Move to Jagran APP

केंद्रीय कारा में अक्षर ज्ञान से बदलेगा बंदी मन, 823 निरक्षर बंदियों को बनाया जा रहा साक्षर Muzaffarpur News

अज्ञानता व सामाजिक ज्ञान की कमी में होने वाले अपराध पर सरकारी मुहिम से लगेगी रोक। मुजफ्फरपुर जेल में 823 निरक्षर बंदियों को साक्षर बनाने की कवायद तेज।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 05:13 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 05:13 PM (IST)
केंद्रीय कारा में अक्षर ज्ञान से बदलेगा बंदी मन, 823 निरक्षर बंदियों को बनाया जा रहा साक्षर Muzaffarpur News
केंद्रीय कारा में अक्षर ज्ञान से बदलेगा बंदी मन, 823 निरक्षर बंदियों को बनाया जा रहा साक्षर Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। विभिन्न तरह के अपराध के बाद जेल पहुंचे लोगों के मन को शिक्षा से बदलने की सरकारी कवायद चल रही है। मुजफ्फरपुर स्थित शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में निरक्षर बंदियों को साक्षर बनाने के लिए अक्षर ज्ञान दिया जा रहा है। वहीं इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) के बैचलर प्रीपेरटरी प्रोग्राम (बीपीपी) कर बड़ी संख्या में बंदी स्नातक की शिक्षा ले रहे हैं। सारी कोशिश यह है कि विभिन्न तरह के अपराध में जेल में बंद लोगों के मन को सकारात्मक दिशा में ले जाया जा सके। बंदी जब जेल से बाहर निकलें तो सामाजिक स्तर पर खुद को एक नए और सकारात्मक व्यक्ति के तौर पर स्थापित कर सकें।

prime article banner

युवा संग 75 साल के बंदी में भी उत्साह

जेल में बंद सजायाफ्ता या विचाराधीन सभी बंदियों को कारा प्रशासन की ओर से अवसर मिल रहा है। उन्हें सरकार की ओर से दिए जा रहे अवसर से अवगत कराया जा रहा है। बड़ी संख्या में बंदी शैक्षणिक अभियान से जुड़ रहे हैं। 823 निरक्षर बंदियों को साक्षर बनाया जा रहा है। इन्हें इस स्तर पर शिक्षित किया जा रहा है कि ये जेल से निकलने के बाद अपना हस्ताक्षर बना सकें। सामाजिक गतिविधियों को जान-समझ सकें। इससे अलग कुछ ऐसे बंदी भी हैं जो स्नातक की शिक्षा प्राप्त कर कुछ अलग करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

 इग्नू से बीपीपी कोर्स करने के बाद 2018 में 54 और 2019 में 45 बंदियों ने स्नातक में दाखिला लिया है। बताया गया है कि इस अभियान ने बंदी मन पर गहरा असर डाला है। जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके सजायाफ्ता दुर्गा साह (75) ने भी बीपीपी कोर्स कर स्नातक में दाखिला लिया है। इसी तरह मुन्नी देवी और डोमनी देवी भी शिक्षा ग्रहण करने में लगी हैं। जेल प्रशासन के अनुसार कारा महानिरीक्षक से मिले निर्देश के आलोक में बंदियों को बेहतर माहौल में शिक्षित किया जा रहा है। ताकि, वे जेल से निकलने के बाद एक नई पहचान के साथ जीवन-यापन कर सकें।

 इस बारे में कारा अधीक्षक राजीव कुमार सिंह ने कहा कि सरकारी योजना के अनुरूप निरक्षर बंदियों को साक्षर बनाया जा रहा है। जो उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाह रहे हैं, उन्हें इग्नू से उच्च शिक्षा दिलाई जा रही है। कोशिश बंदियों के मन को सकारात्मक दिशा में ले जाने की है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.