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नौनिहालों पर डायरिया का कहर, 40 पहुंचे अस्पताल

जिले में डायरिया नौनिहालों पर कहर बरपा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 09:00 AM (IST)
नौनिहालों पर डायरिया का कहर, 40 पहुंचे अस्पताल
नौनिहालों पर डायरिया का कहर, 40 पहुंचे अस्पताल

मुजफ्फरपुर। जिले में डायरिया नौनिहालों पर कहर बरपा रहा है। अस्पतालों में सबसे ज्यादा इसी बीमारी से पीड़ित बच्चे इलाज को पहुंच रहे हैं। हालांकि, अन्य उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं, लेकिन बच्चों की संख्या ज्यादा है।

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एसकेएमसीएच में रविवार को डायरिया से ग्रसित चार बच्चों समेत 11 मरीज इलाज के लिए पहुंचे। इनमें गंभीर रूप से बीमार तीन बच्चों समेत सात को भर्ती कराया गया। विगत तीन दिनों में डायरिया के 23 मरीज इलाज को पहुंचे हैं। इधर, सदर अस्पताल में भी छह मरीजों का इलाज किया गया। सबसे ज्यादा संख्या केजरीवाल अस्पताल में है। यहां रविवार को 30 से ज्यादा बच्चे इलाज के लिए पहुंचे। एसकेएमसीएच में अब तक तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है।

क्यों हो रही बीमारी

एसकेएमसीएच में औषधि विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एसएम मिश्रा व शिशु विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. जेपी मंडल ने बताया कि मौसम बदलने, कभी तेज धूप तो कभी वर्षा के साथ प्रदूषण व दूषित खाद्य पदार्थो के सेवन से बीमारी का प्रकोप बढ़ा है। किसी भी उम्र के लोग पीड़ित हो सकते हैं। बच्चे व महिलाएं सर्वाधिक पीड़ित हो रहे हैं। अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही ने बताया कि डायरिया पीड़ित मरीजों के लिए सभी दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

बच्चे व बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित क्यों

मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार कहते हैं कि डायरिया, पीलिया, टाइफायड आदि जैसी बीमारियां जल जनित (वाटर बॉर्न) होती हैं। बच्चों व बुजुर्गो में प्रतिरोगी तंत्र (इम्यून सिस्टम) कमजोर होता है। इनमें बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती है। पानी में अगर थोड़ा भी प्रदूषित कारक होगा, वह इन्हें अपनी चपेट में ले लेगा।

बच्चों को स्कूल भेजने से पहले ध्यान दें

डॉ. सुनील का कहना है कि इस मौसम में बच्चों को लेकर खास सतर्क रहने की जरूरत है। अव्वल तो उन्हें जंक फूड की गंध तक नहीं लगने देना होगा। धूप से बचाएं। जितना हो सके पानी पिलाएं। पानी को उबालकर ठंडा कर पिलाएं। तरल पदार्थ का सेवन करें, ताजा भोजन दें। शिशु रोग विशेषज्ञ बीएन तिवारी भी कहते हैं कि विपरीत परिस्थिति में बच्चों को ओआरएस का घोल दें।


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