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लखनिया-भैरोगंज मुख्य सड़क जर्जर, आए दिन होती हैं दुर्घटनाएं

सड़क जर्जर होने से किसानों को काफी परेशानी हो रही है। इस रास्ते हरीनगर एवं बगहा चीनी मिल में किसान अपना गन्ना लेकर आते हैं। सड़क पर दो फीट तीन फीट गड्ढे हो जाने से लोगों को आने जाने में काफी समस्या उत्पन्न होती है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 04:29 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 04:29 PM (IST)
लखनिया-भैरोगंज मुख्य सड़क जर्जर, आए दिन होती हैं दुर्घटनाएं
त्रिभौनी गांव के पश्चिम मुख्य सड़क में गड्ढे में गिरी गन्ना लदी ट्राली।

पश्चिम चंपारण, जासं । लखनिया से दर्जनों गांव को जोड़ते हुए  भैरोगंज जाने वाली मुख्य सड़क जर्जर हो चुकी है। इस सड़क पर गाडिय़ां तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल है। आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। लेकिन, इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।स्थानीय ग्रामीण राकेश पाण्डेय, उदयभान मिश्रा , राधेश्याम राम, रत्नेश पांडेय, , संजय राय , किशोर राम  ने बताया कि यह सड़क लगभग 10 साल पूर्व बनाई गई थी। सड़क जर्जर होने से  किसानों को काफी परेशानी हो रही है। इस रास्ते  हरीनगर एवं बगहा चीनी मिल में किसान अपना गन्ना लेकर आते हैं। सड़क पर दो फीट तीन फीट गड्ढे हो जाने से लोगों को आने जाने में काफी समस्या उत्पन्न होती है। इस सड़क से लगभग आधा दर्जन गांव के लोगों को नित्य आना जाना लगा रहता है। ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों के प्रति नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि चुनाव के समय ही जनप्रतिनिधियों को जनता की याद आती है। लंबे चौड़े भाषण व आश्वासन देकर चले जाते हैं। उसके बाद उनके दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं। कहा कि सड़क पर काम नहीं शुरू हुआ तो प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

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 समय से नहीं बना बांध तो फिर आधा दर्जन गांवों में घुसेगा पानी 

वहीं अंग्रेजों के काल में निर्मित प्रखंड के बलुआ ,चुरिहरवा गांव के समीप  बांध का दो जगहों का हिस्सा दरक चुका है। समय से नहीं बना तो इस बार भी आधा दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी घुसेगा।

बांध   तकरीबन आठ किमी तक के क्षेत्र में फैला है। प्रत्येक वर्ष सैकड़ों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि की फसल नष्ट हो जाती है।  आधा दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी भी चला जाता है। जिससे स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश है। बीते दस वर्षों से इसकी मरम्मत नहीं हो सकी।  स्थानीय विनोद उपाध्याय, संतोष कुशवाहा, परदेशी मांझी आदि ने बताया  राजहवा बांध के बीच तकरीबन सौ सौ फीट  दो बड़े आकार के तालाब बन गए हैं। जिसके रास्ते नदी का पानी पश्चिम सरेह से पूरबी सरेह में आसानी से घुस जाता है।

जहां बाढ़ सैकड़ों हेक्टेयर की फसल को नष्ट कर देती है। राजहवा बांध के रूप में स्थित बलुआ गांव की चौक से लेकर त्रिवेणी कनाल तक लंबा बांध का दो हिस्सा दरक गया है। जिससे बरसात में जब नदिया अपना रौद्र रूप धरती हैं तो ङ्क्षसगाही नदी के बाढ़ का  पानी सीधे चुरिहरवा, जबका,सपही, फगुनहटा गांव में घुस जाता है। तकरीबन सौ हेक्टेयर खेती वाली भूमि को भी बाढ़ अपनी जद में ले लेती है। बावजूद दस वर्षों बाद भी इसे दुरुस्त करने की दिशा में पहल नहीं हुई है। नतीजा प्रत्येक वर्ष लाखों का नुकसान हो जाता है। इस संबंध में सीओ रामनगर विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि वहां के किसान  बाढ़ की विभीषिका निरंतर झेल रहे हैं। इसके बाद भी आपदा प्रबंधन को जनप्रतिनिधियों ने अभी तक सूचित नहीं किया  है। 


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