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ऐसा गांव जहां खौफ में बीतता ग्रामीणों के साल का तीन माह

मैं नरकटियागंज, भभटा पंचायत मुख्यालय गांव हूं। मेरी पीड़ा है कि मैं तीन नदियों से चारों ओर से घिरी हूं। कभी बाढ़ तो कभी सुखा मेरी सबसे बड़ी दुर्दशा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 May 2018 11:31 AM (IST)Updated: Sun, 27 May 2018 04:43 PM (IST)
ऐसा गांव जहां खौफ में बीतता ग्रामीणों के साल का तीन माह
ऐसा गांव जहां खौफ में बीतता ग्रामीणों के साल का तीन माह

मुजफ्फरपुर। मैं नरकटियागंज, भभटा पंचायत मुख्यालय गांव हूं। मेरी पीड़ा है कि मैं तीन नदियों से चारों ओर से घिरी हूं। कभी बाढ़ तो कभी सुखा मेरी सबसे बड़ी दुर्दशा है। मेरी पहचान अल्पसंख्यक और महादलित बहुल गांव की है। मेरे बच्चों को हर साल बाढ़ की तबाही का मंजर नजर आता है। मेरे बच्चों को अब तक उप स्वास्थ्य केंद्र तक नसीब नहीं हुआ। सबसे बड़ी समस्या यह है कि मैं खुद चारो ओर से नदियों से घिरी हूं, फिर भी मेरे आंगन के बच्चों को पानी निकासी के लिए मुख्य नाला आज तक नसीब नहीं हुआ। गांव का दुर्भाग्य है कि आजादी के 70 वर्षों बाद भी एक हिस्सा फुलवरिया टोला तक पहुंचने का सड़क मार्ग अब तक नहीं बना। जबकि मेरे इस हिस्से में मेरे 17 सौ बच्चे पलते हैं। ग्रामीणों ने सुनाई पीड़ा

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भभटा पंचायत मुख्यालय गांव के मुमताज आलम, फरमान मियां, अली इमाम, जहिर मियां, कैलाश ठाकुर, यासीन अंसारी, महादेव पटेल, गोखुल साह, दिनेश साह, मोजम्मील हुसैन, माथूर साह, नुरूल होदा, ग्वाल मियां, हरद्वार साह, जलील मियां समेत कई ग्रामीणों का कहना है कि हर वर्ष यहां करताहां, पंडई और मनियारी नदी से बाढ़ की तबाही का खतरा बना रहता है। गत वर्ष आई प्रलयंकारी बाढ़ से तबाह हुए अनेक लोगों को अब तक सहायता राशि का नहीं मिली। सबसे बड़ी व्यथा कि वर्ष 2011 में हुए सर्वे में बाबुओं ने कई ऐसे जरूरतमंदों का नाम छोड़ दिया गया, जिससे कि वे आज तक राशन और आवास के लाभ से वंचित हैं। गांव में सामुदायिक भवन तक नहीं है। मध्य विद्यालय है पर शिक्षकों की कमी की वजह शिक्षा व्यवस्था लचर बन गई है। गांव की आबादी : एक नजर में

भभटा गांव में कुल छह वार्ड शामिल है। यहां की कुल आबादी करीब 12 हजार की है। जिसमें युवा 50 प्रतिशत और दलित 30 प्रतिशत हैं। गांव की शिक्षा दर 20 प्रतिशत के करीब है। गांव में सरकारी नौकरी में करीब 40 लोग हीं हैं।

गांव के 70 वर्षीय वृद्ध राजदेव साह का कहना है कि यहां जरूरतमंद अब तक पेंशन के लाभ से वंचित हैं। मुझे आज तक वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं मिला। यहां की सबसे बड़ी समस्या नाली की है। उससे निकलने वाली गंदा पानी के निकासी के लिए मुख्य नाला का नहीं होना है। यदि निकासी के लिए मुख्य नाले की व्यवस्था हो जाए तो काफी राहत मिलेगी।

65 वर्षीय वृद्ध मो. युसूफ मियां कहते हैं कि गांव की समृद्धि खेती किसानी पर निर्भर होती है। मगर यहां ¨सचाई का कोई साधन नहीं है। महंगी ¨सचाई व्यवस्था से त्रस्त किसानों को खेती का समुचित लाभ नहीं मिल पाता है। जिससे ग्रामीणों को काफी पीड़ा होती है। मरीजों के उपचार को भी ग्रामीणों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। क्षेत्र में अभी भी विकास की काफी दरकार है।

युवा अजहर आलम कहते हैं कि गांव में शिक्षा का अभाव शुरू से रहा है। यहां अब भी उच्च शिक्षा के लिए बच्चे और बच्चियों को गांव से करीब 12 किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता है। यहां उच्च विद्यालय, अच्छी प्रयोगशाला, बच्चों को बैठकर पढ़ने वाली अच्छी कक्षा और खेल मैदान तक नहीं है। गांव में विद्यालय जरूर है। पर वहां की व्यवस्था बदतर है। बच्चों को न तो शिक्षा मिल पा रही है और न ही एमडीएम का लाभ नियमित मिल रहा है। युवा अली हुसैन का कहना है कि हर गांव की सबसे बड़ी समस्या वहां के युवाओं में बेरोजगारी है। अधिकांश युवा पढ़ लिखकर आज भी बेरोजगार बैठे हैं। उच्च शिक्षा भी इसमें एक बड़ा कारण है। वहीं सरकार द्वारा जारी नौकरी की एक सीट पर हजारों का आवेदन डाला जाना भी बेरोजगारी में शामिल है।

मुखिया नवीन प्रसाद ने बताया कि

भभटा पंचायत में हर घर को नल जल योजना का लाभ मिल रहा है। गली नाली पक्कीकरण का कार्य भी अंतिम चरण में है। यहां प्रत्येक घर को शौचालय है। सरकार द्वारा संचालित उन सभी योजनाओं को धरातल पर उतारना मेरी प्राथमिकता रहती है। सात निश्चय योजना मद की राशि का भुगतान नहीं होने को लेकर कार्य की प्रगति में फिलहाल बाधा आ रही है।


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