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मुजफ्फरपुर के 72 अस्पताल व नर्सिंग होम बायो कचरा उठाव में विफल, अब कार्रवाई की तैयारी

Muzaffarpur News बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सीएस को लिखा पत्र बंद करने की कवायद। इससे पहले भी बोर्ड की ओर से बायो कचरा का निष्पादन नहीं करने वाले 28 नर्सिंग होम को नोटिस जारी किया गया था। इसमें से केवल सात ने ही अपना जवाब दिया है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 02:09 PM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 02:09 PM (IST)
मुजफ्फरपुर के 72 अस्पताल व नर्सिंग होम बायो कचरा उठाव में विफल, अब कार्रवाई की तैयारी
बायो कचरा को लेकर लापरवाह संस्थान पर सख्ती की तैयारी। प्रतीकात्मक फोटो

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। जिले में 72 अस्पताल व नर्सिंग होम पर बंदी की तलवार लटक रही है।

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बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सीएस को इसके लिए पत्र लिखा है। पत्र मिलने के साथ ही सीएस कार्यालय हरकत में आ गया है। सिविल सर्जन डा.यूसी शर्मा ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय अधिकारी ने पत्र भेजा है। उसकी समीक्षा कर सभी नर्सिंग होम को 24 घंटे के अंदर स्वास्थ्य विभाग का नोटिस भेजा जाएगा। बताया कि अभी 72 अस्पताल व नर्सिंग होम की सूची मिली है। कुछ को पहले भी नोटिस भेजा गया था।

जानकारी के अनुसार ये सभी अस्पताल बायो कचरा के निष्पादन की जांच में विफल साबित हो रहे हैं। इनको एक सप्ताह में जवाब देने को कहा गया है अन्यथा संस्थान का लाइसेंस रद किया जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन अस्पताल व नर्सिंग होम से कहा है कि बायो कचरा निष्पादन प्रक्रिया में ये हिस्सा नहीं ले रहे हैं। बायो कचरा के निष्पादन न करने वाले 28 नर्सिंग होम को पहले भी नोटिस जारी किया गया था। इसमें से अबतक केवल सात संस्थानों ने ही जवाब दिया है। नर्सिंग होम कचरा निष्पादन नहीं करने वालों पर स्वास्थ्य विभाग सख्ती बढ़ाने की कवायद में जुट गया है।

सदर अस्पताल में लिख दी बाहर की दवा

मुजफ्फरपुर : सदर अस्पताल में बाहर की दवा लिखने के बाद मरीज के स्वजन ने हंगामा किया। सिविल सर्जन की पहल पर वे शांत हुए। इसके साथ अस्पताल प्रबंधक प्रवीण कुमार को प्रतिदिन उपलब्ध दवा का ङ्क्षप्रट ओपीडी में देना होगा। इससे चिकित्सक को इलाज करने में मदद होगी।

जानकारी के अनुसार कांटी के पवन कुमार नामक मरीज को हड्डी विभाग में स्वजन लेकर आए। वहां चिकित्सक ने इलाज किया और अस्पताल से बाहर की दवा लिख दी। मरीज के स्वजन को पता नहीं था कि यह दवा बाहर से खरीदनी होगी। स्वजन दवा के लिए काउंटर पर गए तो पता चला कि इसे बाहर से लेनी है। इस पर वे हंगामा करने लगे। सूचना मिलने पर सिविल सर्जन ने हस्तक्षेप किया। खुद ओपीडी का भ्रमण कर उपस्थित चिकित्सक से पूछा कि अस्पताल में जो दवाएं उपलब्ध हैं, उन्हें क्यों नहीं लिखा जा रहा है। पर्ची में अस्पताल मेें जो दवाएं उपलब्ध थीं वही लिखी गईं। मरीज को अस्पताल से ही दवाएं दी गईं।

सीएस ने कहा कि किसी भी मरीज को बाहर की दुकान से दवा नहीं खरीदनी है। सभी दवाएं यहां उपलब्ध हैं, ऐसे में चिकित्सक भी जो दवाएं अस्पताल के काउंटर पर हैं उन्हें ही लिखें। अस्पताल प्रबंधक से भी कहा गया है कि वह हर दिन काउंटर पर दवाओं की जांच करें जो दवाएं नहीं होती हैं उसे स्टोर से मंगाकर रखना सुनिश्चित करना है। प्रबंधक प्रतिदिन उपलब्ध सूची का प्रिंट निकालकर सभी ओपीडी में देंगे। इससे चिकित्सक को मदद मिलेगी। वे वहीं दवाएं लिखेंगे जो अस्पताल मेें उपलब्ध होंगी।


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