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बिहार के एक ऐसे मुख्यमंत्री जिनके गांव में आज तक नहीं बन सका पंचायत सरकार भवन

बैंक डाकघर बिजली व शिक्षा की सुविधा उपलब्ध पेयजल योजना की स्थिति ठीक नहीं। पीएचईडी की ओर कराए गए पेयजल योजना का काम अधूरा है। जगह-जगह पाइप लाइन उखड़ी है। घरों तक पानी नहीं पहुंचता है। दो तालाब हैं वह भी अतिक्रमित।

By Ajit kumarEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 08:31 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 08:31 AM (IST)
बिहार के एक ऐसे मुख्यमंत्री जिनके गांव में आज तक नहीं बन सका पंचायत सरकार भवन
1985 में समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी से चुनाव हार गए। थे।

समस्तीपुर, जासं। कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को जिस कर्पूरीग्राम में हुआ था, वहां हर जगह उनकी यादें बसी हैं। गांव में विकास के कई कार्य हुए हैं। हालांकि नल का जल योजना की स्थिति ठीक नहीं है।कर्पूरीग्राम में पीएचसी, टेलीफोन एक्सचेंज, सामुदायिक भवन की व्यवस्था है। प्राथमिक से कॉलेज तक की शिक्षा की व्यवस्था है। पुस्तकालय डाकघर और बैंक भी है। लेकिन पंचायत सरकार भवन नहीं बन सका है। पीएचईडी की ओर कराए गए पेयजल योजना का काम अधूरा है। जगह-जगह पाइप लाइन उखड़ी है। घरों तक पानी नहीं पहुंचता है। मुखिया संजीत पासवान बताते हैं कि मुख्यमंत्री सात निश्चय के तहत जो भी काम हुआ वह ठीक है, लेकिन पीएचईडी से नल-जल योजना का काम अधूरा है। दो तालाब हैं, वह भी अतिक्रमित। पूर्व मुखिया मनोज सिंह का कहना है कि पंचायत सरकार भवन की कमी खटकती है।

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जहां पाई प्राथमिक शिक्षा वहां के शिक्षकों को गर्व

कर्पूरीग्राम के जिस विद्यालय से कर्पूरीजी ने प्राथमिक शिक्षा हासिल की थी, आज वह बदल गया है। झोपड़ी की जगह भवन बन गया है। मध्य विद्यालय ताजपुर की स्थिति भी आज काफी उन्नत है। इसका भवन दोमंजिला हो गया है। लक्ष्मी नारायण राजकीय मध्य विद्यालय कर्पूरीग्राम के प्रधानाध्यापक मो. रिजवान बताते हैं कि उन्हेंं इस बात का गर्व है कि वे उस विद्यालय के प्रधानाध्यापक हैं जहां जननायक ने शिक्षा ली।

समस्तीपुर से कर्पूरी ठाकुर को भी करना पड़ा था हार का सामना

समाजवादियों का परचम लहराने वाले कर्पूरी ठाकुर का रिकॉर्ड रहा कि वे 1952 की पहली विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कभी विधानसभा का चुनाव नहीं हारे। उनके सहयोगी रहे प्रो. अजीत कुमार मेहता बताते हैं कि 1946 में उन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। पहला चुनाव 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर ताजपुर विधानसभा से लड़ा और विजयश्री हासिल की। 1972 तक लगातार इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे। 1985 में समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजे सहानुभूति के कारण वे कांग्रेस प्रत्याशी से चुनाव हार गए थे। 


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