Samastipur : सर्जरी के बाद समीर भारद्वाज बनीं सौम्या पहुंची गांव, ऐसा रहा ग्रामीणों का Reaction Samastipur News
Samastipur परिजनों के साथ-साथ ग्रामीणों ने भी खुशी के साथ किया स्वीकार। समीर को देखने और मिलने के लिए लगी भीड़।
समस्तीपुर, [प्रकाश कुमार]। सर्जरी की मदद से समीर भारद्वाज बनीं सौम्या अपने गांव लौट आई हैं। वह शुक्रवार की रात्रि करीब साढ़े बारह बजे अपनी पत्नी और बहन के साथ लौटी है। समीर के गांव लौटने के बाद गांव में काफी खुशी है। उसे देखने और मिलने के लिए लोगों की भीड़ लगी है।
समस्तीपुर जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के मुजौना में उनका पैतृक घर है। उनके पिता डॉ. लक्ष्मीकांत सजल जाने-माने शैक्षणिक लेखक हैं। बीते 22 जून 2019 को सेक्स चेंज की सर्जरी करवाकर लड़की से लड़का बनी सौम्या का नया नाम समीर भारद्वाज रखा गया था। इससे पहले वह सौम्या के रूप में अपने दादा के देहांत के समय 29 दिसंबर 2001 को गांव आई थी। 15 दिनों तक गांव में रहने के बाद जनवरी 2002 में गांव से लौट गई। इसके बाद अब वह समीर बनने के बाद शुक्रवार की रात्रि गांव लौटा है। यहां पर उसे सबकुछ नया-नया लग रहा है। खास बात यह है कि समीर ने जिस लड़की से शादी की है, वह भी एयरोनॉटिकल इंजीनियर ही हैं। उसने सौम्या को लड़का बनने की प्रक्रिया में भी भरपूर साथ दिया है।
पुर्नजन्म वाले दिन भी मनाएगा जन्मदिन
साल में दो-दो बार बर्थडे मनाया जाएगा। समीर भारद्वाज का कहना है, वैसे मेरा जन्म तो 10 अगस्त 1986 को हुआ था। लेकिन, बेंगलुरु के प्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन के नेतृत्व में सर्जरी सफल रहने के बाद सेक्स बदल कर समीर भारद्वाज बन गया। अब वह अपना बर्थडे 10 अगस्त के अलावा 22 जून को ही मनाया करेंगे। क्योंकि, इस दिन ही सर्जरी के बाद नया जीवन मिला है।
छोटी बहन को मिल गया भाई
डॉ. सजल को पूर्व में दो पुत्री ही थी। दोनों की प्रारंभिक से लेकर इंटर तक की शिक्षा पटना में हुई। उन्हें पुत्र नहीं था। बड़ी पुत्री सौम्या को बचपन से ही लड़का के तरह रहने की इच्छा थी। उसके सेक्स बदलने से ही उसकी छोटी बहन को बड़ा भाई भी मिल गया। स्कूल के अलावा सभी जगहों पर वह लड़के वाले कपड़े और जूते पहनती थी। बचपन से ही ब्रांडेड कपड़ों और सामान का शौक था। वह एक ही कपड़ा लेती थी लेकिन ब्रांडेड ही लेती थी।
हवाई जहाज से बेंगलुरु गए थे बाराती
लड़की से लड़का बनने के बाद हिंदू रीति रिवाज के अनुसार समीर भारद्वाज का उपनयन संस्कार हुआ था। इसके बाद बेंगलुरु में ही सात जुलाई को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार शादी हुई। शादी में सम्मिलित होने के लिए पटना से भी बरात गई थी। इसमें पारिवारिक सदस्यों को ले जाने में काफी परेशानी हो रही थी। इसमें कुल 35 लोगों को लेकर जाने की बात निर्धारित हुई थी। पहले तो पटना से बेंगलुरु जाने के लिए ट्रेन में टिकट लेने का प्रयास किया गया। लेकिन इसमें से मात्र छह टिकट ही मिल पा रहे थे। इसके बाद सभी बारातियों को हवाई जहाज से बेंगलुरु ले जाया गया था। जहां पर सभी शादी में सभी सम्मिलित हुए थे।