सितंबर 1949 को जन्मे राधामोहन सिंह ने छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक करियर को आरंभ किया। शून्य से शिखर तक पहुंचे। मोतिहारी स्थित मुंशी सिंह महाविद्यालय से स्तानक तक की शिक्षा ग्रहण करनेवाले श्री सिंह का राजनीतिक इतिहास काफी समृद्ध है। इन्होंने अपने जीवन का मूल आधार कृषि व सामाजिक कार्यों को बढ़ाना ही माना।

  1967-68 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मोतिहारी नगर प्रमुख बने। 1969 में जनसंघ के मंडल सचिव बने। 1970 से 77 तक पूर्वी चंपारण में जनसंघ के संगठन सचिव रहे। 1977-80 तक जनता पार्टी , पूर्वी चंपारण के महासचिव। 1980 से 87 तक भारतीय जनता पार्टी में मुजफ्फरपुर के क्षेत्रीय सांगठनिक सचिव। 1988 से 90 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 1989 में ये पूर्वी चंपारण से पहली बार सांसद चुने गए। 1996 में फिर पूर्वी चंपारण के सांसद बने।

  1999 में इन्हें पूर्वी चंपारण की जनता ने फिर से संसद भेज दिया। 2006 से बिहार भारतीय जनता पार्टी के दो बार प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी रहे। 2009 में चौथी बार पूर्वी चंपारण से संसद पहुंचे। 2014 में भी इन्होंने इस सीट को अपना बना लिया और केंद्र की सरकार में किसान व कल्याण मंत्री बने। 2019 में छठी बार चुनाव जीत संसद पहुंचे। इस तरह से पुराने तमाम रिकार्ड को तोड़ छह बार संसद पहुंचने का खिताब इन्होंने अपने सिर कर लिया। परंतु, अंतिम चुनाव जीतकर जब संसद पहुंचे तो मंत्री नहीं बन पाए। 

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