विश्व एडस दिवस : एचआइवी के खतरे से बच्चे भी नहीं बचे, जिले में 180 एड्स पीड़ित बच्चे खा रहे दवा
World AIDS Day समस्तीपुर में इस वर्ष अब तक मिले 177 नए मरीज हम साथी एप की मदद से लें एचआइवी संक्रमण की जानकारी इलाज करा रहे एड्स पीड़ितों को प्रत्येक महीने दिया जाना है 15 सौ सहायता भत्ता
समस्तीपुर, जासं। समस्तीपुर में मासूम बच्चे भी एचआइवी एड्स संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। यहां के 180 बच्चे एड्स पीड़ित हैं। इनमें 117 लड़के एवं 63 लड़कियां हैं। इनकी उम्र आठ साल से लेकर 17 साल के बीच है। इनका उपचार सदर अस्पताल के एआरटी सेंटर पर चल रहा है। वैसे जिले में एचआइवी के कुल 2890 मरीज हैं, जो एआरटी सेंटर पर नियमित रूप से दवा ले रहे हैं। एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस है। यह दिवस लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। जागरूकता के अभाव में हर साल बड़ी संख्या में लोग इस रोग के शिकार हो रहे हैं। जिले में ही सिर्फ वर्ष 2021 में 177 एड्स पीड़ित नए मरीज मिले हैं।
जिले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या भी कम नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता अभियान चलाने के बाद भी लोग सावधानियां नहीं बरतते हैं। इस वजह से एचआइवी के पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है। इनमें सबसे ज्यादा दूसरे राज्य में नौकरी की तलाश में गए लोग, ट्रक चालक और नशे के आदि लोग हैं। लोगों में इतनी जागरूकता जरूर आई है कि अब वे एचआइवी पाॅजीटिव होने या बीमारी का पता चलते ही एआरटी सेंटर से इलाज शुरू कराने लगे हैं। इस तरह उपचार से वे भी सामान्य लोगों की तरह जीवन जी रहे हैं।
समस्तीपुर में 3385 एड्स संक्रमित
एड्स के संक्रमण से समस्तीपुर जिला भी अछूता नहीं है। जिले में कुल 2890 एड्स संक्रमित मरीज नियमित रूप से दवा ले रहे हैं। जिले में यह एड्स तेजी से अपना पांव पसार रहा है। इसमें वर्ष 2014 से 2016 तक 1469 मरीज थे। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 378 मरीज भर्ती हुए। इसके बाद वित्तीय वर्ष 2017-18 में बढ़ कर 422 नए मरीज हो गए। फिर, 2018-19 में 476 मरीज, 2019-20 में 384, 2020-21 में 270 का इलाज शुरू हुआ। अब वित्तीय वर्ष 2020-21 में अक्टूबर तक 177 नए मरीज पहुंच चुके है। एड्स की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एड्स संक्रमित में बच्चों की संख्या 180 पर पहुंच चुकी है।
गर्भवती का उपचार ससमय होने पर मासूम को संक्रमण से बचाने की चल रही मुहिम
एआरटी सेंटर की नोडल पदाधिकारी डा. सुधा वर्मा ने बताया कि यह बीमारी सिर्फ जागरूकता से ही रोकी जा सकती है। सरकार एड्स से पीड़ित मरीजों को बिहार शताब्दी एड्स योजना के तहत प्रतिमाह 15 सौ रुपये देती है। जितनी भी गर्भवती माताएं होती है, उन्हें गर्भावस्था के दौरान एआरटी उपचार देकर होने वाले बच्चों को एचआइवी संक्रमित होने से बचाया जा सकता है। इसके लिए सभी गर्भवती माताओं को आकर समय पर चेकअप कराते रहना चाहिए, ताकि मासूम एचआइवी के शिकार न हो सकें।
1097 हेल्पलाइन व हम साथी एप से मिलेगी जानकारी
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा एचआइवी एड्स हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। हेल्पलाइन नंबर 1097 से एड्स संक्रमण होने के कारणों व बचाव के बारे में जानकारी ली जा सकती है। इसके साथ ही यदि एड्स की जांच या एड्स संबंधी इलाज सुविधा की भी सूचना प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही हम साथी एप डाउनलोड कर एड्स से संबंधित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह एप एड्स के प्रति जागरूकता लाने और बच्चों में मां के माध्यम से एड्स के संक्रमण को रोकने के लिए विभिन्न जानकारियां मुहैया कराता है।
एचआइवी मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा एआरटी सेंटर
सदर अस्पताल में एआरटी सेंटर एचआइवी मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। संक्रमित लोगों को दूसरे शहरों में नहीं जाना पड़ रहा है। यहां तक कि अब उन्हें अंत्योदय समेत अन्य सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का भी लाभ मिल रहा है। सेंटर में एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की खून जांच से लेकर इलाज तक की समुचित व्यवस्था है।