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Muzaffarpur shelter home case : राज्य की सियासत में इस केस के सामने आने के बाद आ गया था भूचाल, जानिए पूरा मामला

Muzaffarpur shelter home case राज्य सरकार की तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा व उनके पति आए थे लपेटे में। मंजू वर्मा को मंत्री पद से देना पड़ा इस्तीफा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 02:42 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 02:42 PM (IST)
Muzaffarpur shelter home case : राज्य की सियासत में इस केस के सामने आने के बाद आ गया था भूचाल, जानिए पूरा मामला
Muzaffarpur shelter home case : राज्य की सियासत में इस केस के सामने आने के बाद आ गया था भूचाल, जानिए पूरा मामला

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बालिका गृह मामला राज्य की सियासत में भूचाल लाने वाला रहा। इसकी तपिश ने कई राजनेताओं के राजनीतिक कॅरियर को बर्बाद कर दिया। इसकी सबसे बड़ी शिकार राज्य सरकार की तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा व उनके पति चंद्रशेखर प्रसाद वर्मा बने। मंजू वर्मा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। उनकी पार्टी जदयू ने भी उन्हें निलंबित कर दिया। इस घटना के बाद वे पूरी तरह राजनीतिक नेपथ्य में चली गईं। साक्ष्य नहीं मिलने से वे व उनके पति इस मामले में आरोपित तो नहीं बनाए जा सके।

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हालांकि, बेगूसराय स्थित आवास से सीबीआइ को मिले अवैध आम्र्स के मामले में केस दर्ज हुआ। वे व उनके पति लंबे समय तक न्यायिक हिरासत में जेल में रहे। सियासत गरमाने पर ही राज्य सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश की।

बरामद किया गया था अवैध आर्म्स

जब सीबीआइ बेगूसराय स्थित राज्य सरकार के तत्कालीन मंत्री मंजू वर्मा के पैतृक आवास पर छापेमारी करने पहुंची तो वह नहीं मिलीं। तलाशी के दौरान उनके आवास से अवैध आम्र्स सीबीआइ को मिले। उनके विरुद्ध आम्र्स एक्ट के तहत स्थानीय थाना में मामला दर्ज किया गया। गिरफ्तारी से बचने को दोनों लंबे समय तक फरार रहे। बाद में मंजू वर्मा व उनके पति चंदशेखर प्रसाद वर्मा ने अलग-अलग दिन मझौल अनुमंडलीय न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था।

रवि रोशन की पत्नी ने लगाए थे आरोप

बालिका गृह मामले के आरोपित तत्कालीन जिला बाल कल्याण पदाधिकारी (सीपीओ) रवि रोशन की पत्नी शिभा सिंह के आरोपों ने मामले को राजनीतिक रंग दे दिया। उसने सोशल मीडिया व न्यूज चैनलों के समक्ष खुले रूप से मंजू वर्मा व उनके पति चंद्रशेखर वर्मा के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद तो राज्य की सियासत गरमा गई। इससे मामला देशभर में चर्चित हो उठा। दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन हुआ। राज्य सरकार सवालों के घेरे में आने लगी।

विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर मंत्री, अपनी पार्टी के नेताओं व बड़े अधिकारियों को बचाने एवं मामले की लीपापोती करने का आरोप लगाया। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा तक की मांग कर डाली। इस मामले को लेकर जोरदार प्रदर्शन भी किया। सीबीआइ भी दोनों को अपनी जांच के दायरे में रखा। हालांकि सीबीआइ ने दोनों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं किया।

तेजस्वी व सुरेश शर्मा भी उलझे

इस मामले को लेकर विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव व राज्य के नगर विकास व आवास मंत्री भी उलझ गए। पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में तेजस्वी यादव ने राज्य के मंत्री सुरेश शर्मा के खिलाफ कथित आपत्तिजनक बयान दिया। इसे अपमानजनक व मानहानि वाला बताते हुए मंत्री सुरेश शर्मा ने 24 अगस्त 2018 को मुजफ्फरपुर सीजेएम कोर्ट में एक परिवाद दाखिल किया। फिलहाल, विशेष (एमपी /एमएलए के मामले के लिए न्यायिक दंडाधिकारी ) कोर्ट में परिवाद की सुनवाई चल रही है। वहां साक्षियों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है।

कई अधिकारी भी लपेटे में

यह मामला इतना व्यापक हुआ कि राज्य व इसके बाहर के कई अधिकारी भी लपेटे में आए। मुजफ्फरपुर व पटियाला जेल के जेलर इसमें शामिल हैं। सीबीआइ ने मुख्य सचिव को जो रिपोर्ट भेजी है। उसमें कई आइएएस व अन्य पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की बात बताई जा रही है।  


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